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भारत में “क्रिकेट” हमेशा से ही एक खेल के रूप में नहीं, बल्कि एक पूर्ण उत्सव के रूप में भरपूर उत्साह के साथ मनाया जाता रहा है। क्रिकेट के प्रति इसी दीवानगी के कारण, मैच के खिलाड़ी और आयोजककर्ता भर-भरकर पैसा कमाते हैं। हालांकि क्रिकेट के प्रति भारतीयों का यही जूनून इसे करियर के तौर पर चुनने वाले नवयुवकों के लिए, एक बड़ी चुनौती साबित कर देता है। चलिए जानते हैं कैसे?
2008 में बीसीसीआई (BCCI) द्वारा स्थापित, इंडियन प्रीमियर लीग (Indian Premier League (IPL), सबसे लोकप्रिय और तेज गति से प्रसारित होने वाली प्रतियोगिता के रूप में उभरा है, जिसमें भारत के विभिन्न राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाली अलग-अलग टीमें शामिल हैं, जो टी 20 (T20) प्रारूप मैचों में एक-दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करते हुए खिताब का दावा करती हैं। आईपीएल नामक यह आकर्षक स्टार-स्टडेड इवेंट (Star-Studded Event), विभिन्न आर्थिक अवधारणाओं से जुड़ा एक संपूर्ण मनोरंजन पैकेज है, जिनमें निवेश, ब्रांड रणनीति, और जीडीपी आदि कई आर्थिक लाभ शामिल है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर आईपीएल का प्रभाव:
1. सकल घरेलू उत्पाद में उल्लेखनीय वृद्धि: आईपीएल भारत के सकल घरेलू उत्पाद में भारी मुनाफे में योगदान दे रहा है। दुनिया भर में बड़े पैमाने पर ब्रांडिंग (Branding), दर्शकों के समर्थन और जबरदस्त लोकप्रियता ने जीडीपी में लगातार वृद्धि की है। केपीएमजी (KPMG) की सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, 60-दिवसीय टूर्नामेंट से भारत को INR 11.5 बिलियन (182 मिलियन अमरीकी डालर) प्राप्त हुआ।
2. पर्यटन को बढ़ावा: 32 अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के अलावा, अंतरराष्ट्रीय पर्यटन से उत्पन्न राजस्व में भी भारी वृद्धि हुई है। सबसे प्रतिष्ठित यात्रा आधारित कंपनियों में से एक कॉक्स एंड किंग्स (Cox and Kings) के अनुसार, आईपीएल के आने से यात्रा राजस्व में 30% की वृद्धि दर्ज की गई है, क्यों की इस दौरान दुनिया भर से क्रिकेट प्रेमी भारत के विभिन्न राज्यों और शहरों की यात्रा करते हैं।
3. नई नौकरियां पैदा करता है: इंडियन प्रीमियर लीग बड़े पैमाने पर नए और आकर्षक रोजगार पैदा करता है, तथा प्रभावी रूप से भारत को आर्थिक विकास की ओर जाता है। यह रोजगार, विभिन्न कंपनियों, उनके हितधारकों, खेल हस्तियों, उभरते एथलीटों आदि से उत्पन्न होता है। खेल उपकरण और गैजेट्स (Gadgets) के बाजार में भी भारी वृद्धि देखी गई है, तथा इस बाजार का आकार बढ़कर आज 40 अरब भारतीय रुपये हो गया है।
4. मीडिया एक्सपोजर और व्यूअरशिप (Media Exposure and Viewership): भारत के आर्थिक समय के डेटा संग्रह के अनुसार, 2019 में टी 20 प्रतियोगिता ने दर्शकों के संबंध में अपने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। क्रिकेट लीग ने विश्व स्तर पर विभिन्न प्रतिष्ठित कंपनियों, जैसे कोका-कोला, मारुति सुजुकी, फोनपे, एमआरएफ (Coca-Cola, Maruti Suzuki, PhonePe, MRF,), आदि से प्रचुरता में प्रायोजन प्राप्त किया है।
5. सांस्कृतिक विविधता में योगदान: आईपीएल टूर्नामेंट के दौरान बहुत सारी गतिविधियाँ होती हैं, क्योंकि इस दौरान दुनिया भर से लोग भारत आते हैं। बीस ओवर के मैचों की मेजबानी करने वाले विभिन्न शहरों में कई आफ्टर-पार्टियां (After-Parties) और कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। इस दौरान कई देशों जैसे बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, श्रीलंका, इंग्लैंड आदि से विदेशी पर्यटक आते हैं और उत्सव के मौसम का अधिकतम लाभ उठाने का प्रयास करते हैं।
6. होटल और रेस्तरां व्यवसाय को लाभ: आईपीएल सीजन के दौरान, यात्रा व्यवसाय, आवास व्यवसाय और खाने के उपक्रमों में वृद्धि हुई है। 60-दिवसीय टूर्नामेंट के दौरान चेक-इन (check in) की संख्या बढ़ जाती है, साथ ही दुनिया भर के यात्री विभिन्न भारतीय व्यंजन करना भी पसंद करते हैं।
7. कर योगदान में वृद्धि: आईपीएल की शुरुआत से पहले, बीसीसीआई को एक धर्मार्थ संगठन माना जाता था, इस प्रकार उन्हें कभी भी कर (Tax) का भुगतान करने के लिए नहीं कहा जाता था। लेकिन आईपीएल को इसके प्रारंभ होने के समय से ही एक व्यावसायिक गतिविधि के रूप में जाना जाता था। इसलिए, बीसीसीआई को कर योगदान करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप सरकार के लिए राजस्व में वृद्धि हुई। क्रिकेट प्रतियोगिता की शुरुआत के बाद से बीसीसीआई ने काफी मात्रा में कर का उत्पादन किया है।
