सिंचाई का सबसे महत्वपूर्ण रूप है, नहर सिंचाई प्रणाली

लखनऊ

 19-03-2020 11:50 AM
नदियाँ

कृषि प्रधान देश होने के कारण सिंचाई भारत की रीढ़ की हड्डी मानी जाती है, जिसमें नहरें एक प्रमुख भूमिका निभाती हैं। ऐसे ही रामपुर में सिंचाई के लिए रामगंगा नहर प्रणाली (जो दो नहरों वाली प्रणाली है) का उपयोग किया जाता है। नहर सिंचाई भारत में सिंचाई का सबसे महत्वपूर्ण रूप है। 2008-09 के दौरान नहरों द्वारा लगभग 165.97 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की गई, जिसमें से आधी सिंचित भूमि उत्तरी मैदानों में केंद्रित थी।

वहीं यदि हम सिंचित क्षेत्रों की राज्यवार गणना करें तो जम्मू कश्मीर में 91.72%, छत्तीसगढ़ में 66.24%, ओडिशा में 64.7%, हरियाणा में 44.28% और आंध्र प्रदेश में 34.63% नहरों द्वारा सिंचित क्षेत्र है। नहरों द्वारा देश के कुल सिंचित क्षेत्र का अधिकतम भाग उत्तर प्रदेश में है। अन्य प्रमुख राज्य जहां नहरों द्वारा सिंचाई की जाती है, वे हैं मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और बिहार।

ये नहरें गहरी उपजाऊ मिट्टी, पानी के बारहमासी स्रोत और व्यापक नियंत्रित क्षेत्र में सिंचाई का एक प्रभावी स्रोत हो सकती हैं। इसलिए, नहर सिंचाई की मुख्य एकाग्रता भारत के उत्तरी मैदानों में (विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के क्षेत्रों में) देखी जा सकती है। वहीं चट्टानी और असिंचित क्षेत्रों में नहरों की खुदाई कठिन और असमान होती है। इस प्रकार नहरें प्रायद्वीपीय उच्चस्थलीय क्षेत्र में व्यावहारिक रूप से अनुपस्थित हैं। हालांकि, दक्षिण भारत में तटीय और डेल्टा (Delta) क्षेत्रों में सिंचाई के लिए कुछ नहरें मौजूद हैं।

मोटे तौर पर, भारत में दो प्रकार की नहर सिंचाई होती है:
(i) आप्लावन नहर, जो बिना किसी विनियमन प्रणाली (जैसे बांध आदि) की मदद से सीधा नदियों से निकाली जाती हैं। ऐसी नहरें मुख्य रूप से बरसात के मौसम में फसलों की सिंचाई में मदद करती हैं जब नदियों में बाढ़ आती है तथा अतिरिक्त पानी उपलब्ध होता है।
(ii) बारहमासी नहरें, इसमें नदियों में बैराज (Barrage) बनाकर पानी निकाला जाता है। आज भारत में अधिकांश नहरें बारहमासी प्रकार की हैं।

नहर प्रणाली से सिंचाई के कुछ लाभ और हानि भी मौजूद हैं, जिन्हें आप निम्न तालिका में देख सकते हैं :-
साथ ही जहां देश के कुल सिंचित क्षेत्र का अधिकतम भाग उत्तर प्रदेश में है, वहीं रामपुर जिले में 18 नहर प्रणालियाँ (जो मुख्य रूप से कोसी, पिलखर, भाखड़ा, सैजनी, धीमरी, बहल्ला, नाहल किछिया, डाकरा, कल्याणी, कलैया आदि नदियों द्वारा संचालित होती हैं) हैं। रामपुर जिले की नहर प्रणाली रियासत काल से चली आ रही है और यह नहर 100 साल से भी अधिक पुरानी है। सभी नहर प्रणालियाँ नदियों पर छोटे नियामकों, बैराजों और मिट्टी के बांधों का निर्माण करके बनाई जाती हैं। इस जिले का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 2,35,360 हेक्टेयर है, जिसमें से खेती योग्य कुल भूमि का क्षेत्रफल 1,11,190 हेक्टेयर है। खरीफ की फसल के लिए 37,972 हेक्टेयर और रबी के लिए 29,768 हेक्टेयर है।

संदर्भ:
1.
http://idup.gov.in/post/en/eastern-ganga-about
2. https://bit.ly/33vOhj9
3. https://www.jagranjosh.com/general-knowledge/canal-irrigation-in-india-1448272174-1
चित्र सन्दर्भ:
1.
https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Ramganga,_Bareilly.jpg
2. https://bit.ly/2xaSJrC



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