उद्योग: अतीत के रामपुर का गौरव

लखनऊ

 05-02-2018 11:15 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

प्रस्तुत चित्र है द स्टेट्समैन अखबार के 1940 के दशक में छपे प्रकाशन का। अखबार में बात की गयी है रामपुर में उस समय हो रहे औद्योगिक विकास की। कहा गया है कि, “वर्तमान शासक के प्रवेश से पहले रामपुर केवल कुछ छोटे कुटीर उद्योगों तक सीमित रहा जैसे चाक़ू, तम्बाकू, कपड़े और रामपुरी टोपी। परन्तु पिछले कुछ वर्षों से हालात बिलकुल बदल चुके हैं और अब रामपुर में औद्योगिक तेज़ी दिखाई पड़ रही है। अब की नीति ऐसे उद्योगों को प्रोत्साहन देती है जो न केवल शहरी नागरिकों के लिए रोजगार पैदा करे बल्कि जो ग्रामीण क्षेत्र के कृषि उत्पादन के लिए भी लाभदायी हो। रामपुर का पहला उद्योग था रज़ा शुगर कंपनी लिमिटेड जो गन्ने का उद्योग करता था।"
आगे बताया गया है कि, “पिछले दो से तीन वर्षों से औद्योगिक विकास और भी तीव्र रहा है। रज़ा टेक्सटाइल्स लिमिटेड की स्थापना 1938 में की गयी और विश्व युद्ध के कारण आयी कठिनाईयों के बावजूद भी यह कारखाना काफी सफल रूप से चल रहा है।" इसके अलावा रामपुर के और भी सफल उद्योगों की चर्चा की गयी है जैसे माचिस, फल, सेना के तम्बू और उपकरण, तेल, बरफ, मोटर कार के भाग, कागज़ आदि। इसके साथ ही बढ़ते उद्योग के समर्थन के लिए एक बड़ा बिजली घर भी बनवाया गया था जिसका ज़िक्र भी किया गया है। आगे लिखा गया है, “कुटीर उद्योग में दरी, कालीन आदि भी बनाये जा रहे हैं जो स्थानीय बुनकरों द्वारा बुने जाते हैं। इन बुनकरों को बेहतर कारीगरी और तकनीक सिखाई जाती है तथा इनके बनाये उत्पादों का विपणन उद्योग विभाग द्वारा रामपुर एवं नैनीताल में किया जाता है। चाकू उद्योग क्षेत्र अब सेना के लिए भी उत्पादन कर रहा है।”
उस समय की शिक्षा की स्थिति को स्पष्ट करते हुए लिखा गया है, “औद्योगिक विकास के साथ साथ शैक्षिक नीति की भी पुनर्रचना की जा रही है। 150 से अधिक छात्र जिन्हें वेतन प्रदान किया जा रहा है, उन्हें साथ ही तकनीकी संस्थानों में शिक्षा भी प्रदान की जा रही है और जल्द ही हर आंठवी पास छात्र को यह शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी ताकि वे अपनी शिक्षा के सांस्कृतिक पक्ष की उपेक्षा किये बिना शिल्प उद्योग के सहारे अपनी रोज़ी रोटी कमा सकें।”
अख़बार को अच्छी तरह से पढ़ने के बाद यह तो सिद्ध हो जाता है कि अतीत में रामपुर भारत में उद्योग का एक काफी महत्वपूर्ण केंद्र था। परन्तु सवाल यह है कि क्या रामपुर ने अपना वह स्थान बरक़रार रखा है? जवाब है नहीं। आज रामपुर की कला और शिल्प मरती जा रही है। कला को अच्छी तरह से समझने वाले कारीगर अब बहुत कम बचे हैं और उनकी यह कला आगे की पीढ़ियों को नहीं सौंपी जा रही है। यदि इस बात पर गौर किया जाए और गहराई से समझा जाये तो अभी भी देर नहीं हुई है। आज भी रामपुर में भारत के सबसे बड़े औद्योगिक शहरों में गिने जाने की क्षमता है।



RECENT POST

  • जानें, प्रिंट ऑन डिमांड क्या है और क्यों हो सकता है यह आपके लिए एक बेहतरीन व्यवसाय
    संचार एवं संचार यन्त्र

     15-01-2025 09:32 AM


  • मकर संक्रांति के जैसे ही, दशहरा और शरद नवरात्रि का भी है एक गहरा संबंध, कृषि से
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     14-01-2025 09:28 AM


  • भारत में पशुपालन, असंख्य किसानों व लोगों को देता है, रोज़गार व विविध सुविधाएं
    स्तनधारी

     13-01-2025 09:29 AM


  • आइए, आज देखें, कैसे मनाया जाता है, कुंभ मेला
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-01-2025 09:32 AM


  • आइए समझते हैं, तलाक के बढ़ते दरों के पीछे छिपे कारणों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     11-01-2025 09:28 AM


  • आइए हम, इस विश्व हिंदी दिवस पर अवगत होते हैं, हिंदी के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसार से
    ध्वनि 2- भाषायें

     10-01-2025 09:34 AM


  • आइए जानें, कैसे निर्धारित होती है किसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:38 AM


  • आइए जानें, भारत में सबसे अधिक लंबित अदालती मामले, उत्तर प्रदेश के क्यों हैं
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:29 AM


  • ज़मीन के नीचे पाए जाने वाले ईंधन तेल का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कैसे होता है?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:46 AM


  • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में बिजली कैसे बनती है ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id