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संग्रहालय का नाम सुनकर यही लगता है कि यहां हमें किसी संस्कृति या सभ्यता से सम्बंधित वस्तुएं या विभिन्न प्रकार के कला रूप देखने को मिलेंगे, लेकिन कई प्रचलित संग्रहालय संस्थान ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनी प्रदर्शनियों और आकर्षणों में कवियों और उनकी कविताओं को भी शामिल कर लिया है। इन संग्रहालयों ने रचनात्मक एवं अप्रत्याशित तरीकों से शब्दों की शक्ति को प्रदर्शित किया है। इन संग्रहालयों में ‘अमेरिकी कविता संग्रहालय’ वाशिंगटन (The American Poetry Museum, Washington), शिकागो (Chicago) का समकालीन कला संग्रहालय, ‘पिक्चर्स टू बी रेड /पोएट्री टू बी सीन’ (Pictures To Be Read/Poetry to Be Seen), ‘मॉर्गन लाइब्रेरी एंड म्यूजियम’ न्यूयॉर्क (Morgan Library and Museum, New York) में एमिली डिकिंसन (Emily Dickinson) प्रदर्शनी,ओंटारियो की आर्ट गैलरी (Art Gallery of Ontario)की आर्ट गैलरी में जॉन Lennon (John Lennon) के लिए योको ओनो (Yoko Ono) का मेंड पीस (Mend Piece),यहूदी संग्रहालय, न्यूयॉर्क (The Jewish Museum, New York) का "फ्लोरीन स्टेट्थाइमर (Florine Stettheimer):पेंटिंग पोएट्री (Painting Poetry)”प्रदर्शनी आदि शामिल हैं, जो विशिष्ट कवियों से संबंधित हैं। कुछ अन्य महत्वपूर्ण कविता संग्रहालयों में एडम मिकीविक्ज़ (Adam Mickiewicz) संग्रहालय, इस्तांबुल, एडम मिकीविक्ज़ संग्रहालय, पेरिस (Paris), अहमद शौकी संग्रहालय, , अन्ना अखमतोवा साहित्य और स्मारक संग्रहालय (Anna Akhmatova Literary and Memorial Museum), एसियन संग्रहालय (Aşiyan Museum), बेलिक हाउस (Bialik House), बॉनटेम्प्स अफ्रीकी अमेरिकी संग्रहालय (Bontemps African American Museum), कॉलेरिज कॉटेज (Coleridge Cottage), डेनिस डिडरॉट हाउस ऑफ एनलाइटनमेंट (Denis Diderot House of Enlightenment), डव कॉटेज (Dove Cottage), द फ्रॉस्ट प्लेस (The Frost Place), म्यूजी जिओ चार्ल्स (Musée Géo-Charles), इवान फ्रेंको संग्रहालय (Ivan Franko Museum), कीट्स हाउस (Keats House), कीट्स शैली मेमोरियल हाउस (Keats–Shelley Memorial House), मोल्ला पनाह वागीफ और मोल्ला वली विदादी (Molla Panah Vagif and Molla Vali Vidadi) का स्मारक संग्रहालय, मुरो सैसी किनेंकन (Muro Saisei Kinenkan) संग्रहालय, मुसी जीन डे ला फोंटेन (Musée Jean de La Fontaine) आदि संग्रहालय शामिल हैं।
हमारे रामपुर शहर से कुछ दूर उत्तराखंड के कौसानी में कवि और लेखक सुमित्रानंदन पंत के जीवन और कार्यों पर एक संग्रहालय बनाया गया है। गुजरात के सूरत में भी गुजराती कवि, नर्मद के जीवन को समर्पित एक संग्रहालय मौजूद है। सुमित्रानंदन पंत, हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार स्तंभों में से एक हैं। उन्हें नये युग के प्रवर्तक के रूप में देखा जाता है, तथा आधुनिक हिन्दी साहित्य के विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उनकी गिनती ऐसे साहित्यकारों में की जाती है, जिनका प्रकृति चित्रण समकालीन कवियों में सबसे बेहतरीन था। आकर्षक