सभ्यताओं के शुरू होने के साथ ही कुत्तों को पालतू पशु के रूप में अपनाया गया। कुत्ता प्रिय होने के साथ साथ घर का वफादार भी होता है। कुत्तों के भीतर खतरों को भांपने की अद्भूत क्षमता और जंगली जानवरों तथा लुटेरों इत्यादि के खतरों के प्रति सतर्क होने के कारण कुत्तों को पालतू जन्तु के रूप में रखा गया। भारत की सबसे उत्कृष्ट कुत्तों की नस्लों में से एक रामपुर ग्रेहाउंड है। इन्हें महाराजा और नवाबों द्वारा बड़े शिकार करने के लिए पाला जाता था। रामपुर का यह गौरव आज विलुप्त होने की कगार पर है। तो आइए इसके सम्बन्ध में पूर्व के कुछ प्रिंट और चित्रों में मिले विभिन्न उल्लेखों पर एक नज़र डालें।
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न नस्लों के कुत्ते मिलते हैं, जो अपने स्थानीय पर्यावरण के अनुकूल है। हिमाचल प्रदेश में और उत्तरांचल में भोटिया कुत्ते पाए जाते हैं, तो कुमाऊं की पहाड़ियों में शिकारी। राजस्थान उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा आदि में रामपुर हाउंड कई अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। कर्नाटक और महाराष्ट्र के कोयना-गुलबर्ग में मुधोल पाए जाते हैं। राजपालयम कुत्ते तमिलनाडु और त्रिपुरी कुत्ते असम के लुशाई हिल्स में पाए जाते हैं।
रामपुर ग्रेहाउंड का नाम उसके मूल राज्य रामपुर के नाम पर रखा गया था और यह रामपूर में 300 से अधिक वर्षों से अस्तित्व में है। रामपुर हाउंड बड़े सइटहाउंड के परिवार से संबंधित हैं। रामपुर हाउंड की नस्ल के प्रकारों के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है, लेकिन लोगों का कहना है कि इस नस्ल के तीन प्रकार हैं:
1. रेजा: रेजा आमतौर पर स्वभाव से अत्यंत घरेलू, थोड़े डरपोक और चंचल होते हैं। ये छोटे जानवरों का शिकार करते हैं।
2. केसरी: केसरी लंबे कोट के साथ कुछ हद तक हिरण की तरह दिखते हैं। ये सबसे दुर्लभ पाए जाने वाले रामपुर हाउंड हैं।
3. शाही शिकारी: शाही शिकारी शाही होने के साथ साथ बहुत दृढ़ होते हैं और इनके जबड़े बहुत शक्तिशाली होते हैं। वे स्वभाव से तेज़-मिज़ाज के होते हैं और वे नीलगाय का शिकार करने में सक्षम होते हैं, यहां तक कि वे एक बाघ पर भी हमला कर सकते हैं।
रामपुर हाउंड में स्वाभाविक रूप से ही स्वच्छ आदतें और शाही तौर तरीके होते हैं। वे अपने मालिक के साथ समय व्यतित करना काफी पसंद करते हैं और अन्य कुत्तों के साथ अच्छी तरह से समायोजित हो जाते हैं। वे स्वभाव से बहुत सुरक्षात्मक होते हैं, लेकिन वे एक ही व्यक्ति को अपना मालिक मानते हैं और जीवन भर उसी की आज्ञा का पालन करते हैं। ये अज्ञात चहरों को बर्दाशत नहीं करते हैं। इन्हें घुमने के लिए बहुत अधिक जगह चाहिए होती है।
वैसे तो रामपुर हाउंड एक स्वस्थ नस्ल के होते हैं, लेकिन इन्हें अन्य ग्रेहाउंड नस्लों के समान ही रोगों का अनुभव होता है। उनकी पतली कद-काठी उन्हें कठोर सतहों और बिना बिस्तर के सोने में तकलीफ देता है। उनकी त्वचा में घाव भी विकसित हो सकते हैं, जिसे विटामिन-ए के उच्च खाद्य पदार्थ खिलाकर रोका जा सकता है।
रामपुर हाउंड की सबसे पुरानी चित्र 1800 के दशक में स्वरूप राम द्वारा बनाई गई है, परन्तु यह दावे के साथ नही खा जा सकता की इस चित्र को स्वरुप राम ने ही बनाया है। वहीं रामपुर हाउंड को 2000 वर्ष में कांगो के एक टिकट पर भी दर्शाया गया है।
नेशनल ज्योग्राफिक पत्रिका में एडवर्ड माइनर द्वारा की गई रामपुर हाउंड की पेंटिंग भी देखने को मिलती है, जिसमें उन्होंने रामपुर हाउंड की विशेषताओं का भी वर्णन किया है, जो इस प्रकार है कि “हिंसक भेड़ियों को भगाने के लिए इन कुत्तों को विकसित किया गया था, लेकिन लुटेरों के डर के खत्म होने और किसानों को भी इनकी जरूरत ना होने के साथ-साथ ये कुत्ते विलुप्त होने लगे। प्रजनक द्वारा आज इन्हें एक उत्कृष्ट पालतू और प्रदर्शनी कुत्तों के रूप में देखा जाता है। मुलायम बालों वाले ये रामपुर हाउंड दक्षिणी एशिया में पाए जाते हैं, जहाँ चरवाहे इनका उपयोग सियार को भगाने के लिए करते हैं।
रामपुर हाउंड को वर्ष 2005 के भारतीय टिकट में भी प्रदर्शित किया गया था। इसे डाक विभाग द्वारा भारतीय नस्ल के कुत्तों के लिए जारी किया गया था। जिसमें चार विभिन्न रंगों के टिकट शामिल थे। रामपुर हाउंड की उत्पत्ति के बारे में आप प्रारंग की इस लिंक (https://rampur.prarang.in/post-view.php?id=611&name=Rampur-Hound---The-Hound-of-India) में भी पड़ सकते हैं।
संदर्भ :-
1. https://www.dogsandpupsmagazine.com/rampur-greyhound-the-hunting-hero/
2. http://royal-rampuri.tripod.com/royal1.html
3. https://bit.ly/2H3BWta
4. https://bit.ly/2BV1KEz
5. https://www.nature.com/articles/137179b0
6. https://ebay.to/2NuSkEd
7. http://www.istampgallery.com/dogs/
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