महा शिवरात्रि (Maha Shivaratri) एक वार्षिक त्योहार है जो हिंदू भगवान शिव (Shiva) को समर्पित है और यह त्यौहार भारत के आध्यात्मिक उत्सवों की सूची में सबसे महत्त्वपूर्ण है। अधिकांश हिंदू त्योहारों के विपरीत, जो दिन के दौरान मनाए जाते हैं, महा शिवरात्रि रात में मनाई जाती है। इसके अलावा, अधिकांश हिंदू त्योहारों में सांस्कृतिक रहस्योद्घाटन की अभिव्यक्ति शामिल होती है, जबकि महा शिवरात्रि एक महत्त्वपूर्ण घटना है जो अपने आत्मनिरीक्षण, उपवास, शिव का ध्यान, आत्म-अध्ययन, सामाजिक सद्भाव और शिव मंदिरों में एक पूरी रात जागरण पर केंद्रित है। इस उत्सव में जागरण, रात-रात भर की सजगता और प्रार्थनाओं को शामिल किया गया है, क्योंकि शैव हिंदू इस रात को अपने जीवन और दुनिया में शिव के माध्यम से “अंधकार और अज्ञान पर काबू पाने” के रूप में चिह्नित करते हैं। शिव को फल, बेल पत्ते, मिठाई और दूध चढ़ाया जाता है, कुछ लोग शिव की वैदिक पूजा के साथ पूरे दिन का उपवास भी रखते हैं, और कुछ ध्यान योग भी करते हैं। इस दिन शिव मंदिरों में, शिव के पवित्र मंत्र "ओम नमः शिवाय" का जाप किया जाता है। शिव भक्त शिव चालीसा के पाठ के माध्यम से भगवान शिव की स्तुति करते हैं।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह व्रत फाल्गुन महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि पर किया जाता है। चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव हैं। इसलिए हर महीने कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि पर भी शिवरात्रि व्रत किया जाता है, जिसे मास शिवरात्रि व्रत कहा जाता है। इस प्रकार सालभर में 12 शिवरात्रि व्रत किए जाते हैं लेकिन इनमें फाल्गुन महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी बहुत खास है। फरवरी या मार्च में आने वाली इस तिथि को महा शिवरात्रि के रुप में मनाया जाता है। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महा शिवरात्रि को सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन व्रत किया जाता है और मध्यरात्रि में शिवजी की पूजा की जाती है। लखनऊ में भक्त सुबह से ही भगवान शिव की आराधना और पूजन का उत्सव और महा शिवरात्रि मनाने के लिए उमड़ पड़ते है। भक्त बेल पत्र, धतूरा, फल, फूल, मेवे, मिष्ठान, दुग्ध सहित कई पूजन सामग्रियों के साथ शिव की पूजा करने के लिये मंदिरों में पहुंच जाते है। शहर के तमाम शिवालयों में भव्य सजावट की गई जाती है और झांकियां सजाई जाती है। यहां के लोगों का मानना है कि भगवान शिव को बेल पत्र और धतूरा चढ़ाने से भगवान जल्दी खुश हो जाते है। इसके साथ ही महा शिवरात्रि के दिन शिवलिंग का गंगाजल और दुग्ध से अभिषेक भी किया जाता है। श्रद्धालु भगवान को शहद, घी, दही, वस्त्र, मिष्ठान्न, फल, भांग, गन्ने का रस भी चढ़ाते हैं। कश्मीर शैव मत में इस त्यौहार को हर-रात्रि (Har-Ratri) और आम बोलचाल में 'हेराथ' या 'हेरथ' (Haerath or Herath) भी कहा जाता हैं।
महा शिवरात्रि के दिन लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर (इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि माता सीता को वनवास छोड़ने के बाद लखनपुर के राजा लक्ष्मण ने यहीं रुककर भगवान शंकर की अराधना की थी), कल्याण गिरि मंदिर, महाकाल मंदिर, कोनेश्वर महादेव मंदिर, बुद्धेश्वर मंदिर, स्वप्नेश्वर महादेव मंदिर, भंवरेश्वर मंदिर, छोटा-बड़ा शिवाला सहित शहर के सभी शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ जाती है। महा शिवरात्रि को हिंदुओं के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक त्योहारों में से एक के रूप में जाना जाता है। हर साल दुनिया भर के हिंदू इस त्यौहार के दौरान कई शिव मंदिरों का दर्शन करते हैं।
