यीशु मसीह द्वारा स्थापित ईसाई धर्म पूरे संसार में सर्वाधिक संख्या में अनुसरित किया जाने वाला धर्म है। मान्यताओं के अनुसार पूरे विश्व की लगभग 31.5 प्रतिशत, यानी 2.2 अरब जनसँख्या ईसाई धर्म का अनुसरण करती है। इसकी शुरुवात पहली सदी में फ़िलिस्तीन(Palestine) से हुई थी। ईसाई धर्म में पवित्र किताब बाइबल(Bible) का अनुसरण किया जाता है। इसी पुस्तक से धर्म की उत्पत्ति तथा इतिहास की जानकारी मिलती है। साथ ही इस पुस्तक में यीशु मसीह(Jesus Christ) के संदेश भी छपे हैं, जो की मनुष्य को जीवन जीने की राह दिखाते हैं।
यीशु मसीह को ईसाई धर्म के प्रवर्तक के रूप में माना जाता है। ये परमपिता परमेश्वर के पुत्र हैं, जो मनुष्यों को पाप तथा दुष्कर्मों से बचाने के लिए धरती पर आये थे। साथ ही उन्होंने सभी को शांति और अहिंसा के साथ जीवन यापन करने के संदेश भी दिए। यीशु ने यहूदियों को भी शांति का संदेश दिया। तथा समाज में धर्म के नाम पर फैल रहे आडम्बर को भी उजागर करने लगे। पुराणपंथी यहूदी धर्मगुरु उनकी इन प्रेम पूर्वक प्रवचनों से भड़क उठे। और उनके द्वारा भड़काए जाने पर रोमन के राज्यपाल ने यीशु को सूली पर चढ़ाए जाने का आदेश दे दिया। जिस दिन यीशु मसीह को सूली पर चढ़ाया गया उस दिन शुक्रवार था, जिसे आज
गुड फ्राइडे (Good friday) के नाम से मनाया जाता है। सूली पर चढ़ाए जाने के दो दिन बाद के रविवार को यीशु पुनर्जीवित हो गए। जिस आज ईस्टर सन्डे (Easter Sunday) के रूप में मनाया जाता है।
ऐसा माना जाता है, की जब यीशु को सूली पर लटकाए जाने लगा और अपनी मृत्यु से 3 घंटे पूर्व उन्होंने सात बेहद अनमोल वचन कहे थे। जिन्हे आज यीशु की सात अमरवाणियों से जाना जाता है।
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पहला वचन - “हे परमपिता परमेश्वर इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं।”
क्रॉस पर यीशु के इस प्रथम वचन में प्रत्येक व्यक्ति को क्षमा करने का संदेश दिया गया है। इस कथन में यीशु ने उन सभी को क्षमा करने की प्रार्थना की है, जो उन्हें सूली पर लटकाने तथा उस पूरे प्रकरण में शामिल थे।
● दूसरा वचन - “मैं तुझसे सत्य कहता हूँ कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा।”
इस कथन को "मुक्ति का वचन" भी कहा जाता है। अर्थात किसी दिन हम सभी एक साथ एक ही स्थान पर होंगे।
● तीसरा वचन - “हे स्त्री देख, तेरा पुत्र। देख, तेरी माता।”
इस कथन को "द वर्ड ऑफ़ रिलेशनशिप"(The Word of Relationship) भी कहा जाता है। यह वचन मूलतः माता और पुत्र के संबंध को इंगित करता है।
● चौथा वचन - “हे मेरे परमपिता परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?”
