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धातुओं की खोज, मानव संस्कृति में कुछ सबसे बड़े क्रांतिकारी बदलावों का कारण बनी। आज
हमारी रसोई के बर्तनों से लेकर, गगनचुंबी इमारतों तक चारों ओर विभिन्न आकारों और प्रयोगों में
धातुएं मौजूद हैं। हालांकि आमतौर पर हम लोहे, ताबें और एल्युमीनियम जैसी धातुओं के देखते हैं
प्रयोग करते हैं। लेकिन कई ऐसी धातुएं भी है, जिनका प्रयोग हम विभिन्न उपकरणों एवं स्थानों में
करते हैं, पर हम उन्हें आसानी से पहचान नहीं पाते और ऐसी ही बहुपयोगी किंतु कम जानी गई
(विशेषतौर पर भारत में) धातु है, निकल (Nickel)!
निकल एक रासायनिक तत्व है जिसका प्रतीक "Ni" और परमाणु संख्या 28 है। यह चांदी के
सामान एक सफेद चमकदार धातु है, जिसमें हल्का सुनहरा रंग होता है। निकेल संक्रमण धातुओं से
संबंधित है और कठोर और तन्य धातु है। हालाँकि निकल के बड़े टुकड़ों पर ऑक्साइड की परत (oxide
layer) जम जाती है, जिस कारण केवल अंदर की धातु सुरक्षित रहती है। निकल ऑक्सीज़न के साथ
तेज़ी से रासायनिक अभिक्रिया (chemical reaction) कर लेता है, इस कारणवश पृथ्वी की सतह
पर निकल शुद्ध रूप में नहीं मिलता! और अगर मिलता है तो इसका स्रोत अंतरिक्ष से गिरे लौह
उल्का पिंड होते हैं।
निकल-लौह मिश्र धातु का प्रयोगपहली बार 3500 ईसा पूर्व के रूप में किया गया। निकेल को पहली
बार 1751 में एक्सल फ्रेड्रिक क्रोनस्टेड (Axel Fredrik Kronstadt) द्वारा एक रासायनिक तत्व के
रूप में वर्गीकृत किया गया था। निकेल युक्त उत्पाद हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका
निभाते हैं। अन्य सामग्रियों की तुलना में, निकल युक्त उत्पादों में बेहतर संक्षारण प्रतिरोध
(better corrosion resistance), उच्च और निम्न तापमान पर अधिक सहनशीलता और विशेष
चुंबकीय और इलेक्ट्रॉनिक गुणों की एक श्रृंखला होती है। इसलिए, अधिकांश निकल उत्पादन का
उपयोग मिश्र धातु तत्वों, कोटिंग्स, बैटरी और कुछ अन्य उपयोगों जैसे कि रसोई के सामान,
मोबाइल फोन, चिकित्सा उपकरण, परिवहन, भवन, बिजली उत्पादन और आभूषण के लिए किया
जाता है। स्टेनलेस स्टील (Stainless Steel) के लिए फेरोनिकेल (ferronicel) के उत्पादन में
(66%) निकल के उपयोग का प्रभुत्व है। इसका उपयोग अलौह मिश्र धातु (12%), मिश्र धातु
स्टील्स (5%), फाउंड्री (foundries) (3%) और बैटरी (2%) के उत्पादन में भी किया जाता है।
निकल-तांबा, स्टील्स, लोहा, तांबे, क्रोमियम, एल्यूमीनियम, सीसा, कोबाल्ट, चांदी, सोना और अन्य
तत्वों के साथ स्टेनलेस स्टील, कास्ट आयरन, इनकॉनल, इंकोलॉय, मोनेल, निमोनिक (Stainless
Steel, Cast Iron, Inconel, Incoloy, Monel, Nimonic) और अन्य मिश्र धातु बनाने के लिए
प्रयोग किया जाता है। साथ ही इसका प्रयोग गैस टर्बाइन, कुछ रासायनिक संयंत्रों, सिक्कों और
समुद्री इंजीनियरिंग में किया जाता है। इसके प्रमुख उत्पादों में प्रोपेलर, क्रैंकशाफ्ट और प्रीमियम
टगबोट्स के पतवार (Propellers, crankshafts and hulls of premium tugboats), मछली
पकड़ने वाली नावें और अन्य काम करने वाली नावें शामिल हैं। साथ ही निकल की मिश्र धातुओं का
व्यापक रूप से विमानन, जहाज निर्माण, रासायनिक उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक्स, चिकित्सा और ऊर्जा
उद्योग में भी उपयोग किया जाता है।
निकल बैटरी, बिजली उपकरण, परिवहन और आपातकालीन बिजली आपूर्ति में उपयोग किए जाने
वाले कई रिचार्जेबल बैटरी सिस्टम (rechargeable battery system) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा
है। इसके अलावा निकल का उपयोग फिल्टर, बाइंडर और कुछ अन्य उपयोगों के लिए किया जाता
है।
निकेल (Ni) लंबे समय से बैटरियों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता रहा है। आमतौर पर
