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शिव एक सार्वभौमिक ईश्वर हैं, अर्थात ऐसा ईश्वर जिसका विस्तार किसी एक धर्म तक सीमित नहीं है।
शिव की वेशभूषा ऐसी है कि प्रत्येक धर्म (मुशरिक, यजीदी, साबिईन, सुबी, इब्राहीमी) के लोग उनमें अपने
प्रतीक ढूंढ सकते हैं। शिव के शिष्यों के साथ एक ऐसी परंपरा की शुरुआत हुई, जो आगे चलकर शैव, सिद्ध,
नाथ, दिगंबर और सूफी संप्रदाय में विभक्त हो गई।
भगवान शिव निष्पक्ष हैं, उन्हें असुर, दानव, राक्षस, पिशाच, गंधर्व, यक्ष आदि सभी पूजते हैं। वे रावण को भी
वरदान देते हैं, और राम को भी। उन्होंने भस्मासुर, शुक्राचार्य आदि कई असुरों को वरदान दिया था। शिव,
सभी आदिवासी, वनवासी जाति, वर्ण, धर्म और समाज के सर्वोच्च देवता हैं। हालांकि शिव सदा ही अपने
भक्तों को प्रसन्न रखतें हैं। लेकिन पूरे वर्ष में कुछ चुनिंदा मोके ऐसे भी आते हैं, जब भक्त भी भगवान शिव
को त्वरित प्रसन्न कर सकते हैं! महाशिवरात्रि का पावन पर्व भी ऐसे ही अवसरों में से एक है।
महाशिवरात्रि एक प्रसिद्ध हिंदू त्योहार है, जो हर साल विनाश और उत्थान के हिंदू देवता भगवान शिव की
स्मृति में मनाया जाता है। शिवरात्रि प्रत्येक चंद्र मास की 13वीं रात और 14वें दिन शिवरात्रि मनाई जाती है।
शिवरात्रि तो प्रायः हर महीने आती है, लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का
पावन उत्सव मनाया जाता हैं।
महाशिवरात्रि का त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता है, और इस दिन भारत के अधिकांश राज्यों में छुट्टी
होती है। साथ ही यह मॉरीशस और नेपाल में भी इस दिन सार्वजनिक अवकाश होता है। यह त्योहार सर्दियों
के अंत और गर्मियों के आगमन का प्रतीक है ,और हिंदू धर्म में एक प्रमुख अवलोकन है। महाशिवरात्रि का
उल्लेख कई पुराणों (हिंदू साहित्य) में किया गया है जो इस त्योहार के विभिन्न संस्करणों को प्रस्तुत करता
है।
महा शिवरात्रि वह रात है जब शिव ने तांडव नृत्य, मौलिक सृजन, संरक्षण और विनाश का नृत्य किया था।
विश्वासियों के अनुसार, इसने दुनिया को विनाश से बचाया। कई हिंदू विद्वानों का मानना है कि महा
शिवरात्रि वह दिन था, जब शिव ने दुनिया की रक्षा के लिए जहरीले विष को पिया था।
इस अवसर पर, देशभर के भक्त मंदिरों में भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं, और 'ओम नमः शिवाय'
और 'हर हर महादेव' के मंत्रों की गूंज सुनाई देती है। पवित्र रात्रि में सभी शिव मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना
की जाती है। पारंपरिक अनुष्ठानों के बाद, भक्त उपवास करते हैं और शिव के एक प्रतिष्ठित प्रतिनिधित्व
'शिवलिंग' की पूजा भी करते हैं।
महा शिवरात्रि के अवसर पर, भक्त शिवलिंग को 'रुद्र-अभिषेक' या विशेष अभिषेक देते हैं जहां वे 'शिवलिंग'
को विभिन्न पदार्थों से स्नान कराते हैं और उनमें से प्रत्येक का एक विशिष्ट महत्व होता है। रुद्र-अभिषेक
के लिए भक्त जल, दही, गन्ने की चाशनी, दूध, शहद,धतूरे के फूल और फल और अन्य चीजों का उपयोग
करते हैं। यह अधिकांश त्योहारों के विपरीत, रात में मनाया जाता है और यह एक लोकप्रिय उत्सव है। यह
त्योहार विनाश के स्वामी शिव और सुंदरता की देवी - पार्वती, जिन्हें शक्ति (शक्ति) के रूप में भी जाना
जाता है के भव्य विवाह के जश्न के उपलक्ष में मनाया जाता है।
शिव और शक्ति की जोड़ी को प्रेम, शक्ति और एकजुटता का प्रतीक माना जाता है। उनके बंधन की शुरुआत
का त्योहार - 'महा शिवरात्रि' - पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। जैसे:
1. मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश प्रांत में खजुराहो के शिव सागर तालाब में स्नान करना पुरानी परंपरा मानी जाती
