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भारत में विलुप्त हो रही है स्नेक चार्मिंग और सपेरे

लखनऊ

 22-01-2022 10:14 AM
रेंगने वाले जीव

भारत में स्नेक चार्मिंग (Snake charming) अब लगभग विलुप्त हो चुकी है। कई सपेरे बाजार के दिनों और त्योहारों के दौरान कस्बों और गांवों का दौरा करते हुए भटकते हुए दिखाई देते थे। एक समय था जब सपेरे भारतीय बाजारों और त्योहारों में आकर्षण का केंद्र हुआ करते थे, क्यों कि वे दुनिया के कुछ सबसे जहरीले सरीसृपों को नियंत्रित कर सकते थे तथा लोगों की भीड़को अपनी कला के जरिए भ्रमित कर सकते थे। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत 1972 में भारत में स्नेक चार्मिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। हालांकि पहले इस कानून का प्रवर्तन अपेक्षाकृत ढीला था, लेकिन पिछले एक दशक में अधिकारियों नेइस प्रथा पर नकेल कसना शुरू कर दिया है। लेकिन वास्तविकता यह भी है कि भारत की प्रतिष्ठित लोक कलाओं में से एक आज विलुप्त होती जा रही है।पशु-अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह कला क्रूरता पर आधारित है। परिणामस्वरूप आज नाग पंचमी पर भी इन दिनों सपेरे को ढूंढना आसान नहीं है। भारत को अपनी विभिन्न परंपराओं और अभ्यासों या प्रथाओं के लिए जाना जाता है, तथा इन्हीं अभ्यासों में से एक स्नेक चार्मिंग भी है।यह एक ऐसा अभ्यास है, जिसमें सपेरे एक पुंगी नामक यंत्र को बजाते हुए और उसे चारों ओर लहराते हुए एक सांप (अक्सर एक कोबरा) को सम्मोहित करते हुए नजर आते हैं। एक विशिष्ट प्रदर्शन में सांपों को संभालने के अलावा उनके साथ अन्य खतरनाक प्रदर्शन करना भी शामिल है।यह प्रथा ऐतिहासिक रूप से भारत में कुछ आदिवासियों का पेशा था लेकिन अब ऐसा नहीं है।पाकिस्तान (Pakistan),बांग्लादेश (Bangladesh), श्रीलंका (Sri Lanka),थाईलैंड (Thailand) और मलेशिया (Malaysia) जैसे देशों में भी स्नेक चार्मिंग का प्रदर्शन करने वाले कलाकार मौजूद हैं, तथा वहांस्नेक चार्मिंग की प्रक्रिया अभी भी होती है। स्नेक चार्मिंग की कला को एक प्राचीन तकनीक माना जाता है,जिसके बारे में यह कहा जाता है कि यह भारत में विकसित हुई है,विशेष रूप से उन उपचारकर्ताओं के माध्यम से जो एक कोबरा को सम्मोहित करने की उनकी क्षमता का प्रदर्शन करते थे। इस कला में एक सपेरा दिखाई देता है, जो अपने साथ एक टोकरी रखता है,तथा टोकरी के भीतर एक कोबरा होता है। फिर वह एक पुंगी या बांसुरी की मदद से सांप को आकर्षित या मुग्ध करता हुआ दिखाई देता है। यह ऐतिहासिक रूप से एक जादुई या धन्य कार्य माना जाता था जिसे कई उपचारकर्ता अपने स्थानीय समुदायों के आसपास प्रदर्शित करते थे।लेकिन सांप को सम्मोहित करने की वास्तविकता आपके विचार या अपेक्षा से थोड़ी अलग है। वास्तव में सांप यंत्र के शोर को नहीं सुन सकते।इसके बजाय वे पुंगी या बांसुरी या सपेरे पर ध्यान केंद्रित करते हैं, यह मानते हुए कि वह सपेरा उसके लिए खतरा है। इस प्रकार साँप वाद्य यंत्र और वादक की गतिपर पूरी नज़र रखता है।आज भारत में इस कला का प्रदर्शन करने वाले कलाकारों को ढूंढना मुश्किल हो गया है।विशेष रूप से इसलिए क्यों कि सांपों को अनेक सपेरों द्वारा खतरा होता है, तथा उन्हें संरक्षण प्रदान करने के लिए ऐसी गतिविधियों को प्रतिबंधित कर दिया गया है।अनेक सपेरे (हालांकि सभी नहीं) जंगली कोबरा या सांपों को जंगल से पकड़ लेते हैं और उनके जहरीले दांतों को निकाल देते हैं। इसके अलावा वे उनका मुंह भी बंद कर देते हैं ताकि वे कभी भी प्रदर्शन करने वाले पर प्रहार न कर सके। इसके बाद सांप बिना खाए पीये कई महीनों तक अपना अस्तित्व बचाने की कोशिश करता है, और अंततः मारा जाता है।एक बार जब सांप मर जाता है, तो प्रदर्शनकर्ता और अधिक सांपों को पकड़ने के लिए निकल जाता है। यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है, तथा सांपों का अस्तित्व संकट में आ जाता है।इसलिए इस अभ्यास पर भारत में प्रतिबंध लगाया गया है। हालांकि प्रतिबंध का नकारात्मक असर स्नेक चार्मिंग का अभ्यास करने वाले समुदायों या लोगों को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है।इस समुदाय के लगभग सभी परिवारकिसी न किसी तरह से सांपों को पकड़ने और संभालने में लगे हैं। आज ये लोग अपनी पारंपरिक आजीविका का अभ्यास करने में असमर्थ हैं।प्रतिबंध निवासियों को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए जंगली जानवरों को रखने या उनका उपयोग करने से रोकता है, तथा जो ऐसा करते हैं उन्हें या तो जेल भेजा जाता है या फिर उनसे भारी जुर्माना वसूला जाता है। इस अभ्यास का प्रदर्शन करने वाले इस कार्रवाई से नाराज हैं तथा उनका मानना है कि स्नेक चार्मिंग उनके इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। साथ हीउनका काम समुदाय की रक्षा करने में मदद करता है।यह उनकी आजीविका में बाधा डालता है।सपेरे का काम प्रतीकात्मक भीहै। पारंपरिक स्नेक चार्मिंग मेंसांप को बुराई का प्रतिनिधित्व करने वाला माना जाता है। माना जाता है कि अपने गीत के माध्यम से सपेरा बुराई के इस प्रतिनिधि का सामना करने और उसे वश में करने में सक्षम है। इस समुदाय से सम्बंधित युवा लोगों को अब यह लगता है कि इस अभ्यास कोई भविष्य नहीं है, इसलिए वे इस कला के अभ्यास को छोड़ रहे हैं।

संदर्भ:
https://bit.ly/3Atzo1r
https://bit.ly/3FEnRwV
https://n.pr/3qINk45
https://bit.ly/33riVyF
https://bit.ly/2ssKVz4
https://bit.ly/3qHfGf4

चित्र संदर्भ   
1.कलकत्ता, भारत में सांपों का प्रदर्शन करते स्ट्रीट शोमैन, को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2.वाराणसी भारत में सपेरे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3.एक गली में सपेरों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4.कोबरा को नचाते सपेरे को दर्शाता एक चित्रण (flickr)



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