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‘हिंग्लिश’ की उत्पत्ति के बावजूत, हिन्दुस्तानी भाषा में है संस्कृत शब्दों का मजबूत समूह

लखनऊ

 26-04-2023 09:23 AM
ध्वनि 2- भाषायें

हिंदुस्तानी भाषा, जिसे हिंदी-उर्दू भाषा के नाम से भी जाना जाता है, भारत और पाकिस्तान (Pakistan) में आधिकारिक भाषाओं के रूप में उपयोग किए जाने वाले दो मानकीकृत भाषाओं,अर्थात् हिंदी और उर्दू का मिश्रित रूप है। हालांकि, इस भाषा में भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी, मध्य और उत्तर-पश्चिमी भागों में बोली जाने वाली बोलियाँ शामिल हैं, लेकिन यह भाषा मुख्य रूप से दिल्ली क्षेत्र की खड़ी बोली पर आधारित है। हालांकि इंडो-आर्यन (Indo-Aryan) भाषा के रूप में, हिंदुस्तानी भाषा का एक मूल आधार संस्कृत भाषा ही है, लेकिन एक व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा के रूप में, इसमें सदियों से विदेशी शासन और जातीय विविधता के माध्यम से ग्रहण किए गए शब्दों एक बड़ा शब्दकोश मौजूद है। ऐसा ही एक शब्द "हिंग्लिश (Hinglish)" है जो भारत में हिंदी और अन्य स्थानीय भाषा बोलने वालों द्वारा समान रूप से उपयोग किया जाता है, यह महसूस किए बिना कि यह शब्द वास्तव में पश्चिमी भाषाई सिद्धांत में "फोटो-सिमेंटिक मैचिंग (Photo-Semantic Matching)" का एक प्रकार है। मानक हिंदी अपनी अधिकांश औपचारिक और तकनीकी शब्दावली संस्कृत भाषा से प्राप्त करती है, जबकि मानक उर्दू अपनी अधिकांश औपचारिक और तकनीकी शब्दावली फ़ारसी और अरबी भाषाओं से प्राप्त करती है। हिन्दुस्तानी भाषा कई शताब्दियों में पूरे उत्तरी उपमहाद्वीप में विकसित हुई, जिसमें आधुनिक भारत, पाकिस्तान और नेपाल (Nepal) शामिल हैं। मानक हिंदी और उर्दू का उपयोग मुख्य रूप से सार्वजनिक पत्रों और रेडियो या टीवी समाचारों में किया जाता है, जबकि रोजमर्रा की बोली जाने वाली भाषा, हिंदुस्तानी की कई किस्मों में से एक है, जिसकी शब्दावली में फारसी, अरबी और संस्कृत के शब्द शामिल हैं। इसके अलावा, बोली जाने वाली हिंदुस्तानी में अंग्रेजी और द्रविड़ भाषाओं के साथ-साथ कई अन्य भाषाओं के शब्द भी शामिल हैं। जिस तरह अंग्रेजी की मूल शब्दावली पुरानी अंग्रेज़ी भाषा (एंग्लो-सैक्सन (Anglo-Saxon)) से विकसित हुई, लेकिन शब्दों के उच्चारण की आसानी के लिए इसमें समय के साथ फ्रेंच (French) और अन्य भाषाओं से कई शब्दों को ग्रहण कर मिश्रित कर लिया गया। ठीक उसी तरह हिंदुस्तानी भाषा भी हजारों वर्षों से कई फारसी (Persian) और अरबी (Arabic) शब्दों को ग्रहण करते हुए मूल रूप से संस्कृत भाषा से विकसित हुई है, हालांकि बोलने में आसानी के लिए कभी-कभी इन शब्दों के उच्चारण और कभी तो इनके अर्थ को भी बदल दिया गया । उत्तर भारत के तुर्क-मंगोल मुगल शासकों के प्रभाव के कारण कई फारसी शब्द हिंदुस्तानी शब्दकोश में जुड़ गए साथ ही उनके द्वारा फारसी भी बोली गई। वहीं फारसी के माध्यम से हिंदुस्तानी शब्दकोश में कई अरबी शब्द भी