महा शिवरात्रि का उल्लेख कई पुराणों, विशेषकर स्कंद पुराण (Skanda Purana), लिंग पुराण (Linga Purana) और पद्म पुराण (Padma Purana) में मिलता है। इन मध्यकालीन युग शैव ग्रंथों में इस त्योहार से जुड़े विभिन्न संस्करणों का उल्लेख किया गया हैं, और लिंगम (Lingam) जैसे शिव के प्रतीकों के लिए उपवास, श्रद्धा का भी उल्लेख किया हैं। विभिन्न किंवदंतियों में महा शिवरात्रि के महत्त्व का वर्णन है। शैव मत परंपरा में एक किंवदंती के अनुसार, यह वह रात है जब शिव सृष्टि, संरक्षण और विनाश का स्वर्गीय नृत्य करते हैं। कहते है कि इस दिन भजनों और मंत्रों का जप, शिव शास्त्रों का पाठ और भक्तों के राग इस लौकिक नृत्य में शामिल होते हैं और भक्त हर जगह शिव की उपस्थिति को स्मरण करते हैं। इस त्योहार पर नृत्य परंपरा के महत्त्व की ऐतिहासिक जड़ें कोणार्क (Konark), खजुराहो (Khajuraho), पट्टदकल (Pattadakal), मोढेरा (Modhera) और चिदंबरम (Chidambaram) जैसे प्रमुख हिंदू मंदिरों से जुड़ी हैं। इन मंदिरों में हर वर्ष महा शिवरात्रि को नृत्य समारोहों होते है। चिदंबरम मंदिर में इस घटना को नत्यांजलि (Natyanjali) कहा जाता है, जिसका अर्थ है "नृत्य के माध्यम से पूजा" है, जो कि हिंदू पाठ प्रदर्शन कलाओं में नाट्य शास्त्र नामक सभी नृत्य मुद्राओं का चित्रण करने के लिए प्रसिद्ध है। एक अन्य कथा के अनुसार, इस दिन शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। महा शिवरात्रि वह दिन भी माना जाता है जब आदियोगी (adiyogi) या पहले गुरु ने अपनी चेतना को जीवन के भौतिक स्तर पर जागृत किया। तंत्र (Tantra) के अनुसार, चेतना के इस स्तर पर, कोई भी लक्ष्य अनुभव नहीं होता है और मन को स्थानांतरित किया जाता है। ध्यानी समय, स्थान और कार्य को पार कर जाता है। जब योगी मोक्ष को प्राप्त करता है, तो वह आत्मा की योगमय आत्मज्ञान की सबसे उज्ज्वल रात का प्रतीक होता है, जो समाधि या प्रकाश का अंतिम फल है।
एक और किंवदंती यह है कि समुद्र मंथन के समय विनाशकारी हलाहल नामक विष भी पैदा हुआ था। जिसे केवल भगवान शिव ही नष्ट कर सकते थे। भगवान शिव ने हलाहल नामक विष को अपने कंठ में रख लिया था। जहर इतना शक्तिशाली था कि भगवान शिव बहुत दर्द से पीड़ित हो उठे थे और उनका गला बहुत नीला हो गया था। उपचार के लिए, चिकित्सकों ने देवताओं को भगवान शिव को रात भर जागते रहने की सलाह दी। इस प्रकार, शिव को जागने के लिए, देवताओं ने अलग-अलग नृत्य और संगीत प्रस्तुत किये। शिवरात्रि इसी घटना का उत्सव है। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि जब मां गंगा पूरी ताकत से स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरीं, तो भगवान शिव ने उन्हें अपने जटाओं में पकड़ लिया, और उन्हें कई धाराओं के रूप में पृथ्वी पर छोड़ दिया। इससे पृथ्वी पर विनाश रूक गया। इसलिये श्रद्धांजलि के रूप में, इस शुभ रात को शिवलिंग को स्नान कराया जाता है। इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि निराकार भगवान सदाशिव मध्यरात्रि में लिंगबोध मूर्ति (Lingodhbhav Moorthi) के रूप में प्रकट हुए। इसलिए, लोग पूरी रात जागते हैं, भगवान की प्रार्थना करते हैं।
हम सभी जानते है कि एक अज्ञात और रहस्यमय ऊर्जा है जो हम सभी को चला रही है। वैज्ञानिक अभी तक इसे कोई नाम नहीं दे पाए हैं। हालांकि, संतों और भारतीयों ने इस अज्ञात ऊर्जा को शिव कहा है। शिव वह ऊर्जा है जो हर जीव को जीवित रखती है। इस प्रकार, शिव निर्जीव तथा सजीव सभी के अस्तित्व को संचालित करते हैं। महा शिवरात्रि हमारे अस्तित्व को याद करने और हमारी जागरूकता का एक उत्सव है। इस दिन हमें उपवास का पालन करना चाहिये, ध्यान करना चाहिये, ओम नमः शिवाय का जाप करना चाहिये, शिवलिंग की पूजा करनी चाहिये। उपवास शरीर को डिटॉक्स (Detox) करता है और मन की चंचलता को कम करता है। ध्यान करने से नक्षत्रों की स्थिति शुभ हो जाती है और मन को शांति प्राप्त होती है। ओम नमः शिवाय का जाप करने से आपकी ऊर्जा बढ़ती है और सभी पांच तत्वों में शांति, प्रेम और सद्भाव पैदा होता है जिससे आपके जीवन में आनंद की प्राप्ति होती है। शिवलिंग की पूजा और मंत्रों को सुनने से वातावरण में सकारात्मकता और पवित्रता आती है और नकारात्मक भावनाएँ दूर हो जाती है।
संदर्भ:
https://bit.ly/38tryb0
https://bit.ly/3rA8Shx
https://bit.ly/2OHy0nH
https://bit.ly/38qLsnj
चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र में भगवान शिव की मूर्ति को दिखाया गया है। (फ़्लिकर)
दूसरी तस्वीर में महाशिवरात्रि मेला दिखाया गया है। (फ़्लिकर)
तीसरी तस्वीर शिवरात्रि पर भीड़ को दिखाती है। (विकिपीडिया)