निकल कैडमियम (NiCd) में और लंबे समय तक चलने वाली निकल मेटल हाइड्राइड (NiMH)
रिचार्जेबल बैटरी में प्रयोग किया जाता है, जो 1980 के दशक में सामने आई थी। 1990 के दशक के
मध्य में टोयोटा प्रियस (Toyota Prius) में वाहनों में NiMH बैटरी का पहला महत्वपूर्ण उपयोग
देखा गया।
बैटरियों में निकल का उपयोग करने का प्रमुख लाभ यह है कि यह कम लागत पर उच्च ऊर्जा
घनत्व और अधिक भंडारण क्षमता प्रदान करने में मदद करता है। यह हवा और सौर जैसे अस्थायी
नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से ऊर्जा उत्पादन को जीवाश्म ईंधन की तुलना में अधिक व्यवहार्य बना
रहा है।
इस बढ़ती बाजार हिस्सेदारी के कारण , बैटरी तकनीक भी आगे बढ़ रही है। सबसे अधिक उपयोग
की जाने वाली दो प्रकार की बैटरी, निकेल कोबाल्ट एल्युमिनियम (NCA) और निकल मैंगनीज
कोबाल्ट (NMC) क्रमशः 80% और 33% निकल का उपयोग करती हैं। एनएमसी के नए
फॉर्मूलेशन (Newer formulations of NMC) भी 80% निकेल के करीब पहुंच रहे हैं। अधिकांश
ली-आयन (li-ion) बैटरी अब निकल पर ही निर्भर हैं।
नई निकल युक्त बैटरी तकनीक अक्षय ऊर्जा स्रोतों से जुड़ी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों में भी भूमिका
निभा रही है। हवा या सूरज उपलब्ध होने पर पवन टर्बाइन या सौर पैनल (wind turbine or solar
panel) बिजली उत्पन्न करते हैं। आधुनिक बैटरी तकनीक इस ऊर्जा को आवश्यकता पड़ने पर
उपयोग के लिए संग्रहीत करने की अनुमति देती है।
प्रतिवर्ष निकल का सर्वाधिक खनन करने वाले प्रमुख देशों में इंडोनेशिया (760,000 टन),
फिलीपींस (320,000 टन), रूस (280,000 टन), न्यू कैलेडोनिया “New Caledonia” (200,000
टन), ऑस्ट्रेलिया (170,000 टन) के साथ दुनिया भर में 2.5 मिलियन टन से अधिक प्रति वर्ष
निकल खनन होने का अनुमान है। गैर-रूसी यूरोप में निकल का सबसे बड़ा भंडार फिनलैंड और
ग्रीस में स्थित है। इसके अलावा, व्यापक निकल स्रोत प्रशांत महासागर की गहराई में पाए जाते हैं।
भारत में प्राकृतिक संसाधन समूह वेदांता ने पहली बार गोवा में एक प्रमुख निकल और कोबाल्ट
उत्पादक निकोमेट (Nicomet) का अधिग्रहण किया है।
अधिग्रहण के साथ, वेदांत भारत का निकेल का एकमात्र उत्पादक बन गया। कंपनी के अनुसार यह
यह भारत के कार्बन तटस्थता लक्ष्यों का समर्थन करने की दिशा में एक कदम है। हाल के वर्षों में,
भारत के निकल और कोबाल्ट आयात का मूल्य लगातार बढ़ रहा है। महत्वपूर्ण खनिजों के
उत्पादन में वेदांत के प्रवेश के साथ, भारत इलेक्ट्रॉनिक कारों की बैटरी बनाने के लिए एक बेहतर
स्थान साबित होगा। निकेल, एक रणनीतिक खनिज, इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के लिए स्टेनलेस
स्टील और बैटरी के निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण इनपुट है। निकल और कोबाल्ट दोनों ही
भविष्य के खनिज माने जाते हैं, जो अक्षय और स्वच्छ ऊर्जा की ओर संक्रमण में अग्रणी भूमिका
निभाएंगे।
संदर्भ
https://bit.ly/3tjSCoi
https://bit.ly/3F5gAWV
https://bit.ly/3r5G3KE
https://en.wikipedia.org/wiki/Nickel#World_production
चित्र संदर्भ
1. निकल धातु को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
2. निकल धातु के परमाणु भार एवं क्रमांक को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
3. शुद्ध निकल से बने डच सिक्कों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. रिचार्जेबल एए निकल-मेटल बैटरी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. धातु पर वेदांता को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
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