Post Viewership from Post Date to 25-Jan-2023 (5th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1623 881 2504

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

क्या आप जानते हैं कीटों को भी दर्द होता है?

लखनऊ

 20-01-2023 11:23 AM
तितलियाँ व कीड़े

लगभग 79 अरब पशुओं और पक्षियों को हर साल मनुष्यों द्वारा अपना स्वार्थ सिद्ध करने हेतु मार दिया जाता है, वहीं दूसरी तरफ भोजन और पशु आहार के लिए हर वर्ष कम से कम एक खरब कीट भी मारे जाते हैं इसके अतिरिक्त कीटनाशकों के द्वारा भी हर साल अनगिनत संख्या में कीट मारे जाते हैं।
विभिन्न अध्ययनों में इस बात की पुष्टि हुई है कि कई जानवर अस्तित्व को समाप्त करने के दर्द का अनुभव करते हैं। लेकिन 300 से अधिक वैज्ञानिक अध्ययनों का सर्वेक्षण करने पर पता चला है कि कुछ कीट भी इस दर्द को महसूस करते हैं। 15 साल पहले, शोधकर्ताओं ने पाया कि कीट, और विशेष रूप से फल मक्खियाँ, तीव्र दर्द जैसा कुछ महसूस करती हैं । जब वे अत्यधिक गर्मी, ठंड या शारीरिक रूप से हानिकारक उत्तेजनाओं का सामना करते हैं, तो वे उसी तरह प्रतिक्रिया करते हैं जैसे मनुष्य दर्द पर प्रतिक्रिया करते हैं। अब, वैज्ञानिकों ने पाया है कि कीटों के तंत्रिका तंत्र भी पुराने दर्द का अनुभव कर सकते हैं। एक नए अध्ययन से पता चलता है कि चोट ठीक होने के बाद भी कीटों के छोटे जीवन में दर्द बना रहता है। हालांकि, कीटों की सभी प्रजातियों के ऊपर अभी तक पर्याप्त विस्तार से अध्ययन नहीं किया गया है। एक अध्ययन में, संभावित रूप से हानिकारक उत्तेजनाओं के प्रति भौंरों की प्रतिक्रिया का अध्ययन किया गया।  इन भौंरों के द्वारा जिस तरह से उत्तेजनाओं पर प्रतिक्रिया की गई, वह मनुष्यों और अन्य जानवरों में दर्द प्रतिक्रियाओं के समानथी, जिन्हें हम महसूस कर सकते हैं। यदि अध्ययन के अनुसार कीटों को भी दर्द महसूस होता है तो कीट पालन और कीट नियंत्रण से बड़े पैमाने पर पीड़ा उत्पन्न होगी। ज्यादातर सभी पशु कल्याण कानून लगभग सार्वभोमिक रूप से  कीटों की उपेक्षा करते हैं  हैं।  इसका एक कारण यह है कि, ऐतिहासिक रूप से, कीटों के जीवनकाल को अक्सर  बहुत ही कम समय वाले जीवनकाल के रूप में देखा जाता है । लेकिन अब इस बात के प्रमाण एकत्र किए जा रहे हैं कि कीट भी दर्द महसूस करते हैं। आपको बता दें कि आज के समय में कीट पालन  एक तेजी से बढ़ता हुआ उद्योग है । दुनिया भर में सैकड़ों कंपनियां औद्योगिक पैमाने  पर कीट पाल रही हैं । कीट पालन उद्योग जगत का वैश्विक मूल्य 2023 तक 1.18 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है। परन्तु क्या यह सही है? अपने स्वार्थ सिद्धि हेतु पहले कीटों को पालना एवं बाद में उनकी मृत्यु कर देना- क्या यह सब उचित है? क्या यही मानवता है? कीट अपने प्रति ज्यादा सहानुभूति पैदा नही करते हैं। अपवादों के साथ, यहां तक ​​कि शाकाहारियों ने भी मच्छरों के बारे में शायद ही कभी दो बार सोचा हो, खेती के दौरान मारे गए लाखों कृषि कीटों की तो बात ही छोड़ दें।  मनुष्य अपने भोजन की पूर्ति करने हेतु कीटों को पाल रहा है और अपनी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर उनको मार रहा है जो बिल्कुल भी मनुष्यता नही है ।अपने भोजन की पूर्ति के लिए बेजुबानों की हत्या करना कहाँ तक सही है? हर प्राणी को दर्द की अनुभूति होती है परंतु जहां तक बात की जाए कानून की, तो मनुष्य एवं पशु कल्याण के लिए कानून बनाए गए हैं परंतु कीटों की किसी को परवाह नही है।क्या कीटों पर पशु कल्याण काननू लागू नही होते हैं? पशु कल्याण (संवेदना) अधिनियम 2022 के तहत, लोग उन कीटों के संरक्षण को शामिल करने की सलाह देते हैं, जो कानूनी रूप से दर्द महसूस करने की उनकी क्षमता को स्वीकार करते हैं, लेकिन इस कानून के लिए सरकार को भविष्य के कानून का मसौदा तैयार करते समय उनके कल्याण पर विचार करने की आवश्यकता है। कीटों की सुरक्षा हेतु कानून बनाए जाने चाहिए।

संदर्भ

https://bit.ly/3WlUTu0
https://bit.ly/3CTsAwg
https://bit.ly/3XzG5cg

चित्र संदर्भ
1. एक कीट को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. विभिन्न कीड़ों की विविधता को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. कीट आकारिकी, को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. कीट पालन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. जार में बंद कीट को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • समय की कसौटी पर खरी उतरी है लखनऊ की अवधी पाक कला
    स्वाद- खाद्य का इतिहास

     19-09-2024 09:28 AM


  • नदियों के संरक्षण में, लखनऊ का इतिहास गौरवपूर्ण लेकिन वर्तमान लज्जापूर्ण है
    नदियाँ

     18-09-2024 09:20 AM


  • कई रंगों और बनावटों के फूल खिल सकते हैं एक ही पौधे पर
    कोशिका के आधार पर

     17-09-2024 09:18 AM


  • क्या हमारी पृथ्वी से दूर, बर्फ़ीले ग्रहों पर जीवन संभव है?
    पर्वत, चोटी व पठार

     16-09-2024 09:36 AM


  • आइए, देखें, महासागरों में मौजूद अनोखे और अजीब जीवों के कुछ चलचित्र
    समुद्र

     15-09-2024 09:28 AM


  • जाने कैसे, भविष्य में, सामान्य आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, पार कर सकता है मानवीय कौशल को
    संचार एवं संचार यन्त्र

     14-09-2024 09:23 AM


  • भारतीय वज़न और माप की पारंपरिक इकाइयाँ, इंग्लैंड और वेल्स से कितनी अलग थीं ?
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     13-09-2024 09:16 AM


  • कालिदास के महाकाव्य – मेघदूत, से जानें, भारत में विभिन्न ऋतुओं का महत्त्व
    जलवायु व ऋतु

     12-09-2024 09:27 AM


  • विभिन्न अनुप्रयोगों में, खाद्य उद्योग के लिए, सुगंध व स्वाद का अद्भुत संयोजन है आवश्यक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     11-09-2024 09:19 AM


  • लखनऊ से लेकर वैश्विक बाज़ार तक, कैसा रहा भारतीय वस्त्र उद्योग का सफ़र?
    मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

     10-09-2024 09:35 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id