जुड़े, जो अरबों के प्रभाव के कारण फारसी भाषा में पहले से ही मौजूद थे,। इसलिए, हिंदुस्तानी भाषा स्वाभाविक रूप से विकसित होने के कारण उत्तर भारत की आम भाषा है। हिन्दी भाषा की लोक-भाषा के रूप में प्रतिष्ठा होने के कारण, हिन्दुस्तानी भाषा की शब्दावली में अन्य भाषाओं से ग्रहण किए गए शब्दों की एक बड़ी सूची है, जिनमें से सबसे बड़ी संख्या हिन्दी, उर्दू और पंजाबी शब्दों की है। इसके अलावा अन्य दक्षिण एशियाई, फारसी और अरबी भाषाओं के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा से एक निश्चित मात्रा में अप्रत्यक्ष रूप से हिंदुस्तानी में शब्दावली ग्रहण की गई । ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और बाद में ब्रिटिश शासन के साथ बातचीत के माध्यम से अंग्रेजी के कई शब्दों को उधार लिया गया। ब्रिटिश शासन के दौरान देशी प्रशासनिक और अमीर वर्गों के लिए अंग्रेजी भाषा की शिक्षा ने हिंदुस्तानी भाषा में अंग्रेजी शब्दावली को तेजी से जोड़ा। ऐसे कई तकनीकी और आधुनिक शब्द थे और अभी भी हैं जो अंग्रेजी से ग्रहण किए गए हैं, जैसे कि डाक्टर/डॉक्टर (Doctor); टैक्सी (Taxi) और किलोमीटर (Kilometer) । वहीं कुछ अंग्रेजी के शब्दों को देशी बनाने या उन्हें बोलने में आसान करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण ध्वन्यात्मक संशोधन भी किया गया । वैसे तो मूल लोगों के लिए उच्चारण को आसान बनाने के लिए अक्सर विदेशी शब्दों को ध्वन्यात्मक परिवर्तन से गुजरना ही पड़ता है। हालांकि भारत में शब्दों के ध्वन्यात्मक संशोधन का कारण है अंग्रेजी शिक्षा की कमी या अंग्रेजी भाषा काअधूरा ज्ञान , जिसके कारण एक वैकल्पिक उच्चारण एक स्वीकृत मानदंड बन जाता है और मूल उच्चारण की जगह सबसे अधिक उपयोग किया जाने लगता है। और आज भारत में, हिंग्लिश (Hinglish) या हिंदी बोलने वालों की बोली में अंग्रेजी शब्दों का अत्यधिक उपयोग करने की प्रवृत्ति- एक आम बात बन गई है! लेकिन क्या आप जानते हैं कि ‘ऋण शब्द’ हिंग्लिश शब्दों से भिन्न होते हैं। ऋण शब्द एक विदेशी भाषा से लिए गए शब्द होते हैं और अपने मूल अर्थ को बनाए रखते हुए लक्ष्य भाषा द्वारा अनुकूलित किए जाते हैं। जबकि इसके विपरीत, ‘हिंग्लिश’ वे शब्द होते हैं जिनमें एक विशिष्ट अर्थ होता है जिसे केवल स्थानीय लोग ही समझते हैं। हिंग्लिश शब्द देखने में भले ही अंग्रेजी जैसा लगे, लेकिन इसका अर्थ बिल्कुल अलग होता है। नीचे अंग्रेजी से लिए हुए कुछ शब्द दिए गए हैं जो भारतीय भाषा में पूरी तरह से घुलमिल गए हैं- एक भाषा में दूसरी भाषा से एक शब्द के समावेश को फोटो-सिमेंटिक मैचिंग कहा जाता है, जो अक्सर एक नवनिर्मित शब्द (Neologism) का निर्माण करता है, जहाँ शब्द की गैर-देशी गुणवत्ता को ध्वन्यात्मक और अर्थपूर्ण रूप से समान शब्दों या अपनाने वाली भाषा से बदलकर छिपाया जाता है। इस प्रकार स्रोत भाषा में मूल अभिव्यक्ति की अनुमानित ध्वनि और अर्थ को संरक्षित किया जाता है, हालांकि लक्ष्य भाषा में नई