आसमां में वो ताव कहां, जो हमसे छुड़ाए लखनऊ
लखनऊ हम पर फिदा है, हम फिदा-ए-लखनऊ
लखनऊ की स्थापना के समय के साथ ही इसे बड़ी सूझ-बूझ के साथ बनवाया गया था चाहे वो रूमी दरवाज़ा हो या बड़ा इमामबाड़ा। विश्व शहर निर्माण के विज्ञानी पैट्रिक गेडेस ने भी लखनऊ के निर्माण पर अपने विचार दिए हैं। लखनऊ के निर्माण व इसके नवाबी ठाट के भोजन या पाक कला एक प्रमुख भूमिका का निर्वहन करती है।
अवध अपने खाने के लिये विश्व में एक विशिष्ट स्थान बनाया है। अवध मांसाहार के साथ-साथ शाकाहार दोनो प्रकार के खाद्य पदार्थों के लिये जाना जाता है। यहाँ पर अपनी एक अलग खास नवाबी खानपान शैली है। इसमें विभिन्न तरह की बिरयानी, कबाब, शीरमाल, ज़र्दा, रुमाली रोटी, कोरमा, नाहरी कुल्चे, और वर्की परांठा, कचौरियाँ, विभिन्न प्रकार की दाल, सब्जियाँ और रोटियां आदि हैं, जिनमें काकोरी कबाब, गलावटी कबाब, पतीली कबाब, बोटी कबाब, घुटवां कबाब, और शामी कबाब प्रमुख हैं। लखनऊ के टुण्डे कबाब (गलावटी कबाब) सबसे मशहूर है क्युँकी इसको प्रथम बार बनाने वाला व्यक्ति एक हाँथ से दिव्याँग था, इसी कारण इस कबाब को टुण्डे कबाब कहा जाता है। टुंडे कबाब बनाने के लिये लगभग 100 प्रकार के मसालों का प्रयोग किया जाता है। यह इतने मुलायम होते हैं कि मुंह में जाते ही घुल जाते हैं। यदि कबाब और कोरमा के अलावाँ यहाँ पर बनायी जाने वाली दाल देखें तो प्रमुख निम्नलिखित हैं- अरहर दाल, बादशाह पसंद, सुल्तानी दाल, मास की दाल व खिचड़ी दाल प्रमुख हैं।
ऊपर लिखे मशहूर शेर के तीन दावेदार बताए जाते हैं। पहले नवाब वाजिद अली शाह। दूसरे शायर नासिख और तीसरे नौबत राय नज़र।
1- द क्लासिकल क्युसिन ऑफ लखनऊ- ए फूड मेमोयर: मिर्जा ज़ाफर हुसैन, 1980।