मानव का उसके वातावरण और आस पास के जीवजगत से सहजीवी रिश्ता है। मनुष्य जब भ्रमंती छोड़ एक जगह पर कृषि कर के बसने लगा तब से और उससे पहले भी प्राणीपालन कर रहा था। पुरातत्व-प्राणी विज्ञान ने प्राणी पालन के तीन उद्देश्य दिए हैं: 1. साथ देने वाला प्राणी जैसे कुत्ता, बिल्ली। 2. खाद्य के तौर पर पाला जाने वाला प्राणी जैसे मुर्गी, भेड़-बकरी, सूअर आदि। 3. वातावरण के हिसाब से तथा बोझा ढोने, यात्रा हेतु उपयुक्त प्राणी जैसे ऊंट, घोडा, गधा आदि। पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार मुर्गियों को 8000-4000 साल पहले चीन और आशियाई उपमहाद्वीप में खाद्य हेतु (अंडे, मांस के लिए) पालतू बनाया गया। रामपुर में आज मुर्गी पालन एक फायदेमंद व्यवसाय माना जाता है। सी डेप रिपोर्ट के अनुसार रामपुर में ज़िले के स्तर पर करीब 4,43,181 मुर्गियां हैं और उत्तर प्रदेश, देश में अंडा उत्पादन (8135.1 लाख) में 7 वे स्थान पर है। मुर्गी पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बहुत सारी योजनाएं शुरू की हैं जिनके अंतर्गत पोल्ट्री फार्म या मुर्गी एवं अंडे का व्यवसाय करने के लिए सरकार सहायता करती है और लोन भी उपलब्ध कराती है तथा मुर्गी पालन प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित कर रही है। खास करके किसानो को यह व्यवसाय करने के लिए सरकार बढ़ावा दे रही है। 1. सी डेप रामपुर 2007 2. आर्कियोलॉजी ऑफ़ फ़ूड: आन एन्क्ल्यक्लोपेडिया: कारेन बेशेरेर मेथेनी, मैरी सी.बीयूड्री 3. https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_domesticated_animals 4. डोमेस्टिकेशन- नेशनल जियोग्राफिक https://www.nationalgeographic.org/encyclopedia/domestication/ 5. टेम्ड: टेन स्पीशीज दाट चेंज्ड अवर वर्ल्ड- ऐलिस रोबर्ट्स
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