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वास्तविक दुनिया में गणित की ‘यादृच्छिक संख्याएं’ हैं, सुरक्षा, चिकित्सा क्षेत्र व् मनोरंजन में कितनी उपयोगी!

लखनऊ

 01-05-2023 10:06 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

आपने अक्सर सुना होगा कि कई बार वैज्ञानिक, उपचार तो वास्तव में किसी दूसरी बीमारी के लिए खोज रहे होते हैं, लेकिन उन्हें इलाज किसी अन्य दूसरी बीमारी का मिल जाता है। अथवा किसी व्यक्ति ने तुक्के में यूं ही शेयर बाजार (Stock Exchange) से कोई स्टॉक (Stock) खरीदा और वह स्टॉक अच्छा चल निकला। या फिर आपके पासे (Dice) में तुक्के से लगातार दो बार छह आ जाता है! इसी तुक्के को व्यावहारिक भाषा में यादृच्छिकता (Randomness) या अप्रत्याशितता कहा जाता है, जिसके तहत किसी घटना के होने अथवा ना होने की कोई निश्चित दिशा निर्धारित नहीं होती है, बल्कि अनजाने कारणों से किसी नई स्थिति का निर्माण हो जाता है। आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि वास्तविक दुनिया में जानबूझकर ‘यादृच्छिकता’ उत्पन्न करना कितना मुश्किल काम होता है?
यादृच्छिकता एक ऐसी घटना का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है, जो बिना किसी पूर्व निर्धारित पैटर्न (Preset Pattern) या विधि के संपन्न होती है। यह अक्सर भय, उत्तेजना और अनिश्चितता की भावनाओं से जुड़ी होती है। यादृच्छिकता, कंप्यूटर सुरक्षा (Computer Security) से लेकर शेयर बाजार की भविष्यवाणी और चिकित्सा अनुसंधान जैसे कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। जब हम यादृच्छिकता के बारे में विचार करते हैं, तो हम अक्सर ऐसी घटनाओं के बारे में सोचते हैं जिनकी भविष्यवाणी पहले से नहीं की जा सकती है, जिनमें पासे का लुढ़कना या सिक्के का पलटना भी शामिल है। इन घटनाओं को अप्रत्याशित माना जाता है, क्योंकि इनमें समय से पहले परिणाम निर्धारित करने का कोई तरीका नहीं होता है। उदाहरण के लिए, यदि आप एक पासे को कई बार फेंकते हैं, तो परिणाम के रूप में पासे के किसी भी पहलू के आने की संभावना समान होती है। साथ ही परिणामों के बीच कोई संबंध भी नहीं होता है और प्रत्येक चाल का परिणाम पिछले परिणाम से स्वतंत्र होता है, तथा प्रत्येक चाल का परिणाम अगली चाल के परिणाम को प्रभावित नहीं करता है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि यादृच्छिक संख्याएँ उत्पन्न करना वास्तव में जटिल और कठिन कार्य है। यादृच्छिक संख्याएँ उत्पन्न करने के लिए अधिकांश लोग कंप्यूटर (Computer) का उपयोग करते हैं, हालांकि इस प्रकार उत्पन्न की गई यादृच्छिक संख्याएँ भी वास्तव में यादृच्छिक नहीं होती हैं, क्योंकि वे गणितीय सूत्रों का उपयोग करके उत्पन्न की जाती हैं। ये सूत्र ऐसी संख्याएँ बना सकते हैं जो भले ही यादृच्छिक प्रतीत होती हैं, लेकिन वे वास्तव में एक निर्धारित पैटर्न का अनुसरण कर रहे होते हैं, जिसका अर्थ है कि ये संख्याएँ वास्तव में अप्रत्याशित या यादृच्छिक नहीं होती हैं। 1970 के दशक में, वैज्ञानिकों ने पाया कि एक व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले सूत्र के कारण यादृच्छिक संख्याओं में नियमितता उत्पन्न हो गई जिससे अनगिनत शोध अध्ययन प्रभावित हुए। इसलिए वैज्ञानिकों द्वारा यादृच्छिकएँ संख्या उत्पन्न करने के अन्य नए तरीकों की तलाश शुरू कर दी गई । ऐसा करने का एक तरीका उप-परमाण्विक दुनिया (Sub-atomic World) की अंतर्निहित अनिश्चितता (Inherent Uncertainty) का उपयोग करना है। हालांकि यह पढ़ने या सुनने में जटिल लग सकता है, लेकिन मूल रूप से इसका मतलब यह होता है कि “वैज्ञानिक वास्तव में यादृच्छिक संख्या उत्पन्न करने के लिए हमारे ब्रह्मांड के सबसे छोटे स्तर पर मौजूद कणों का उपयोग कर सकते हैं, जिनके व्यवहार में ‘यादृच्छिकता’ का प्रदर्शन होता है ।”
एर्नी (Ernie) नामक मशीन इसका एक उदाहरण है, जिसका निर्माण 1950 के दशक में यूके सरकार (UK Government) द्वारा किया गया था। एर्नी, नामक यह मशीन किसी भी उद्देश्य के लिए संख्याओं का चयन करने हेतु यादृच्छिक क्वांटम शोर (Random Quantum Noise) का उपयोग करती है। इसका मतलब यह है कि यह जो संख्याएँ उत्पन्न करती है, वे वास्तव में यादृच्छिक होती हैं, क्योंकि वे उप-परमाणु स्तर पर छोटे से छोटे कणों के अप्रत्याशित व्यवहार पर आधारित होती हैं। हालाँकि, यादृच्छिक संख्याओं के साथ, अभी भी एक बड़ी समस्या है। दरअसल कभी-कभी, संख्याओं के एक यादृच्छिक अनुक्रम में भी, ऐसे पैटर्न या दोहराव हो सकते हैं जो अनुक्रम को कम यादृच्छिक बनाते हैं। इसका मतलब यह है कि भले ही हमें लगता है कि हम यादृच्छिकता के आधार पर निष्पक्ष चुनाव कर रहे हैं, फिर भी यह संभव है कि परिणाम पूरी तरह से निष्पक्ष या अप्रत्याशित नहीं होंगे।