अभिव्यक्ति कर उसे देशी रूप दिया जाता है। फोनो-सिमेंटिक मैचिंग" का सिद्धांत भाषाविद् और पुनरुत्थानवादी ‘घिलाड ज़करमैन’ (Ghil'ad Zuckermann) द्वारा पेश किया गया था। इस सिद्धांत ने इनर हौगेन (Einar Haugen) द्वारा प्रतिपादित शाब्दिक उधारी (ग्रहण किए गए शब्द) के शास्त्रीय अध्ययन को चुनौती दी। जबकि हौगेन द्वारा शब्दों के ग्रहण की प्रक्रिया को या तो प्रतिस्थापन या आयात में वर्गीकृत किया गया। वहीं ज़करमैन ने एक ही समय में दो या दो से अधिक स्रोतों से प्राप्त होने वाले बहु-स्रोत नवविज्ञानों का एक नया वर्गीकरण प्रस्तावित किया। ऐसे तंत्रों के उदाहरण ध्वन्यात्मक मिलान, सिमेंटिसाइज़्ड ध्वन्यात्मक मिलान (Semanticized Phonetic Matching) और फ़ोटो-सिमेंटिक मिलान हैं।
वहीं आधुनिक अंग्रेजी भाषा द्वारा भी हिन्दी भाषा के कई शब्दों को ग्रहण किया गया है। यहाँ हिंदी भाषा से लिए गए कुछ लोकप्रिय अंग्रेजी शब्द दिए गए हैं :
“Yoga” = योग
“Mantra” = मंत्र
“Guru” = गुरु
“Avatar” = अवतार
“Loot” = लूट
“Nirvana” = निर्वाण
“Coolie” = कुली
“Bungalow” = बंगला
दिलचस्प बात यह है कि हिंदुस्तानी भाषा में ज्यादातर मूल रूप से संस्कृत से आने वाले शब्दों का एक मजबूत समूह शामिल है, जिसका उपयोग हिंदी भाषा की उच्च शैली को दर्शाता है। भवन (Palace), नगर (City), निवास (Abode), सेवक और सेविका, उद्योग (Industry), ऐसे ही कुछ शब्द हैं। इस समूह में सूर्य-नमस्कार (सूर्य को एक पारंपरिक और आनुष्ठानिक श्रद्धांजलि, और एक योग मुद्रा) भी शामिल है। लेकिन जिन शब्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए वे हैं ‘अच्छा’, ‘बस’, ‘दादागिरी’, ‘जुगाड़’ या ‘नाटक’। जैसे अच्छा का शाब्दिक अर्थ है "Good" लेकिन यह एक विस्मयादिबोधक के रूप में भी कार्य करता है। शब्दार्थ की दृष्टि से यह अद्भुत लचीला शब्द है। संदर्भ के आधार पर और जिस तरह से हम इसे कहते हैं, इसका अर्थ "सब ठीक है," "वास्तव में ?," "तो यह ऐसा है ..." और अन्य भी बहुत कुछ हो सकता है। बस का अर्थ "पर्याप्त" या "बंद करो!" हो सकता है। लेकिन "केवल" भी। दादागिरी का मतलब बदमाशी होता है, जिसका आमतौर पर धमकाने वाले गुंडो की विशिष्ट हरकतों के लिए उपयोग किया जाता है।इस तरह के शब्दों से हम वास्तव में हिंदी में रोजमर्रा की बातचीत का निर्माण कर सकते हैं।

संदर्भ :-
https://bit.ly/3A98KLW
https://bit.ly/3L96ydk
https://bit.ly/41k6UU8
https://bit.ly/43FyJbd

चित्र संदर्भ
1. अंग्रेजी भाषा में संस्कृत की उपस्थिति को दर्शाता एक चित्रण (Needpix)
2. बात करते हुए दो भारतियों को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
3. "हिंग्लिश (Hinglish) को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
4. एक सैक्सन सैनिक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. विविध भारतीय भाषाओँ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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