भवनों के श्रृंगार का एक अद्भुत आभूषण झूमर

लखनऊ

 13-12-2018 02:23 PM
घर- आन्तरिक साज सज्जा, कुर्सियाँ तथा दरियाँ

आज के शाही घराने हों या ऐतिहासिक उन्‍हें सजाने के लिए दुनिया से हर खूबसूरत चीज लाने का प्रयास किया जाता था। इनकी सज्‍जा में एक चीज सामान्‍य होती है, जो घर की शोभा में चार चांद लगा देते हैं वे हैं ‘झूमर’। झूमर का उपयोग प्रागैतिहासिक काल से ही देखने को मिलता है, प्रागैतिहासिक से प्रारंभिक सभ्‍यताओं में इनका उपयोग प्रकाश के लिए किया जाता था। वर्तमान समय में इनका स्‍वरूप थोड़ा बदल गया है, इन्‍हें आधुनिक लाईटों तथा अन्‍य सामग्रियों से सजाया जाता है। फ्रांस के लास्‍कॉस (Lascaux) की गुफाओं की दिवारों में छेद हैं, जिनका उपयोग संभवतः गुफाओं में मसालें लटकाने के लिए किया जाता था जिससे दिवारों पर चित्र बनाने और प्रकाश करने में सहायता मिल सके। सुमेरियन और मिश्र के लोगों ने इसके स्‍वरूप में थोड़ा परिवर्तन किया जिसमें इन्‍होंने रंगीन कांच से लैंप तैयार किये जो प्रकाश के साथ साथ सजावट में भी काम आने लगा। इसी दौरान मिश्र, यूनान, रोम में तेल वाले लैंप बनाये गये जिन्‍हें पत्‍थर सोना कांसा टेराकोटा जैसी सामग्रियों का उपयोग करके सजाया जाता था।

11वीं से 15वीं शताब्‍दी के मध्‍य बेल्‍जीयम के डाईनन्ट (Dinant) में कांसे के कार्य का केन्‍द्र था और 1466 हुए हमले के बाद ये पूरे यूरोप में फैल गये, काफी संघर्ष के बाद भी इन्‍होंने अपनी शैली को जीवित रखा। डाईनन्ट की शैली में धार्मिक आकृति, फूल तथा गोथिक प्रतीकों का उपयोग किया जाता था। इनकी पहली कला झूमर ही थी। मध्‍यकाल तक मोमबत्‍ती का आविष्कार किया जा चुका था तथा मोमबत्‍ती के झूमर का उपयोग पारिवारिक समृद्धि का प्रतीक बन गया था। इसी दौरान अंगूठी और ताज के डिजाइन वाले झूमर महलों, रहीसों, पादरी और व्यापारियों के मध्‍य अत्‍यंत लोकप्रिय हुए, यह इनकी कुलीनता की शान थे। 17वीं शताब्‍दी में पहली बार झूमर में रॉक क्रिस्टल (Rock crystal) का उपयोग किया गया। 1676 में जॉर्ज रेवेनस्‍क्रॉफ्ट (George Ravenscroft) नामक एक ब्रिट ने क्रिस्‍टल के लिए लीड ऑक्‍साइड (lead oxide) वाला फ्लिंट ग्लास (flint glas) का उपयोग किया, जो चमकदार, काटने में सरल, प्रिज्मेटिक (prismatic) तथा रंगों को आसानी से धारण कर लेते हैं। इसलिए यूरेनियम से पीले ग्‍लास बनाने का भी प्रयास किया गया।

18वीं शताब्‍दी में लम्‍बे घूमावदार कास्ट ऑर्मोल्‍यू (cast ormolu) झूमर का उपयोग बड़ी मात्रा में बढ़ गया जिन्‍हें भुजाओं और मोमबत्ती से अलंकृत किया जाता था। इसी दौरान यूरोप में बोहेमियंस (Bohemians) और वेनिसियन (Venetian) के कांच के झूमर काफी प्रसिद्ध हुए, जिसके कांच के डिजाइन प्रकाश की अद्वितीय छवि बनाते थे। आगे चलकर मुरानों (Murano) झूमर में क्रिस्टिल और रंगीन कांच में फूल, पत्ति, फल इत्‍यादि के अराबेस्क(arabesques) देखने को मिले, जो इनकी प्रमुख विशेषता भी थे। मुरानो झूमर के एक रूप को सिओका (ciocca) (फूलों का गुलदस्‍ता) कहा जाता था, जिसके कांच पर की गयी फूल, फल, पत्तियों की नक्‍काशी अत्‍यंत आकर्षक थी। मुरानो झूमर का उपयोग सामान्‍यतः महलों, सिनेमाघरों तथा बड़े बड़े घरों में प्रकाश व्‍यवस्‍था के लिए किया जाता था। 18वीं शताब्‍दी में ही विलियम पार्कर नाम के व्‍यक्ति ने झूमर की एक नई शैली ईजात की जिसे इन्‍होंने फूलदान की आकृति से प्रतिस्‍थापित किया। इन्‍होंने इंग्‍लैण्‍ड के बाथ असेम्‍बली रूम्‍स (Bath Assembly Rooms) के लिए जो झूमर तैयार किया वह आज भी यहां रखा गया है।

19वीं शताब्‍दी में झूमर में गैस लाईट और विद्युत लाईटों का उपयोग बढ़ गया। विश्‍व का सबसे बड़ा अंग्रेजी कांच का झूमर इस्तांबुल में डॉल्माबाके (Dolmabahçe) महल में स्थित है। 18वीं 19वीं शताब्‍दी में काफी बड़े झूमर बनाये गये किंतु 20वीं सदी तक आते आते इनका उपयोग कमरों को सजाने के लिए किया जाने लगा लाइटों का प्रयोग इनमें कम हो गया। आज भी विभिन्‍न शैलियों (रोकोको ओर्नाटनेस (Rococo ornateness), नियोक्लासिकल (Neoclassical simplicity) आदि और कुछ आधुनिक शैलियों) के झूमर तैयार किये जा रहे हैं। झूमर रामपुर की विश्‍वप्रसिद्ध ऐतिहासिक धरोहर रजा लाइब्रेरी जो अपने विशाल पुस्‍तक भण्‍डार तथा नक्‍काशीदार भवन के लिए प्रसिद्ध है। इस पुस्‍तकालय में एक पुराना दरबार हॉल है, जो अपने खूबसूरत झूमर और विशाल हस्‍तलिपियों के भण्‍डार के लिए प्रसिद्ध है। 1905 में सर जेम्‍स जॉन ला डिगेस ला टच ने इसका उद्घाटन किया था।

संदर्भ :

1. https://en.wikipedia.org/wiki/Chandelier
2. https://www.lightsonline.com/learn/lighting-styles-101/the-history-of-the-chandelier
3. https://bit.ly/2S3JAGw



RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id