व्यक्तित्व के धनी सुमित्रानंदन पंत के बारे में साहित्यकार राजेन्द्र यादव कहते हैं कि “पंत अंग्रेज़ी के रूमानी कवियों जैसी वेशभूषा में रहकर प्रकृति केन्द्रित साहित्य लिखते थे।” जब उनका जन्म हुआ, तो उसके कुछ ही घंटों के भीतर उन्होंने अपनी माँ को खो दिया। उन्होंने महात्मा गाँधी और कार्ल मार्क्स (Karl Marx) से प्रभावित होकर उन पर भी रचनाएँ लिखीं। हिंदी साहित्य के विलियम वर्ड्सवर्थ (William Wordsworth) कहे जाने वाले इस कवि ने ही महानायक अमिताभ बच्चन को ‘अमिताभ’ नाम दिया था। पद्मभूषण, ज्ञानपीठ पुरस्कार और साहित्य अकादमी पुरस्कारों से नवाजे जा चुके पंत की रचनाओं में समाज के यथार्थ के साथ-साथ प्रकृति और मनुष्य की सत्ता के बीच टकराव भी देखने को मिलता है। हरिवंश राय ‘बच्चन’ और श्री अरविंदो के साथ उनकी ज़िंदगी के कुछ अच्छे दिन गुजरे। आधी सदी से भी अधिक लंबे उनके रचनाकाल में आधुनिक हिंदी कविता का एक पूरा युग समाया हुआ है।
उनका जन्म 20 मई 1900 में कौसानी, उत्तराखण्ड, भारत में हुआ था। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिन्दी के कवि पंत की प्रारंभिक शिक्षा कौसानी गांव के स्कूल में हुई थी, फिर वे वाराणसी आ गए और 'जयनारायण हाईस्कूल' में शिक्षा प्राप्त करने लगे। इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद में 'म्योर सेंट्रल कॉलेज' (Muir Central College) में प्रवेश लिया। शुरुआती दौर में उन्होंने 'बागेश्वर के मेले', 'वकीलों के धनलोलुप स्वभाव' व 'तम्बाकू का धुंआ' जैसी कुछ छुटपुट कविताएं लिखी। आठवीं कक्षा के दौरान ही उनका परिचय प्रख्यात नाटककार गोविन्द बल्लभ पंत, श्यामाचरण दत्त पंत, इलाचन्द्र जोशी व हेमचन्द्र जोशी से हो गया था। अल्मोड़ा से तब हस्तलिखित पत्रिका ‘सुधाकर’ व ‘अल्मोड़ा अखबार’ नामक पत्र निकलता था जिसमें वे कविताएं लिखते रहते थे। अल्मोड़ा में पंत जी के घर के ठीक उपर स्थित गिरजाघर की घण्टियों की आवाज़ उन्हें अत्यधिक सम्मोहित करती थीं।
अक़्सर प्रत्येक रविवार को वे इस पर एक कविता लिखते थे। 1921 के असहयोग आंदोलन के दौरान उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया था, लेकिन देश के स्वतंत्रता संग्राम की गंभीरता के प्रति उनका ध्यान 1930 के नमक सत्याग्रह के समय से अधिक केंद्रित होने लगा।
सुमित्रानंदन पंत संग्रहालय हमें प्रसिद्ध कवि के जीवन और समय के बारे में जानकारी देता है। यह संग्रहालय उसी घर में स्थित है, जहां उनका जन्म हुआ और बचपन बीता। संग्रहालय में उनके व्यक्तिगत सामान, दुर्लभ तस्वीरें, पत्र, पुरस्कार, वस्त्र, प्रशस्ति पत्र आदि मौजूद हैं। इस संग्रहालय के माध्यम से हम उस समय के साहित्यकारों की परस्पर क्रिया के स्तर का भी अंदाजा लगा सकते हैं। उनकी कई प्रसिद्ध कविताएं इस संग्रहालय में प्रदर्शित की गई हैं। संग्रहालय में एक खंड ऐसा भी है जिसमें पंत द्वारा लिखित पुस्तकों का एक बड़ा संग्रह है और साथ ही उनके समकालीन लेखकों की पुस्तकों का संग्रह भी है। साथ में उनका स्टडी टेबल, बिस्तर और दूसरी चीजें भी हैं। हालांकि, यह एक नियोजित संग्रहालय नहीं है, लेकिन उनके पारंपरिक घर