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इंसानी शरीर हाथी, गैंडा, जिराफ या शेर जैसे कई जंगली जानवरों की तुलना में शारीरिक तौर पर काफी कमज़ोर होता है। किंतु अपनी तेज़ बुद्धि एवं चतुरता के बल पर आज इन खूखार जानवरों के बीच भी हम, न केवल जीवित हैं, बल्कि हमने अपने से कई गुना शक्तिशाली जानवरों को अपना गुलाम भी बनाया है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की यदि ऐसे जानवर भी इंसानों की भांति तीव्र बुद्धि विकसित कर लें तो क्या होगा?
पशु बुद्धि को बढ़ाने का विचार उतनी भी दूर की कौड़ी नहीं है, जितना की प्रतीत होता है। बुद्धि और जीन (Gene) के बीच संबंधों के संदर्भ में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Massachusetts Institute of Technology) में एन ग्रेबील (Ann Grebeel) और उनके सहयोगियों द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में टीम ने आनुवंशिक रूप से चूहों के शरीर में FOXP2 (एक जीन जिसे मानव मस्तिष्क की भाषा सीखने और संसाधित करने की क्षमता से जोड़ा जाता है।) का डोज दिया। यह देखने के लिए कि क्या यह कृन्तकों की सीखने की क्षमता में भी सुधार करेगा। अध्ययन के दौरान जब चॉकलेट दूध का इनाम पाने के लिए FOXP2 जीन वाले चूहों को एक भूलभुलैया में डाला गया, तो उन्होंने बिना मानव जीन वाले चूहों की तुलना में तेजी से मार्ग ढूंढ लिया। यह परिणाम हमारे प्रागितिहास में अनुवांशिक परिवर्तनों को समझने में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए रोमांचक हैं जिसने हमें बुद्धिमान या "सैपिएंट" वानर बनने में मदद की।
अतीत में हम विज्ञान कथाओं या फिल्मों में उत्थान (किसी जानवर के भीतर बुद्धि के विकास!) के बारे में देख चुके हैं। इस विषय पर सबसे बड़ी फिल्मों में से एक "डॉन ऑफ द प्लैनेट ऑफ द एप्स (Dawn of the Planet of the Apes) " में वैज्ञानिकों द्वारा अल्जाइमर का इलाज खोजने की उम्मीद में, परीक्षण विषयों से निकले बुद्धिमान प्राइमेट (Intelligent Primates) की सभ्यता के विकास को दर्शाया गया है।
हालांकि हम पशु उत्थान के युग में पहले ही प्रवेश कर चुके हैं। इंस्टीट्यूट फॉर एथिक्स एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (Institute for Ethics and Emerging Technologies) के जॉर्ज ड्वोर्स्की (George Dvorsky) के अनुसार "विज्ञान कथा या फिल्मों में जिस स्तर का उत्थान या जानवरों की बुद्धि का विकास दिखाई देता है, उसके लिए आज हमारे पास मौजूद किसी भी चीज़ की तुलना में कहीं अधिक उन्नत तकनीकों की आवश्यकता होगी।" लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अंततः इन तकनीकों को विकसित नहीं करेंगे। वास्तव में यह मुख्य रूप से हमें मनुष्यों में संज्ञानात्मक समस्याओं के बारे में जानने के लिए जानवरों का उपयोग करने की अनुमति देंगे, जिसमें अल्जाइमर जैसे न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार (Neurodegenerative Disorders) शामिल हैं।
कई तकनीकी फर्मों ने, तंत्रिका प्रत्यारोपण प्रौद्योगिकी के निर्माण के महत्वाकांक्षी प्रयासों की घोषणा के बाद काफी सुर्खियां बटोरीं। ड्यूक विश्वविद्यालय के न्यूरोसाइंटिस्ट मिखाइल लेबेदेव (Neuroscientist, Mikhail Lebedev) के अनुसार प्रौद्योगिकी, साथ ही साथ अन्य औषधीय और आनुवंशिक इंजीनियरिंग दृष्टिकोण, हमें निश्चित रूप से अगले कुछ दशकों में किसी बिंदु पर अपनी मानसिक क्षमताओं को बढ़ावा देने की अनुमति देंगे।
