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हमारा मस्तिष्क प्रतिदिन नई चीजें सीखता है। ऐसा माना जाता है कि सीखने की क्षमता
मनुष्यों में सबसे अधिक होती है। पुस्तकें ज्ञान का भंडार होती हैं और हमें नई-नई चीजें
सिखाती हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि पुस्तकें हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग हैं।
पुस्तकों के संदर्भ में एक प्रश्न यह उठता है कि एक पुस्तक पढ़ते समय क्या हमारा दिमाग
मात्र अक्षरों और शब्दों को याद रखता है या पुस्तकों में दर्शाए गए चित्रों को भी याद रखता
है? वास्तव में हम शब्दों से ज्यादा चित्रों को आसानी से याद कर पाते हैं। हम पुस्तकों में
लिखे शब्दों का अनुवाद अपने दिमाग में चित्र के रूप में करते हैं। पढ़ना और देखना सीखने
के दो अलग-अलग तरीके हैं।
एक शोध के निष्कर्ष के अनुसार, मानव मस्तिष्क उन सभी
छवियों को संसाधित कर सकता है जिन्हें आंखें कम से कम 13 मिलीसेकंड तक देखती हैं।
इसके अलावा, यदि एक छवि को मात्र 13 मिली सेकंड के लिए दर्शाया जाए और उसके बाद
अगली छवि को आंखों के सामने लाया जाए तो मस्तिष्क का एक हिस्सा पहली छवि को 13
मिली सेकंड से अधिक समय तक संसाधित करता है। जब लोग किसी जानकारी को केवल
सुनते हैं तो 3 दिन बाद उस जानकारी का मात्र 10% ही याद रख पाते हैं परंतु यदि उस
जानकारी के साथ प्रासंगिक छवि को भी जोड़ा जाता है तो लोगों को 3 दिन बाद उस
जानकारी का 65% तक याद रहता है।
कई छात्रों को देखने से अधिक पढ़ना बेहतर लगता है। इसका कारण यह भी हो सकता है कि
सदियों से पुस्तकें ही ज्ञान का मुख्य स्रोत रही हैं। हालाँकि वर्तमान समय में टीवी (TV) और
वीडियो (Video) सैद्धांतिक रूप से समान ज्ञान प्रदान करते हैं। पढ़ने और देखने के मतभेदों
के बीच यह आवश्यक नहीं कि एक किसी दूसरे से बेहतर हो। वास्तव में यह स्थिति और
विषय पर निर्भर कर सकता है कि वह पढ़ने से अधिक बेहतर समझ में आता है या देखने
से। पढ़ना और देखना मस्तिष्क की दो अलग-अलग गतिविधियाँ हैं।
इनमें अंतर यह है कि
पढ़ना मस्तिष्क के अन्य क्षेत्रों को देखने की बजाय अधिक उत्तेजित करता है। यह सत्य है
कि देखने की तुलना में पढ़ने में अधिक समय लगता है। इसका कारण यह है कि वीडियो में
पुस्तकों की तरह सभी विवरण और बारीकियां नहीं होती हैं। शोधकर्ताओं और मनोवैज्ञानिकों
के अनुसार, पढ़ने से हमारी ध्यान केंद्रित करने की क्षमता, ध्यान अवधि, एकाग्रता और
स्मृति में वृद्धि होती है।
कोविड-19 महामारी के दौरान जब विद्यालय और महाविद्यालय आदि सभी शिक्षण संस्थान
बंद थे, तब सभी अध्यापकों और प्राध्यापकों ने मुद्रित पाठ्य पुस्तकों को छोड़ डिजिटल
(Digital) और मल्टीमीडिया कोर्सवर्क (Multimedia Coursework) की ओर रुख किया। कई
विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि कागज पर लिखे शब्दों और पाठों को सीखना स्क्रीन
(Screen) पर दिखाई देने वाले पाठों से अधिक सरल होता है। पुस्तक पर लिखे शब्दों को
पढ़ने और समझने के लिए मस्तिष्क को अधिक परिश्रम करना पड़ता है।
यही कारण है कि
पुस्तकों से ज्ञान प्राप्त करने से चीजें अधिक समझ में आती हैं और परीक्षा में अधिक अंक
प्राप्त किए जा सकते हैं। कागज और डिजिटल परिणामों के बीच विसंगतियां आंशिक रूप से
कागज के भौतिक गुणों से संबंधित हैं। कागज के साथ, अलग-अलग पृष्ठों के दृश्य भूगोल
के साथ-साथ हाथों पर पुस्तक को बिछाना होता है। लोग अक्सर अपनी स्मृति को इस बात
से जोड़ते हैं कि उन्होंने क्या पढ़ा है और यह पुस्तक में कहां पर और कौन से पृष्ठ पर
मौजूद है।
पढ़ने और सीखने की आधुनिक तकनीकों की बात करें तो पॉडकास्ट (Podcast) भी एक
तरीका है। इसमें व्याख्यानों को ऑनलाइन (Online) या ऑफलाइन (Offline) सुना जा
सकता है। वर्तमान समय में कई विद्यालयों में असाइनमेंट (Assignment) जिनमें पहले
मात्र पढ़ना शामिल था अब सुनने और देखने के साथ बदल गया है। वर्ष 2019 में, यूएस
(U.S.) और नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी फैकल्टी (Norwegian University Faculty) का सर्वेक्षण
करते हुए, यूनिवर्सिटी ऑफ स्टवान्गर (University of Stavanger) के प्राध्यापक ऐनी मैंगेन
(Anne Mangen) और सहयोगियों ने पाया कि 32% अमेरिकी फैकल्टी (Faculty) अब
पाठों को वीडियो सामग्री से बदल रहे हैं, और 15% ने ऑडियो के साथ बदलने की जानकारी
दी है।
पढ़ने और सीखने के डिजिटल माध्यमों के चलन में आधुनिक उपकरण जैसे किंडल (Kindle)
और कई ऑडियो एप्लीकेशन (Audio Applications) का विशेष योगदान है। इनके माध्यम
से कम समय में अधिक जानकारी सरलता से प्राप्त की जा सकती है। इनका एक और लाभ
यह है कि इनमें कई पुस्तकें और उनसे संबंधित सारी जानकारियाँ संरक्षित की जा सकती है,
जिसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता है। यह यात्रा के दौरान
पठन को आसान बनाता है। वहीं दूसरी ओर, अधिक पुस्तकों को एक स्थान से दूसरे स्थान
पर ले जाना एक जटिल कार्य है।
पढ़ने के शौकीन लोग अधिकतर पुस्तकों से पढ़ना ही अधिक पसंद करते हैं। पुस्तकों को
उधार लिया और दिया जा सकता है परंतु ई-बुक (e-book) के संबंध में ऐसा करना संभव
नहीं है। इसके अलावा यदि पुस्तक पढ़ने के साथ-साथ शब्दों को दोहराया जाए और उन्हें
कागज पर लिखा जाए तो पाठ को समझने और स्मरण रखने की संभावना 70% तक बढ़
जाती है। वही मात्र पढ़ने से वह पाठ 50% तक ही याद रहने की संभावना होती है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3cs1qT8
https://bit.ly/3PXppaD
https://bit.ly/3e5VFeg
https://bit.ly/3RkAfIY
चित्र संदर्भ
1. डिजिटल मीडिया बनाम पुस्तक को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. इंसानी दिमाग में यादों को दर्शाता एक चित्रण (Free SVG)
3. किताबें पढ़ते बच्चों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. इलेक्ट्रॉनिक पुस्तक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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