मुरादाबाद के मेस्टन निवास रामपुर के मेस्टन गंज और कानपुर के मेस्टन रोड के नामकरण के पीछे की कहानी

लखनऊ

 14-05-2021 09:46 PM
वास्तुकला 1 वाह्य भवन

मेस्टन निवास का नाम जेम्स स्कॉर्गी मेस्टन के नाम पर रखा गया है जो की एक प्रमुख ब्रिटिश सिविल सेवक, वित्तीय विशेषज्ञ और व्यवसायी थे। उन्होंने 1912 से 1918 तक आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत के लेफ्टिनेंट-गवर्नर(Lieutenant Governor) के रूप में कार्य किया।
जेम्स स्कार्गी मेस्टन आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत के गवर्नर(Governor) होने के साथ-साथ सहसपुर बिलारी के राजा बहादुर के करीबी दोस्त भी थे। इस मित्रता के वजह से मिलने के लिए राज्यपाल का बार-बार मुरादाबाद आना जाना लगा रहता था, लेकिन उनके रहने के लिए मुरादाबाद में कोई उपयुक्त आवास नहीं था ,इसलिए, उनके मित्र राजा बहादुर ने 1909 में एक यूरोपीय गेस्ट हाउस के निर्माण को मंजूरी दी।
07 मार्च 1913 को, आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत के गवर्नर(Governor) द्वारा घर का उद्घाटन किया गया था और अपने पहले मेहमान, सर जेम्स स्कॉर्गी मेस्टन को सम्मानित करने के लिए मेस्टन निवास का नाम दिया गया था । हालांकि राजा के द्वारा जब भी मुरादाबाद का दौरा किया जाता तो वो अपने पुराने निवासस्थान पर ही रुकते थे | इसके बाद इस घर ने कई प्रख्यात विचारकों, सुधारकों,राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों की मेजबानी की और सभी ने आतिथ्य का आनंद लिया। द्वितीय विश्व युद्ध (1939 -1945) के दौरान इस घर को इटली के वरिष्ठ अधिकारियों को रखने के लिए उपयोग किया गया था, जिन्हें ब्रिटिश शाही सेना ने पकड़ लिया था और इस तरह युद्ध बंदी बन गए थे। यह 1945 के बाद की बात है कि सहसपुर बिलारी की रानी ने इस संपत्ति को अपने शहर के आवास के रूप में इस्तेमाल करने का फैसला किया। इस प्रकार स्वर्गीय रानी मेस्टन निवास में शिफ्ट होने वाली शाही परिवार की पहली सदस्य बन गईं और ऐसा करने पर घर को सहसपुर बिलारी हाउस के रूप में जाना जाने लगा। यह भवन अब युवराज सूर्य विजय सिंह द्वारा संचालित किया जाता है । इसे अब निवा नाम से जाना जाता है, जिसका मतलब पवित्रता है इसे सभी पुराने विश्व आकर्षण के साथ परिष्कृत किया गया है।
जैसा कि शाही निवास को हमेशा किसी न किसी हीरे के रूप में संदर्भित किया जाता है, इसके सात विशिष्ट रूप से डिजाइन किए गए बेडरूम को कीमती पत्थरों के नाम पर रखा गया है, जैसे: जैस्पर, एम्बर, पुखराज, सिट्रीन, जेड, मूनस्टोन और कोरल । इन कमरों में वर्तमान के साथ शाही अतीत का पूरी तरह से सामंजस्य बिठाया गया है। जैसा कि एक भोजन कक्ष में चेकरबोर्ड संगमरमर के फर्श और आलीशान सफेद चिमनी इसकी एक झलक पेश करते हैं।
इसकी सबसे बड़ी खासियत यह भी है की यहां यात्री घर जैसा महसूस होता है। इमारत चारों ओर से हरे-भरे पेड़ों से घिरा है। यह मुरादाबाद की हलचल से बचने और आधुनिक युग में एक पुरानी दुनिया की विरासत का अनुभव करने के लिए एक आदर्श स्थान है। जेम्स स्कार्गी मेस्टन ने 1891 में जेम्स मैकडोनाल्ड की बेटी जेनी से शादी की थी | लॉर्ड मेस्टन की मृत्यु अक्टूबर 1943 में हुई थी जब वो 78 वर्ष की आयु के थे और उसके बाद 1946 में लेडी मेस्टन की मृत्यु हो गई। कानपुर में मेस्टन रोड का नाम उनके सम्मान में रखा गया है। उनके दो बेटे थे, जिनमें से सबसे बड़े बेटे की बचपन में ही मृत्यु हो गई थी और दूसरे बेटे जिसका नाम डौग्ल था जो आगे चलकर व्यापार में सफल हुए | मेस्टन रोड का स्वतंत्रता संग्राम के साथ एक महत्वपूर्ण संबंध है। यह कांग्रेस का केंद्र है। तिलक हॉल मेस्टन रोड के उपनगरों में स्थित है। मेस्टन रोड को 1913 वर्ष में जनता के लिए खोला गया था |
रामपुर के मेस्टन गंज का नाम भी इन्ही के सम्मान में रखा गया था ,रामपुर के मेस्टन गंज का पिनकोड 244901 है इसमें शुरुवात के दो अंक 24 राज्य उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हैं, दूसरे दो अंक 49 जिले रामपुर का प्रतिनिधित्व करते हैं, और अंत में 01 पोस्ट ऑफिस मेस्टन गंज का प्रतिनिधित्व करता है

संदर्भ:-
http://nivah.in
https://bit.ly/3w52Tmz
https://bit.ly/2RiLBUj
https://bit.ly/2Rahq1L
https://bit.ly/3of71hf

चित्र संदर्भ
1. मेस्टन निवास का एक चित्रण (nivah.in)
2. मेस्टन बिल्डिंग पर जेम्स स्कॉर्गी मेस्टन के लिए पट्टिका का चित्रण (Wikimedia)
3. बेडरूम डिजाइन का एक चित्रण (nivah.in)
4. मेस्टन निवास का एक चित्रण (instagram/nivah.in)



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