इंस्टीट्यूट फॉर एथिक्स एंड इमेजिंग टेक्नोलॉजीज (Institute for Ethics and Imaging Technologies) में राइट्स ऑफ नॉन ह्यूमन पर्सन प्रोग्राम (Rights of Non Human Person Program) के निदेशक जॉर्ज ड्वोर्स्की (George Dvorsky) जैसे अन्य लोग यह दावा करते हैं कि जानवरों में बुद्धि का विकास करना एक नैतिक अनिवार्यता है। जानवरों को संवर्धित तकनीक से वंचित करना उतना ही अनैतिक होगा जितना कि मनुष्यों के कुछ समूहों को बाहर करना।
हालांकि कुछ विशेषज्ञों की इस संदर्भ में अलग राय है जैसे फोर्ब्स के एलेक्स कन्नप बताते हैं कि जानवरों के उत्थान के लिए तकनीक विकसित करने के लिए बहुत अधिक आक्रामक पशु अनुसंधान की आवश्यकता होगी, जो उन जानवरों के लिए भारी पीड़ा का कारण बनेगी। उत्थान के प्रयास अंत में बुद्धि बढ़ाने के बारे में कम और जानवरों को मानव-समान बनाने में अग्रसरहो सकते हैं। साथ ही जानवरों से इस तरह के हेरफेर जैव-नैतिकता वादियों के लिए एक गंभीर मामला बन सकते हैं। 2011 में, यूके में चिकित्सा विज्ञान अकादमी ने मानव सामग्री वाले जानवरों से जुड़े अनुसंधान की नैतिकता पर रिपोर्ट की, और मस्तिष्क तथा संज्ञानात्मक के लिए एक संपूर्ण खंड समर्पित किया।
ऐसी मूलभूत बाधाएं भी हैं जो जानवरों में मानव-स्तर की संज्ञानात्मक क्षमताओं को प्राप्त करना मुश्किल बना सकती हैं। 2013 में स्वीडिश शोधकर्ताओं ने चुनिंदा छोटी मछलियों के बड़े दिमाग का अवलोकन किया। उन्होंने पाया की इसने उन्हें होशियार बना दिया, और उन्होंने क्षतिपूर्ति के लिए कम संतान पैदा की, जो भविष्य में इनकी विलुप्ति में बड़ा योगदान अदा कर सकता है।
यह इस तथ्य पर प्रकाश डालता है कि, उत्थान करने वाले जानवरों को उनके दिमाग में सिर्फ बदलाव से ज्यादा की आवश्यकता हो सकती है। अर्थात हमें उनके शारीरिक विज्ञान की पूरी तरह से रीवायरिंग करनी होगी जो तकनीकी रूप से मानव मस्तिष्क वृद्धि की तुलना में कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है। हमारी बुद्धि हमारे विकासवादी इतिहास से घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई है। हमारा दिमाग अन्य जानवरों की तुलना में बड़ा है, जिसके कारण अंगूठे हमें उपकरणों का उपयोग करने की अनुमति देते हैं अथवा हमारे वोकल कॉर्ड (Vocal Chords) जटिल संचार को संभव बनाते हैं। लेकिन आप गाय के मस्तिष्क को कितना भी बड़ा कर लें, फिर भी वह एक पेंचकस का उपयोग नहीं कर पायेगी या आपसे हिंदी में बात नहीं कर पायेगी, क्योंकि उसके शरीर में उस स्तर की मशीनरी ही नहीं है।
संदर्भ
https://cutt.ly/7NgkftY
https://cutt.ly/cNgkg4T
https://cutt.ly/dNgkjxE
चित्र संदर्भ
1. डॉन ऑफ द प्लैनेट ऑफ द एप्स के मुख्य किरदार को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. FOXP2 (एक जीन जिसे मानव मस्तिष्क की भाषा सीखने और संसाधित करने की क्षमता से जोड़ा जाता है।) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. डॉन ऑफ द प्लैनेट ऑफ द एप्स को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. मनुष्य के तंत्रिका तंत्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. विभिन्न जीवों के मष्तिष्क की तुलना को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. चूहे की चुनौती को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
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