इस कहावत को लोग मुख्यतः पिता-पुत्र के बीच त्याग सम्बन्ध को लेकर देखते हैं। यहां यीशु को मानवता के पापों को मिटाने के लिए परमपिता परमेश्वर से दूर होना पड़ा।
● पांचवा वचन - “मैं प्यासा हूं।”
इस कथन को "द वर्ड ऑफ डिस्ट्रेस"(The Word of Distress) भी कहा जाता है।
● छठा वचन - “पूरा हुआ।”
इस कथन को पारंपरिक रूप से "द वर्ड ऑफ़ ट्रायम्फ"(the word of triumph) कहा जाता है,। इसे धार्मिक रूप से यीशु के सांसारिक जीवन से अंत की घोषणा के रूप में देखा जाता है।
● सातवां वचन - “हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूं।”
इस कथन को पारंपरिक रूप से "द वर्ड ऑफ रीयूनियन" (The word of reunion) कहा जाता है, यहाँ पर यीशु मुश्किलों में घिरे होने पर स्वयं को पूर्ण रूप से परमात्मा को सौंपने का सन्देश देते हैं।
यीशु द्वारा दिए गए यह सात वचन मानव जीवन को अपने सर्वोत्तम रूप में संचालित करने का सन्देश देते हैं। उत्तर प्रदेश में धर्म को पहली बार बादशाह अकबर के शासन काल में लाया गया। अकबर को एक धर्मनिरपेक्ष बादशाह समझा जाता था। 1857 के विद्रोह के दौरान, विद्रोह में कई भारतीय ईसाई मारे गए। आज उत्तर प्रदेश में ईसाई अल्पसंख्यक रूप में मौजूद हैं। आज उत्तर प्रदेश में अनेकों चर्च मौजूद हैं। जहां विधिवत ईसाई अनुयाई यीशु के संदेशों का अनुसरण करते हैं। उन चर्चों में से कुछ निम्नवत हैं।
● आल सेंट्स कैथेड्रल, अल्लाहाबाद (चर्च ऑफ नार्थ इंडिया)।(All Saints Cathedral, Allahabad (Church of North India))
● सेंट जूड्स श्राइन, झांसी (रोमन कैथोलिक)। (St. Jude's Shrine, Jhansi (Roman Catholic)
● होली ट्रिनिटी चर्च, इलाहाबाद। (Holy Trinity Church, Allahabad)
● जमुना चर्च, इलाहाबाद। (Jamuna Church, Allahabad)
● नानी कम्युनिटी चर्च, इलाहाबाद। (Nani Community Church, Allahabad)
● सेंट पीटर्स सीएनआई चर्च, इलाहाबाद। (Nani Community Church, Allahabad)
● कानपुर मेमोरियल चर्च। (Kanpur Memorial Church)
● सीएनआई ग्वालटोली चर्च, कानपुर। (CNI Gwaltoli Church, Kanpur)
● सेंट जॉन चर्च, मेरठ। (St. John's church, Meerut)
● सेंट जोसेफ कैथेड्रल, लखनऊ। (St. Joseph's Cathedral, Lucknow)
● क्राइस्ट चर्च, लखनऊ। (Christ Church, Lucknow)
उत्तर प्रदेश में प्रत्येक ईसाई पर्व उत्साह के साथ मनाये जाते हैं। लखनऊ की सभी चर्चों में गुड फ्राइडे (Good Friday) जैसे ईसाई त्योहारों के उपलक्ष में खास प्रार्थनाएं आयोजित की जाती हैं। साथ ही जिस समय काल के दौरान येशु मसीह सूली पर लटके हुए थे, अर्थात उनकी मृत्यु के ठीक तीन घंटे पूर्व जो सात वचन उनके द्वारा कहे गए थे, वही सात वचन प्रतिवर्ष गुड फ्राइडे के दिन ठीक उसी समय काल में दोहराए जाते हैं। और यीशु के द्वारा दिए गए बलिदानों को याद किया जाता है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3we3svg
https://bit.ly/3doO0nt
https://bit.ly/3fAGWqv
https://bit.ly/3ucSBzM
चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र में लखनऊ के ऑल सेंट्स गैरीसन चर्च को दिखाया गया है। (विकिपीडिया)
दूसरी तस्वीर पुनरुत्थान से पहले अंतिम क्षण दिखाती है। (प्रारंग)
तीसरी तस्वीर में सूली पर चढ़ने की जगह के चैपल को दिखाया गया है। (प्रारंग)