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विश्व भर में क्रिसमस (Christmas) को बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। संपूर्ण वर्ष कड़ी मेहनत, उतार-चढ़ाव, और कई चुनौतियों के साथ जीवन व्यतीत करने के बाद यह वह समय होता है जब लोग अपनी सभी चिंताओं को भूलकर त्योहार का आनंद लेते हैं। 25 दिसंबर को क्रिसमस यीशु मसीह के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, हालांकि यीशु की जन्मतिथि वास्तव में अज्ञात है। नए नियम के अनुसार यीशु का जन्म बेथलहम (Bethlehem) में अश्वशाला में हुआ था, जब सराय में कमरे उपलब्ध न होने की वजह से यूसुफ और मैरी ने वहां शरण ली थी। स्वर्गदूतों द्वारा तब इस खबर को चरवाहों तक पहुंचाया गया, जिन्होंने इसके बाद मसीह के जन्म का संदेश प्रसारित किया। भले ही बाइबल में जन्म की तारीख का उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन 4 वीं शताब्दी के शुरुआती या मध्य तक, पश्चिमी क्रिश्चियन चर्च द्वारा 25 दिसंबर को क्रिसमस रखा गया और पूर्व ने धीरे-धीरे उसी तारीख को अपना लिया। आज, क्रिसमस आमतौर पर 25 दिसंबर को ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian calendar) के अनुसार मनाया जाता है, हालांकि कुछ पूर्वी ईसाई चर्च (Church) अभी भी पुराने जूलियन कैलेंडर (Julian calendar) का पालन करते हैं, जिसके अनुसार क्रिसमस की तारीख ग्रेगोरियन कैलेंडर में 7 जनवरी से मेल खाती है।
हालांकि भारत में अन्य धार्मिक त्योहारों की तुलना में क्रिसमस एक छोटा त्योहार है, जो अन्य धर्मों के लोगों की तुलना में ईसाई (लगभग 2.3%) लोगों की संख्या के कारण है। भारत की जनसंख्या 1 बिलियन (Billion) से अधिक है और भारत में 25 मिलियन से अधिक ईसाई मौजूद हैं। भारतीय ईसाई समुदाय का सबसे बड़ा हिस्सा मुंबई में रहता है, जो मुख्य रूप से रोमनs कैथोलिक (Roman Catholic) हैं। गोवा (भारत का सबसे छोटा राज्य) में लगभग 26% लोग ईसाई हैं। भारत में पश्चिमी देशों की तरह, क्रिसमस के लिए सजावट 1 दिसंबर या क्रिसमस के आगमन पर शुरू हो जाती है। भारत के गिरिजाघरों को क्रिसमस की पूर्व संध्या में रोशनी और फूलों से खूबसूरत रूप से सजाया जाता है। यहां तक कि बाज़ार, स्थानीय स्टोर और मॉल (Stores & Malls) फूल और टिमटिमाती रोशनी से चमकते हुए दिखाई देते हैं। साथ ही कैथोलिकों द्वारा रात को सामूहिक रूप से एकत्रित होकर क्रिसमस का जश्न मनाया जाता है। इस दिन अलग-सलग व्यंजनों को बनाकर एक बड़ी दावत की जाती है और एक दूसरे को उपहार भी दिया जाता है। सार्वजनिक स्थानों को सजाया जाता है और चर्च को पॉइनसेसिया (Poinsettia) फूलों और मोमबत्तियों से सजाए जाता है। वहीं पारंपरिक क्रिसमस पेड़ होने के बजाय, एक केले या आम के पेड़ को सजाया जाता है (या जो भी पेड़ लोगों को सजाने के लिए मिल सकता है।)। कभी-कभी लोग अपने घरों को सजाने के लिए आम की पत्तियों का इस्तेमाल करते हैं। दक्षिणी भारत में, ईसाई अक्सर अपने पड़ोसियों को यह दिखाने के लिए कि यीशु दुनिया की रोशनी हैं, अपने घरों की छतों पर छोटे तेल के मिट्टी के दीपक जलाते हैं।