है। तालाब के पास एक भव्य शिव मंदिर है, जहां लोग भगवान की पूजा करते हैं। राज्य के बुंदेलखंड क्षेत्र में,
भारी संख्या में तीर्थयात्री भगवान के दर्शनों हेतु मतंगेश्वर मंदिर जाते हैं।
2. पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल में महा शिवरात्रि पर, भगवान शिव के उत्साही भक्त दिन भर उपवास
रखते हैं। श्रद्धालुओं द्वारा शिवलिंग की चार अलग-अलग समय पर पूजा की जाती है। पहले अवसर पर
शिवलिंग को दूध से नहलाया जाता है। अगली बार शिवलिंग में दही विसर्जित किया जाता है। फिर तीसरी
बार लिंगम को घी से और फिर अंत में शहद से स्नान कराया जाता है। अगले दिन, भक्त भगवान की पूजा
करते हैं और लोगों को अपना उपवास तोड़ने के लिए भोजन परोसते हैं।
3. जम्मू और कश्मीर: जम्मू और कश्मीर राज्य में, महा शिवरात्रि उत्सव 21 दिनों या तीन सप्ताह के समय
तक चलता है। महाशिवरात्रि के अंतिम दिन परिवार के सदस्यों के बीच उपहारों का आदान-प्रदान करने की
परंपरा है।
4. कर्नाटक: कर्नाटक के दक्षिणी क्षेत्र में महाशिवरात्रि का उत्सव उत्साह के साथ मनाया जाता है।
लिंगायत, शिव पंथ के लोग, महाशिवरात्रि पर लिंगम की पूजा करते हैं। एक परंपरा के बाद, विवाहित
महिलाएं अपने शरीर पर सोने या चांदी से बना लिंग पहनती हैं।
5. हिमाचल प्रदेश: हिमाचल प्रदेश के मंडी में स्थित भूतनाथ मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां देश में
सबसे बड़ी शिवरात्रि पूजा होती है। हर बार शिवरात्रि उत्सव पर, राज्य के राज्यपाल मुख्यमंत्री द्वारा
उद्घाटन समारोह में शोभा यात्रा निकाली जाती हैं। इस परंपरा की शुरुआत लगभग 500 साल पहले मंडी
के शाही परिवार ने की थी। इसी तरह आठ दिनों तक चलने वाले मेले का भी आयोजन किया जाता है, और
कई भारतीय और गैर-भारतीय कलाकार भी इसमें भाग लेते हैं।
6.रामपुर: रामपुर के भमरौआ में श्री पातालेश्वर महादेव शिव मंदिर में शिवरात्रि के शुभवसर पर
सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल देखने को मिलती है। जहां केवल हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिम भी शिव के
दर्शन करने आते हैं, प्रसाद चढ़वाते हैं और भंडारा ग्रहण करते हैं। मुस्लिम आबादी के बीच बने इस मंदिर का
निर्माण करीब 200 साल पहले रामपुर के तत्कालीन नवाब द्वारा करवाया था। रामपुर में स्थित यह एक
लोकप्रिय शिव मंदिर है, जहाँ सावन माह में लाखों श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना करने आते हैं और जलाभिषेक
करते हैं। रामपुर के ग्राम भमरौआ में स्थित इस मंदिर के स्थान पर पहले बंजर भूमि थी। सन 1788 में
लोगों को महादेव शिवलिंग का पता चला। 1822 में रामपुर के तत्कालीन नवाब अहमद अली खां ने यहां
पर मंदिर बनवाने की योजना तैयार की।
संदर्भ
https://bit.ly/3hpbVFU
https://bit.ly/359vZto
https://bit.ly/3vv3vom
https://bit.ly/2SOJWmh
https://bit.ly/2UXlhhT
https://bit.ly/3C5aVjK
https://en.wikipedia.org/wiki/Maha_Shivaratri
चित्र संदर्भ
1. शिवलिंग एवं हिन्दुमुस्लिम एकता को दर्शाता एक चित्रण (facebook, flickr)
2. शिव और पार्वती विवाह को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. शिवसागर सरोवर को दर्शाता चित्रण (flickr)
4. तिरुवनाइकावल (थिरुआनिका) में जम्बुकेश्वर मंदिर में एक शिव लिंग को दर्शाता चित्रण (youtube)
5. शिव पूजा को दर्शाता चित्रण (National Today)
6. शिवलिंग पूजा को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
7. हिमाचल प्रदेश के मंडी में स्थित भूतनाथ मंदिर को दर्शाता चित्रण (facebook)
8. रामपुर के भमरौआ में श्री पातालेश्वर महादेव शिव मंदिर को दर्शाता चित्रण (facebook "Pataleshwar Mahadev")
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