किसानों के लिए केला है एक बेहतर विकल्‍प

लखनऊ

 26-02-2019 11:43 AM
साग-सब्जियाँ

आजकल देश में किसानों की आय दुगनी करने की बात की जा रही है। जिसमें मिश्रित फसल का उत्‍पादन अहम भूमिका निभा रहा है, भारत में इसका प्रचलन बढ़ता जा रहा है। उत्पादकों के लिए अंतर फसल के कई लाभ हैं जैसे जोखिम कम करना, उपलब्ध संसाधनों का प्रभावी उपयोग, मजदूरों का कुशल उपयोग और भूमि के प्रति यूनिट क्षेत्र में उत्पादन में वृद्धि, क्षरण में नियंत्रण और खाद्य सुरक्षा एवं आय में वृद्धि। अंतर फसल के रूप में केला किसानों के मध्‍य काफी लोकप्रिय हो रहा है। इसके बागानों को आसानी से उगाया जा सकता है साथ ही यह अतिरिक्‍त आय का एक अच्‍छा विकल्‍प है।

केला एक ऐसी फसल है जो लगभग पूरे भारत में उगाया जाता है। भारत में केले की फसल अधिकांशतः छोटे किसानों द्वारा सीमित क्षेत्र में उगायी जाती है। केले का उत्‍पादन धान, कॉफी, कोको, रबर, नारंगी और आम के साथ उगाया जाता है, साथ ही यह इन फसलों के लिए छायादार वृक्ष के रूप में कार्य करता है। ककड़ी, कद्दू, तरबूज, ककड़ी, आदि जैसी सब्जियों को केले के साथ उगाने से बचना चाहिए क्‍योंकि यह केले को संक्रमित करने वाले क्लोरोसिस वायरस का स्‍त्रोत होते हैं। केले की खेती में ड्र‍िप सिंचाई प्रणाली अपनाने के साथ पंक्तियों के मध्‍य रिक्‍त स्‍थानों पर अन्‍य फसल उगाना आसान है। केले के साथ अन्‍य अंतर फसल (प्याज, लहसुन और फूलगोभी) उगाकर शोध किया गया, जिसमें अर्थशास्त्र पर प्रबंधन के प्रभाव को रिकॉर्ड करके अंतर फसलीय प्रारूप के प्रभावों का आकलन किया गया।

खेती की लागत
यूरिया : Rs. 250 /50 किग्रा
एसएसपी : Rs. 170 /50 किग्रा
एमओपी : Rs. 230 /50 किग्रा
श्रम : Rs. 100 / दिन
विक्रय मूल्य (रु. / किग्रा)
केला : 7
प्याज : 12
लहसुन : 50
फूलगोभी : 10

भारत ब्राजील के बाद दुनिया का सबसे बड़ा केला उपभोक्ता और उत्पादक देश है, जो कुल विश्व उत्पादन में लगभग 15 प्रतिशत योगदान देता है। भारत में फलों के उत्‍पादन में केला आम बाद दूसरा स्‍थान रखता है। भारत में, केले का वार्षिक उत्पादन पूरे देश में फैले 7.09 लाख हेक्टेयर के क्षेत्र में 26.21 मिलियन टन है। फलों के अंतर्गत केले का कुल क्षेत्रफल 12.50 प्रतिशत है, जो देश में कुल फल उत्पादन का लगभग एक तिहाई है। भारत में, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, असम और गुजरात प्रमुख केला उत्पादक राज्य हैं। सबसे अधिक उत्पादकता महाराष्ट्र में 62.0 टन प्रति हेक्‍टेयर है, इसके बाद वर्ष 2008-09 में गुजरात में 58.7 टन प्रति हेक्‍टेयर है।

अधिकांश केले उत्‍पादकों ने दावा किया है कि उन्‍होंने इसके उत्‍पादन से अतिरिक्‍त मुनाफा कमाया है तथा उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया हैं। यदि अन्‍य किसान विशेषकर वे जो अपनी पारंपरिक फसलों में हानि के कारण आत्‍महत्‍या करने की सोच लेते हैं, उनके लिए केला अंतरफसल के रूप में एक बेहतर विकल्‍प होगा। रामपुर के एक किसान अपनी तीन एकड़ भूमि में पिछले कुछ समय से केले उगा रहे हैं और सिर्फ एक एकड़ उपज से 4.50 लाख रुपये तक कमा चुके हैं। उत्‍तर प्रदेश में 30.4 हेक्‍टेयर भूमि में लगभग 1138.6 मैट्रिक टन केले का उत्‍पादन किया जाता है।

संदर्भ :
1. https://bit.ly/2SW5Yq1
2. https://bit.ly/2H2gkxo
3. https://bit.ly/2GKjHd7
4. http://www.researchjournal.co.in/upload/assignments/7_330-332.pdf



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