लखनऊ में सभी समुदायों के लोग क्रिसमस के त्यौहार को काफी धूम धाम से मनाते हैं। इसके अलावा, लखनऊ क्रिसमस समारोह क्रिसमस गीत के गायन के साथ शुरू होता है, जिसके बाद चर्च में प्रार्थना की जाती है और उपहारों का आदान-प्रदान किया जाता है। लखनऊवासी हज़रतगंज में क्रिसमस की शाम का आनंद लेना पसंद करते हैं, जिसे गंजिंग (Ganjing) के नाम से जाना जाता है। सभी युवा और बच्चे हज़रतगंज में क्रिसमस की पूर्व संध्या का आनंद लेते हैं और इसके साथ आराम और खुशी का वक्त बिताते हैं। साथ ही यहाँ प्रत्येक दुकानदार सांता अंकल के रूप में तैयार होते हैं और मिठाई और उपहार वितरित करते हैं। प्लम केक (Plum Cake) की सुगंध से कई लखनऊवासी दोस्तों के घर का दौरा करने के लिए विवश हो जाते हैं। लखनऊ में सबसे सुंदर पूजा स्थल कैथेड्रल (Cathedral) है, इसकी इमारत के निचले तहखाने पर एक गिरजा घर, एक पुस्तकालय और सम्मेलन के लिए एक विशाल कक्ष मौजूद है। यह भारत में स्थित सबसे अच्छे कैथेड्रल में से एक है।
वहीं भारत में गोवा में सबसे शानदार रूप से क्रिसमस का त्यौहार मनाया जाता है। क्रिसमस के दौरान, हर धर्म के बच्चे क्रिसमस के गीत गाते हैं और लोगों द्वारा आस पड़ोस में मिठाई बांटी जाती है। दक्षिण भारतियों के विपरीत, गोवा का क्रिसमस उत्सव पश्चिमी देशों, खासकर यूरोप से बहुत प्रेरित है क्योंकि गोवा ऐतिहासिक रूप से पुर्तगाल से जुड़ा हुआ है। मुंबई में ईसाई लोग गोवा की भांति ही क्रिसमस का उत्सव मनाते हैं, जिसमें सबसे उच्च साज सजावट शामिल है। उत्तर-पश्चिम भारत में, भील लोक के आदिवासी ईसाई, क्रिसमस पर एक सप्ताह तक पूरी रात क्रिसमस के गीत गाते हैं। वे आसपास के गाँवों में जाकर लोगों को गीत और क्रिसमस की कहानी सुनाते हैं। वहीं दक्षिण पश्चिम भारत के केरल राज्य में 33 मिलियन आबादी में से 22% ईसाई हैं और यहाँ क्रिसमस एक महत्वपूर्ण त्योहार है। पारंपरिक कैथोलिक 1 से 24 दिसंबर तक उपवास रखते हैं और मध्यरात्रि की सेवा में अपना उपवास तोड़ते हैं।
भारत में क्रिसमस के व्यंजनों की प्रारंभिक तैयारी मुख्य दिन से कम से कम एक सप्ताह पहले शुरू हो जाती है। शानदार फलों के केक (Cake) के बाद सबसे प्रसिद्ध पारंपरिक व्यंजन ‘न्यूरॉन्स (Neurons)’ है, जो सूखे फल और नारियल से भरे छोटे पेस्ट्री (Pastries) से मिलता जुलता है। एक और प्रसिद्ध मिठाई है 'डोडोल' जो एक टॉफी (Toffee) की तरह है जिसमें काजू और नारियल का एकदम सटीक मिश्रण होता है। पाम शुगर, मीठे कद्दूकस नारियल और तिल के साथ भरवां "न्यूरियो" नामक मीठी पकौड़ी भी बनाई जाती है। आकर्षक केले के चिप्स (Chips), कुरकुरी चकली (दाल के साथ बनाई जाने वाली एक गहरी, तली हुई नमकीन), और इलायची और काजू बिस्कुट क्रिसमस की खुशियों का एक बहुमुखी संग्रह है। क्रिसमस की पूर्व संध्या पर मुख्य क्रिसमस भोज में भुने हुए टर्की (Turkey) या चिकन के साथ वाइन (Wine) का आनंद लिया जाता है। वहीं स्टीम राइस केक (Steam Rice Cake) भारतीय क्रिसमस में रात्रिभोज के लिए बनाया जाता है। भारत में क्रिसमस के दिन अन्य त्यौहारों की तरह ही अवकाश होता है, इसलिए इस दिन डाकघर, सरकारी कार्यालय, स्कूल और बैंक बंद रहते हैं।
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