वस्त्र मानव जीवन के लिए एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण साधन है तथा यह हमारी प्रमुख ज़रूरतों में से एक है। वस्त्र मात्र पहनने के लिए ही नहीं अपितु श्रृंगार के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। वस्त्रों से ही कितने ही स्थान की विशेषता का वर्णन किया जाता है। उदाहरण के रूप में महेश्वर, चंदेरी, भदोही, मिर्ज़ापुर, आदि। ये स्थान अपने वस्त्र उद्योग के लिए जाने जाते हैं। वस्त्र निर्माण में एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण बिंदु है और वह है वस्त्र बनाने में प्रयोग में लायी गयी सामग्री तथा उसके पैटर्न (Pattern)। इस लेख में हम भारत के कपड़ा उद्योग के विषय में पढ़ेंगे तथा इसके ऐतिहासिक महत्व, निर्यात, आयात तथा उत्तर प्रदेश के योगदान के विषय में पढ़ेंगे।
प्राचीन काल से ही कृषि और कपड़ा उद्योग ऐसे दो उद्योग हैं जिन्होंने भारत में बड़ी संख्या में रोज़गार के अवसर पैदा किये हैं। कपड़ा उद्योग भारत में रोज़गार प्रदान करने वाला दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है। भारत में करीब 4.5 करोड़ से अधिक लोग इस रोज़गार से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं। वस्त्र मंत्रालय के अनुसार 2010 में अप्रैल से जुलाई माह में भारत के कुल निर्यात में वस्त्र का 11.04% हिस्सा था। भारत का वस्त्र उद्योग सन 2009 से 2010 के मध्य पूरे 55 बिलियन अमेरिकी डॉलर आँका गया था। भारत देश वैश्विक जूट (Jute) उत्पादन में पहले स्थान पर है और यह वैश्विक कपड़ा बाज़ार का 63% का हिस्सेदार है। भारत रेशम और कपास के उत्पादन में भी विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है अतः यह कहा जा सकता है कि भारत वस्त्र निर्माण में प्रयोग में लायी जाने वाली वस्तुओं के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थान है।
पुरातात्विक अन्वेषणों और अध्ययनों से प्राप्त जानकारियों से वस्त्र निर्माण के प्राचीन अवशेषों की प्राप्ति इस बात को सिद्ध करती है कि भारत के लोग प्राचीन काल से ही वस्त्र निर्माण के कार्य में लिप्त थे। हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त मूर्तियों और अन्य अवशेषों से यह तो सिद्ध हो गया है कि वहां के लोग बुनाई और कपास की कताई की परम्परा से परिचित थे। वैदिक साहित्यों से भी बुनाई कताई आदि की सामग्री का सन्दर्भ हमें प्राप्त होता है। कालांतर में मौर्य साम्राज्य में बनी मूर्तियों आदि से भी कपड़ों का अंकन हमें देखने को मिलता है अतः इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि प्राचीन भारत कपड़ा निर्माण में निपुण था। लकड़ी के गट्टों से चित्रित किया गया कपड़ा गुजरात में बनता था और उसके अवशेष मिस्र के मकबरों में मिले थे। लोथल गुजरात जो कि सिन्धु सभ्यता से जुड़ा हुआ बंदरगाह है, से भी कपड़ों आदि का निर्यात होता रहा होगा। भारत और चीन से रेशम मार्ग भी निकलता था जो कि विश्व भर में रेशम के कपड़ों के कारोबार के रूप में जाना जाता था।
भारत में वर्तमान समय में हथकरघा और स्वचालित मशीन लूम (Machine Loom) पर कार्य होता है। वर्तमान समय में भारत के कपड़ा और परिधान उद्योग में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) 2018-19 के दौरान 3.1 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है। उत्तर प्रदेश वस्त्र उद्योग में एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण प्रदेश है। यहाँ पर रामपुर से लेकर लखनऊ और आगरा से लेकर बनारस वस्त्र निर्माण और वस्त्र उद्योग के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण जिले हैं तथा ये इस कारोबार में बड़े पैमाने पर रोज़गार उत्पादित करते हैं।
सन्दर्भ:
1. https://www.investindia.gov.in/sector/textiles-apparel
2. http://www.udyogbandhu.com/pdffile/TEXTILE.pdf
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Textile_industry_in_India
चित्र संदर्भ:
1. https://www.pxfuel.com/en/free-photo-xslwi
2. https://www.pxfuel.com/en/free-photo-qvmkb
3. https://www.pxfuel.com/en/free-photo-xndow
4. https://pxhere.com/en/photo/1603746
5. https://www.pxfuel.com/en/free-photo-owkup
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.