रामपुर रियासत

लखनऊ

 07-07-2017 12:00 PM
उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक
1947 में भारत की आजादी के समय, यहाँ पर कुल मिला कर 562 रियासतें थी, जो ब्रिटिश शासन का पूर्ण रूप से या औपचारिक रूप से हिस्सा नहीं थीं। भारत में ब्रिटिश सरकार के लिए, यह 562 रियासतें सामान्य रूप से नहीं बल्कि विभिन्न स्तर पर महत्वपूर्ण थीं। कुछ राज्य अपने क्षेत्र के आकार के कारण महत्वपूर्ण थे, कुछ उनकी सेना की शक्ति के कारण और कुछ उनके राजनीतिक ताकत की वजह से प्रभावशाली थे। 526 रियासतों के महत्वता और प्रतिष्ठा के आधार पर ब्रिटिश सरकार ने एक श्रेणीबद्ध वर्ग बनाया जिस आधार पर रियासतों को बन्दुकों की सलामी मिलती थी - सबसे प्रतिष्ठित राज्य शासकों को 21 बन्दुकों की सलामी दी जाती थी, अगले को 19 और फिर छोटे छोटे राज्यों के लिए दो के चरण के हिसाब में कम होते जाती थी - सबसे छोटे राज्य (रियासत) को 3 बंदूकों की सलामी मिलती थी| रामपुर रियासत उन 14 राज्यों में से एक था, जिसे अंग्रेजों द्वारा 15 बंदूकों की सलामी मिलती थी। रामपुर और बाकि राज्यों को जहाँ 15 बंदूकों की सलामी मिलती थी वहीं दूसरी ओर कुछ पांच रियासतों को 21, पांच दूसरी रियासतों को 19 और 12 रियासतों को 17 बंदूकों को सलामी दी जाती थी| रामपुर राज्य का जन्म 1737 में हुआ था जब रोहिल्ला नवाब अली मुहम्मद खान ने दिल्ली स्थित मुग़ल सम्राट मोहम्मद शाह रंगीला से "कठेर" राज्य का अनुदान प्राप्त किया था| नवाब रजा अली खान ने 1947 में भारत में सम्मिलित होने के लिए एक संधि पर हस्ताक्षर किया और रामपुर राज्य 1950 में संयुक्त प्रांत (यू.पी.) राज्य का हिस्सा बन गया। 1737 और 1947 के बीच, रामपुर नवाबों ने दो अलग-अलग राज्यचिह्न का इस्तेमाल किया। दूसरा राज्यचिह्न 100 से अधिक वर्षों के लिए इस्तेमाल किया गया था जिसे हम आज भी कोठी खास बाग, रज़ा पुस्तकालय और नुमाइश मैदान की दीवारों पर देख सकते हैं। नवाबों के कम विख्यात इमारतों और जगहों पर हम आज भी इस राज्यचिह्न को लुप्त होते हुए देख सकते हैं। (पहली तस्वीर कोठी खास बाग के पास पुरानी पुलिस स्टेशन की है) रामपुर के राजचिह्न की बात करें तो इसपर दो बाघ झंडा पकडे हुए दर्शाये गयें है तथा बीचमे एक मछली और फारसी में लेख "अल्लाह मुहम्मद" लिखा है| इसके पहले रामपुर के राजचिह्न में बाघों की जगह हिरण तथा बीच मे मछली की जगह दो तलवारें हुआ करती थीं, जिनका सिरा एक दुसरे की तरफ झुका हुआ था| वैसे तो हमारे पास कोई भी लिखित और अन्य प्रमाण नहीं है जो हमे इस बात का ज्ञात कराए की राजचिह्न कब और क्यों बदला गया अलबत इस बदलाव को देख कर ऐसा प्रतीत होता है की पुराने राजचिह्न के दो तलवारों की प्रतिमा की जगह झंडों ने ले ली| नया राजचिह्न हो या पुराना इनको देख कर एक बात तो साफ उभर कर अति है - रामपुर के नवाब शिकार के शौकीन थे| पास के इलाकों में बाघ पाए जाते – यह तथ्य इस बात की पुष्टि करता है (यह इलाका आज के कॉर्बेट नेशनल पार्क से दूर नहीं है)। 1. रॉयल आर्क हेराल्ड्री साईट- https://www.royalark.net/ 2. हेराल्ड्री साईट - http://www.hubert-herald.nl/BhaUttarPradesh.htm#Ramp


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