रामपुर का इलाका पहले बहुत घने जंगलों से घिरा था जिस कारण यहाँ कई प्रकार के प्राणी तथा पक्षी पाए जाते थे। जंगली सूअर, नीलगाय, तेंदुआ जैसे प्राणी, कोब्रा, अजगर, नाग, पनिया, दुम्नी जैसे सांप आदि के साथ-साथ तीतर, बटेर, सुरखाब, बत्तख, कोयल, शमा, खंजन आदि पक्षी भी पाए जाते थे। मगर नवाबों का शिकार के प्रति उत्साह और शहरीकरण की वजह से यहाँ के जंगल और उसके जीव जगत में दिन ब दिन कमी आती गयी। रामपुर के नवाबों को पंछियों की शिकार में भी काफी दिलचस्पी थी लेकिन वे बहुत से पक्षी लड़ाई करवाने के लिए भी रखते थे जैसे तीतर, बटेर और जंगली मुर्गा। रामपुर स्टेट गज़ेटियर में इसका उल्लेख है। रबी और खरिफ फसल के मौसम में बटेर बड़ी संख्या में पाए जाते थे। ख़ास उन्हें पकड़ने हेतु बनाए गए धागे के जाल में उन्हें फाँसा जाता था। बहुतसे बटेर आस-पास के तराई क्षेत्र में निर्यात किये जाते थे मगर कुछ बटेर लड़ाई के लिए रखे जाते थे। तीतर के दो प्रकार पायें जाते थे भूरा और काला जिसमे से भूरे रंग के तीतर को ख़ास लड़ाई के लिए पकड़ा तथा पाला जाता था। भूरा तीतर अपने मालिक से इस प्रकार से निष्ठा बनाए रखता है की जहाँ उसका मालिक जाए वहाँ वहाँ वह उसके पीछे चल पड़ता है। बहुत ज्यादा पैसा और कभीकभार तो लड़ाई करने वाले तीतर भी दावं पर लगाए जाते थे। रामपुर के पठान जंगली मुर्गा अथवा लड़ाकू मुर्गा पालते थे क्यूंकि उनका पालन व्यवसाय बड़ा ही किफ़ायती माना जाता था। ऐसी मान्यता थी की रामपुर के लड़ाकू मुर्गे आस-पास के क्षेत्र में सबसे उत्कृष्ट थे। ये सभी पक्षी ख़ास तौर पर सिर्फ लढाई के लिए पाले जाते थे और उसके लिए इन्हें ख़ास प्रशिक्षण दिया जाता था ताकि उनका आतंरिक बल और शक्ति लम्बी लड़ाइयों में बनी रहे। 1. गज़ेटियर ऑफ़ द रामपुर स्टेट ,1911 https://ia801605.us.archive.org/3/items/in.ernet.dli.2015.17099/2015.17099.Gazetteer-Of-The-Rampur-State.pdf 2. टेस्टोस्टेरोन एंड अग्रेशन: बर्टहोल्ड, बर्ड्स एंड बियॉन्ड: के.के. सोम https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2954190/ 3. https://countrysidenetwork.com/daily/poultry/feed-health/how-to-tame-aggressive-rooster-behavior/ 4. https://en.wikipedia.org/wiki/Galliformes
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