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रामपुर के नवाबों के ठाठ-बाट, लज़ीज़ व्यंजनों के बिना फीके-फीके से प्रतीत होते थे। यहां पर आपको न केवल स्वादिष्ट, बल्कि कई ऐसे व्यंजनों की लंबी सूची भी मिल जाएगी जो, अपनी पाक सामग्री एवं अनूठे स्वाद के लिए विशेषतौर पर पहचानते जाते हैं। गोश्त हलवा, मच्छी का हलवा, मिर्ची का हलवा और मांसाहारी मिठाइयां ऐसे ही कुछ स्वादिष्ट उदारहण हैं।
रामपुरी व्यंजन, भारत के सर्वोत्कृष्ट दरबारी व्यंजन माने जाते हैं। यहां हर व्यंजन को शाही रसोई के खानसामाओं द्वारा सदियों से गुप्त रूप से संरक्षित किया गया है और इनमें से हर व्यंजन की अपनी एक कहानी है।
रामपुर के शाही व्यंजनों का इतिहास हमें सन 1774 के समय में वापस ले जाता है, जब फ़ज़ीउल्लाह खान ने ब्रिटिश कमांडर, कर्नल चैंपियन (Colonel Champion) के संरक्षण में इस शहर की स्थापना की थी। इस अवधि के दौरान, आसपास के क्षेत्रों से कई रसोइया भी महाराजाओं और नवाबों की सेवा के लिए रामपुर आ गए। मुगल व्यंजन, उत्तर भारत और मध्य एशिया में खाना पकाने की शैलियों के संयोजन का उपयोग करने के लिए काफी प्रसिद्ध हैं। रामपुरी व्यंजन, जो मुगलई व्यंजनों का एक अभिन्न अंग है, वह भी अफगानी, लखनवी, कश्मीरी और अवधी जैसे विभिन्न व्यंजनों से भी काफी प्रभावित हुआ है। लेकिन, प्रसिद्ध लखनवी या अवधी व्यंजनों के घी से भरे स्वाद और मलाईदार बनावट के विपरीत, हमारा रामपुरी भोजन अपनी सादगी और अनोखे स्वाद के लिए काफी प्रसिद्ध है। "एक ओर जहां लखनवी व्यंजन अधिक शक्कर और दही का उपयोग करते हैं, वहीं रामपुरी व्यंजन बहुत अधिक मात्रा में धनिया और पीली मिर्च का उपयोग करते हैं।"
रामपुर में शेफ (Chef) भूरा खान साझा करते हैं, की वह अपने पिता से बेहद प्रभावित थे जिन्होंने शाही घराने के लिए खाना बनाना शुरू कर दिया और फिर नवाब के ख़ास बन गए। रामपुर के अन्य शाही रसोइए, शेफ (बावर्ची) महफूज कुरैशी जी भी अपने दादा और परदादा की पाक कला विशेषज्ञता से प्रभावित थे। जब वह शाही रसोई में अपने पिता के साथ शामिल हुए, तो उनके खाना पकाने के कौशल ने उन्हें नवाब काज़ियाली खान से भी प्रशंसा दिलाई, जिन्होंने उन्हें अपने निजी रसोइये के रूप में उन्हें काम पर रखा था। उनके अनुसार स्थानीय रूप से उगाए गए मसालों और सब्जियों का उपयोग रामपुरी व्यंजनों को अन्य व्यंजनों से अलग करता है। "कुछ स्थानीय मसाले जिनका वह अपने व्यंजनों में बहुत उपयोग करते हैं, उनमें सौंफ, धनिया, तेज पत्ता, जायफल, जावित्री, दाल चीनी, बदन खटाई, सफेद इलाइची और पीली साबुत मिर्च शामिल हैं, जो केवल रामपुर में ही उपलब्ध हैं।
रामपुरी व्यंजनों के बारे में एक और विशिष्ट तथ्य यह है कि प्रत्येक व्यंजन के लिए मसालों के एक विशेष मिश्रण का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, रामपुर में बिरयानी में अदरक, प्याज और जावित्री (गदा), जायफल और खस की जड़ों का मिश्रण होता है। इसी तरह, रामपुरी कोरमा की पहचान इसकी दमदार लाल शोरवे या ग्रेवी से होती है जो काजू से भरपूर सफेद ग्रेवी से बहुत अलग होती है। दिलचस्प बात यह है कि यह भी माना जाता है कि रसीले कबाब के लिए मांस को नरम करने के लिए लौकी और पपीते के उपयोग और साथ ही वर्क के उपयोग की खोज भी सबसे पहले रामपुरी की रसोई में ही हुई थी।