इसलिए अधिकांश विशेषज्ञ मानते हैं कि अनियमितता अभी भी केवल एक भ्रम है, क्योंकि हम अपनी दुनिया में जो भी यादृच्छिकता देखते हैं, वह अक्सर जटिल प्रणालियों का परिणाम होती है, जिनका अनुमान लगाना या उन्हें समझना बहुत मुश्किल होता है। हालांकि एक सिक्के को उछालने पर मिलने वाला परिणाम हमें यादृच्छिक लग सकता है, लेकिन यह वास्तव में अनगिनत कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें उछाल का बल, सिक्के का कोण और वायु प्रतिरोध आदि शामिल होते हैं। यादृच्छिक संख्याओं का उपयोग एक गुप्त कुंजी (Pre-Shared Key) यानी अपनी निजी जानकारी को एन्क्रिप्ट (Encrypt) अर्थात सुरक्षित रखने के लिए भी किया जाता है। इस क्षेत्र में यादृच्छिक संख्याएँ उत्पन्न करने का एक तरीका छद्म-यादृच्छिक संख्या जेनरेटर (Pseudo-Random Number Generator) नामक एल्गोरिदम (Algorithm) होता है।
दरसल पीआरएनजी (PRNG) नामक एक कंप्यूटर प्रोग्राम संख्याओं का एक ऐसा क्रम बनाता है, जो यादृच्छिक प्रतीत होता है लेकिन वास्तव में ये संख्याएं एक गणितीय सूत्र द्वारा उत्पन्न होती हैं। हालांकि ये संख्याएं वास्तव में यादृच्छिक नहीं होती, लेकिन वे अप्रत्याशित जरूर होती हैं और सुरक्षित एन्क्रिप्शन कुंजी बनाने के लिए उपयोग की जा सकती हैं। पीआरएनजी का एक प्रकार लीनियर कॉन्ग्रुएंशियल जेनरेटर (Linear Congruential Generator) भी है। यह एक सरल एल्गोरिद्म है जो एक शुरुआती संख्या के आधार पर संख्याओं का एक क्रम उत्पन्न करता है। इस क्रम में अगली यादृच्छिक संख्या की गणना सूत्र के साथ पिछली संख्या का उपयोग करके की जाती है।
हम बीज नामक एक प्रारंभिक संख्या तथा कुछ मानी हुई संख्याओं जैसे A,C,M का उपयोग करके यादृच्छिक संख्याओं की एक सूची बना सकते हैं। प्रत्येक अगली यादृच्छिक संख्या की गणना पिछली संख्या से की जाती है।
अगली यादृच्छिक संख्या प्राप्त करने के लिए, हम पिछली संख्या (बीज संख्या के रूप में शुरू होती है) को A से गुणा करते हैं, C जोड़ते हैं, और फिर M से विभाजित करते हैं। इस प्रकार इस विधि से हमें क्रम में अगला नंबर मिलता है। यह लोगों के बीच सिक्के बांटने जैसा है। यदि हमारे पास 8 लोगों के बीच बांटने के लिए 30 सिक्के हैं, तो हम प्रत्येक व्यक्ति को 3 सिक्के दे सकते हैं और 6 सिक्के बच जाते हैं। इसी प्रकार, हम पिछली संख्या को M से विभाजित करते हैं और शेष को क्रम में अगली संख्या प्राप्त करने के लिए लेते हैं। एक सरल सूत्र का उपयोग करके, हम यादृच्छिक संख्याओं की सूची जल्दी और आसानी से बना सकते हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि, हालांकि एलसीजी (LCG) यादृच्छिक प्रतीत होते हैं, किंतु वे वास्तव में यादृच्छिक नहीं होते हैं। उनके द्वारा उत्पन्न संख्याओं का क्रम बीज और उपयोग किए गए सूत्र द्वारा निर्धारित किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति बीज और सूत्र जानता है, तो वह क्रम में अगली संख्या की भविष्यवाणी कर सकता है।
कुल मिलाकर यादृच्छिक संख्या उत्पन्न करना इतना भी सरल नहीं है, जितना कि यह प्रतीत होता है। यादृच्छिकता की अवधारणा भले ही मौजूद है, लेकिन अभी यह एक बड़ी बहस का विषय है कि क्या वास्तव में कुछ भी यादृच्छिक होता है या नहीं!

संदर्भ
https://bit.ly/440rU46
https://bit.ly/44lD83B

चित्र संदर्भ
1. यादृच्छिक संख्याओं को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. यादृच्छिक छवि को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. यादृच्छिक संख्याओं को दर्शाता एक चित्रण (freesvg)
4. एर्नी, नामक यह मशीन किसी भी उद्देश्य के लिए संख्याओं का चयन करने हेतु यादृच्छिक क्वांटम शोर का उपयोग करती है। को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. सिक्के की उछाल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. एक रेखीय सर्वांगसम जनरेटर से छद्म-यादृच्छिक संख्याओं के त्रिक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. एलसीजी (LCG) को दर्शाता एक चित्रण (towardsdatascience)



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