इस प्रकार क्रिकेट जैसे खेल की बढ़ती वित्तीय क्षमता का सीधा मतलब यह भी है कि, समय के साथ अधिक बच्चे और युवा क्रिकेट को अपने करियर के तौर पर अपना रहे हैं, तथा इस उछाल ने कई अकादमियों को बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए प्रेरित भी किया है।
अकेले दुबई में, कई निजी अकादमियां हैं, जो पिछले कुछ ही वर्षों में विकसित हुई हैं। ये अकादमियां संयुक्त अरब अमीरात के निवासियों के लिए एक पेशेवर क्रिकेटर बनने का मार्ग प्रदान करती हैं। लेकिन यह सुविधा उन लोगों के लिए भी है, जो भारत तथा इंग्लैंड जैसे प्रमुख टेस्ट खेलने वाले देशों में खेलने की इच्छा रखते हैं।
हालांकि इसका एक और मतलब यह भी है की, क्रिकेट को भविष्य के तौर पर चुनने वाले बच्चे को हर मोड़ पर कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना भी करना पड़ेगा। साथ ही खेल सीखने से जुड़ी बढ़ती लागत के अलावा, क्रिकेटर बनने की यात्रा काफी श्रमसाध्य और महंगी भी साबित हो सकती है। संयुक्त अरब अमीरात में इन अकादमियों में से अधिकांश में फीस 1500-2,000 Dh (दीनार) प्रति माह के बीच कहीं भी होती है और आमतौर पर समय पर आठ प्रशिक्षण सत्रों के लिए होती है। पांच महीने तक के क्रिकेट सीजन के दौरान, इन अकादमियों में प्रशिक्षण की लागत एक युवा खिलाड़ी के लिए 10,000 तक पहुंच सकती है।
जब क्रिकेटिंग गियर (cricketing gear), उपकरण और यात्रा की लागत को ध्यान में रखा जाता है, तो किसी भी महत्वाकांक्षी युवा क्रिकेटर के माता-पिता को एक सीजन के दौरान करीब Dh20,000 खर्च करना पड़ सकता है। हर आयु वर्ग में कड़ी प्रतिस्पर्धा के साथ, केवल अकादमियों में प्राप्त प्रशिक्षण ही पर्याप्त नहीं होता है। अतिरिक्त कुशल बनने के लिए, खिलाड़ियों को इन दिनों अपनी फिटनेस और पोषण का भी विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ती है। पहले यह माना जाता था की गोल्फ (Golf) की तुलना में, क्रिकेट एक गरीब आदमी का खेल होता है। लेकिन यह अब सच नहीं है, क्यों की आज भारत में, सामान्य पृष्ठभूमि के लोग भी लगभग 40,000 INR (Dh2,000) के बल्ले खरीद रहे हैं। "वे महीनों तक बचत करते हैं ताकि वे इस उपकरण को खरीद सकें, क्योंकि सही उपकरण और बैट होने से निश्चित रूप से खेल में मदद मिलती है।"
समय के साथ, खेल सीखने से जुड़ी बढ़ती लागत का जोखिम युवाओं और उनके माता-पिता के लिए बढ़ताजा रहा है। आज क्रिकेट कोई ऐसा खेल नहीं है, जिसे आप हल्के में ले सकते हैं। यदि एक अरब लोग इसे खेल रहे हैं, तो केवल 1,000 या शायद 100 ही शीर्ष पर पहुंचेंगे।
जानकार सुझाव देते हैं की, "भविष्य के बारे में चिंता करना अच्छा है, लेकिन आपको वर्तमान में जीना होगा।” क्रिकेट को करियर के तौर पर चुनने से पूर्व "एक छात्र के रूप में, यह सुनिश्चित कर लें कि आपने अपना कॉलेज समाप्त कर लिया है। इसलिए क्यों की यदि क्रिकेट का फार्मूला आपके लिए काम नहीं करता है, तो आप अपनी पढाई के बल पर नौकरी की तलाश कर सकते हैं। एक क्रिकेटर उच्चतम स्तर पर अपनी पहचान तब तक नहीं बना सकता, जब तक कि उसे राष्ट्रीय टीम में नहीं चुना जाता। यही तथ्य क्रिकेटरों के श्रम बाजार को इतना खास बना देता है। अर्थशास्त्री इसे एकाधिकार कहते हैं। आप या तो राष्ट्रीय टीम में खेलने के लिए चुने जाते हैं, या आप गुमनामी में ही रह जाते हैं। इसके अलावा कोई भी अन्य विकल्प फ़िलहाल में नहीं है। दुर्भाग्य से अगर कोई युवा राष्ट्रीय टीम में चयनित नहीं होता है, तो उस क्रिकेटर के पास कोई भी अन्य विकल्प नहीं होता है। इसलिए जरूरी है की क्रिकेट को शौक-शौक में करियर मान लेने से पूर्व, हम उसकी तैयारी पर होने वाले आर्थिक खर्च की भी गढ़ना कर लें।
संदर्भ
https://bit.ly/3Ww0Dmz
https://bit.ly/3SWg6t2
https://bit.ly/3Ti2pVD
https://bit.ly/3DxMJHK
चित्र संदर्भ
1. क्रिकेट के अभ्यास को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. आईपीएल के लोगो को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. चिन्नास्वामी स्टेडियम को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. क्रिकेट प्रेमियों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. क्रिकेट के फील्ड स्टाफ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. मोबाइल में क्रिकेट मैच को दर्शाता एक चित्रण (PixaHive)
6. KKR के निवेशकों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
7. हजारों की संख्या में दर्शकों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
8. आईपीएल के प्रेमियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
9. बंगाल क्रिकेट अकादमी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
10. क्रिकेट की शारीरिक ट्रेनिंग को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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