शाही दौर में प्रसिद्ध “रामपुरी हलवा” इस शहर के भोजन का सबसे आकर्षक पहलू था। यह एक ऐसी मिठाई थी जो बेहद अनोखी, आश्चर्यजनक लेकिन स्वादिष्ट थी। हलवा सबसे बहुमुखी व्यंजनों में से एक है, लेकिन रामपुर शहर के नवाबों ने जब रामपुरी पारंपरिक सामग्री का उपयोग करके नए स्वादों को लाने की कोशिश की, तो परिणाम स्वरुप , गोश्त हलवा, मच्छी का हलवा, मिर्ची का हलवा और अदरक का हलवा जैसे स्वादिष्ट व्यंजन अस्तित्व में आये।
गुजरे जमाने के ये व्यंजन आज भी लोकप्रिय हैं क्योंकि इन्हें बनाने की परंपरा खानसामों की पीढ़ियों से चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि नवाब खान के वंशजों में किसी को बीमारी से ठीक होने और स्वस्थ होने के लिए अदरक खाने की सलाह दी गई थी। लेकिन इसके तीखे स्वाद के कारण नवाब इससे बचने के बहाने ढूंढते थे। जिसके बाद शाही रसोई के रसोइयों ने अदरक की दैनिक खुराक दिलाने के लिए एक मिठाई तैयार कर दी। परोसे जाने पर नवाब को यह इतनी पसंद आई कि उन्होंने दो बार अदरक की मिठाई खाई और पता ही नहीं चला कि यह अदरक से बनी है! जल्द ही, अदरक का हलवा शाही परिवार में एक परंपरा बन गई।
लेकिन रामपुर का हलवा या मिठाइयां मांस से निर्मित एकमात्र व्यंजन नहीं हैं, बल्कि पश्चिम के अधिक दुर्लभ पाक वातावरण में भी मांस एक प्रमुख मिठाई बन गया है। उदाहरण के तौर पर तवुक गोसु एक तुर्की का दूध का मीठा हलवा है जिसे चिकन से बनाया जाता है। यह टॉपकापी पैलेस (Topkapi Palace) में सुल्तानों को परोसा जाने वाला एक स्वादिष्ट व्यंजन था, और अब यह तुर्की में एक प्रसिद्ध व्यंजन है। माना जाता है कि इस चिकन पुडिंग की उत्पत्ति रोमन रेसिपी संग्रह एपिसियस (Episeus) में हुई थी, जिसे बाद में पूर्वी रोमन साम्राज्य (बीजान्टियम “Byzantium”) और बाद में ओटोमन साम्राज्य (Ottoman Empire) में स्थानांतरित कर दिया गया। इसे बनाने के लिए मांस को उबालकर महीन रेशों में अलग करके या चिकना होने तक पीसकर नरम किया जाता है। मांस को दूध, चीनी, टूटे चावल और अन्य गाढ़ेपन के साथ मिलाया जाता है।
तवुक गोसु की भांति ही संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में फल-कीमा पाई (Fruit Mince pie) भी कीमा, फल, बीफ सूट (Beef Suet) और मसालों के मिश्रण से भरी अंग्रेजी मूल की एक मीठी पाई है। इसे पारंपरिक रूप से क्रिसमस के मौसम में अंग्रेजी बोलने वाले अधिकांश देशों में परोसा जाता है। इसकी सामग्री तेरहवीं वीं शताब्दी में खोजी गई थी, जब यूरोपीय क्रूसेडर (European Crusaders) अपने साथ मध्य पूर्वी व्यंजन पकाने की विधियों को लेकर आए, जिसमें मांस, फल और मसाले शामिल थे। प्रारंभिक कीमा पाई को "मटन पाई", "श्रिड पाई" और "क्रिसमस पाई" सहित कई नामों से जाना जाता था। आज कीमा पाई, आमतौर पर मांस के बिना भी बनाई जाती है जिसे यूनाइटेड किंगडम और आयरलैंड में कई लोगों द्वारा एक लोकप्रिय मौसमी उपचार माना जाता है।
संदर्भ
https://cutt.ly/qNcC8Xh
https://cutt.ly/vNcC6QS
https://cutt.ly/6NcVew0
https://en.wikipedia.org/wiki/Mince_pie
चित्र संदर्भ
1. मांसाहारी हलवे तथा अन्य मीठे शाही व्यंजन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. विविध व्यंजनों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. अदरक के हलवे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. हब्शी हलवे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. तवुक गोसु को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. फल- कीमा पाई को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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