को एक संग्रहालय में बदल दिया गया है। संग्रहालय राज्य सरकार द्वारा नियंत्रित है और संग्रहालय की देखभाल करने के साथ-साथ लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए एक प्रभारी भी रखा गया है। संग्रहालय की बाहरी संरचना अभी भी एक पारंपरिक कुमाऊंनी घर को दर्शाती है। घर का भौगोलिक स्थान और उसके आसपास की प्राकृतिक सुंदरता से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है, कि प्रकृति के इस जादू ने कैसे उनके लेखन को प्रभावित किया।
सुमित्रानंदन पंत संग्रहालय के समान एक संग्रहालय गुजरात के सूरत में भी है, जिसे सरस्वती मंदिर या सारिका सदन या नर्मद हाउस के नाम से जाना जाता है। 1866 में बने इस घर को 2015 में जीर्णोद्धार के बाद गुजराती कवि नर्मद के सम्मान में संग्रहालय में बदल दिया गया। नर्मद सूरत में रहते थे और उन्होंने सूरत के गोपीपुरा मोहल्ले में अमलिरन (Amliran) गली में अपने पुश्तैनी घर के सामने 600 रूपए की कीमत पर जमीन खरीदी थी। उन्होंने जनवरी 1866 में पुराने घर के नवीनीकरण के साथ नए घर का निर्माण शुरू किया जो सितंबर 1866 में पूरा हुआ। उन्होंने इस घर का नाम ‘सरस्वती मंदिर’ रखा और इसका उपयोग लेखन और शोध के लिए किया।
स्थानीय निवासियों और नर्मद के प्रशंसकों ने इस घर को संग्रहालय या पुस्तकालय में बदलने के लिए सूरत नगर निगम से गुहार लगाई जिसके बाद सूरत नगर निगम ने 24 अगस्त 1992 को इसे नर्मद की जयंती पर नर्मद के कार्यों के प्रकाशन और संरक्षण के लिए समर्पित कवि नर्मद युगवर्त ट्रस्ट को सौंप दिया। उन्होंने इसे आंशिक रूप से बहाल किया और इसे स्मारक में बदल दिया । सूरत नगर निगम ने 2014 में घर का नवीनीकरण, बहाली और संरक्षण कार्य शुरू किया। और पुनर्निर्मित घर को संग्रहालय में बदल दिया गया जहां नर्मद के जीवन, परिवार और कार्यों के बारे में लेख और जानकारी प्रदर्शित की गई। घर के भूतल पर कवि नर्मद की प्रतिमा है। इसमें उनकी किताबें और उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए कुछ फर्नीचर भी हैं। इस पूरी परियोजना की लागत लगभग 35 लाख रुपए आई।
संदर्भ:
https://bit.ly/40rx0Dz
https://bit.ly/3UPzCtC
https://bit.ly/3mMVYPY
https://bit.ly/41J6KFS
https://bit.ly/41K0eic
https://bit.ly/41I0BK1
चित्र संदर्भ
1. लेखक सुमित्रानंदन पंत के जीवन और कार्यों पर एक संग्रहालय को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube, wikimedia)
2. मॉर्गन लाइब्रेरी एंड म्यूजियम’ न्यूयॉर्क को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. मुसी जीन डे ला फोंटेन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. सुमित्रानंदन पंत को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
5. सुमित्रानंदन पंत के जीवन विवरण को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
6. सुमित्रानंदन पंत की युगपथ कविता को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
7. सुमित्रानंदन पंत के उपाधि चित्र को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
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