लोगों को विस्‍मृत होती रामपुर की इंडो-सारसेनिक इमारतें

लखनऊ

 28-09-2018 04:22 PM
वास्तुकला 1 वाह्य भवन

अनेक भारतीय इमारतों को उनकी अद्वितीय शिल्‍पकारी, वास्तुकला और ऐतिहासिकता के कारण विश्‍व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है। तथा कई इमारतें ऐसी हैं जो आज भी अपनी खूबसूरती के कारण विश्‍व को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इन इमारतों को तैयार करने में विभिन्‍न प्रकार की वास्‍तुकलाओं (कुछ भारतीय तथा कुछ विदेशी) का उपयोग किया गया। भारत में मुगलों, पारसियों, यूरोपियों आदि के आगमन से यहां की वास्‍तुकला के स्‍वरूप में अनेक परिवर्तन देखने को मिले। ब्रिटिशों द्वारा भारत में इंडो-सारसेनिक वास्‍तुकला का प्रारंभ किया गया, जो वास्‍तव में हिन्‍दू-मुग़ल तथा गोथिक वास्‍तुकला का सम्मिश्रण थी। इस वास्‍तुकला की प्रमुख विशेषता हैं :

1. गुंबद
2. मीनार
3. स्तूपिका, नमूना
4. गुंबददार छतें
6. खुले गुम्बददार इमारत
5. नुक़ीला मेहराब, आदि

इंडो-सारसेनिक वास्‍तुकला से निर्मित भारत की पहली इमारत चेपॉक पैलेस (1768 – मद्रास) थी। ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत के विभिन्‍न हिस्‍सों में इस शैली की अनेक खूबसूरत इमारतें जैसे- मद्रास हाई कोर्ट, विक्टोरिया टर्मिनस (अब छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस-मुंबई), विक्‍टोरिया मेमोरियल (कलकत्‍ता), दिल्‍ली का सचिवालय भवन आदि तैयार किये गये। जो आज भी प्रमुख आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इंडो-सारसेनिक वास्‍तुकला का उपयोग भारत के अनेक शहरों में किया गया, जिन्‍होंने विश्‍व संस्‍कृति में एक विशेष स्‍थान हासिल किया। इनमें से एक था रामपुर शहर :

1857 की क्रांति के बाद रामपुर शहर औपनिवेशिक संयुक्त प्रांतों में एकमात्र मुस्लिम रियासत बचा। जो भारतीय-इस्‍लामी और औपनिवेशिक प्रभाव से महानगर के रूप में उभरा। रामपुर शहर में भी अनेक भारतीय-इस्‍लामी, ब्रिटिश गोथिक शैलियों में भवनों का निर्माण किया गया। रामपुर को शहर का रूप देने में नवाब हामिद अली (1889-1930) ने महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई। इन्‍होंने विश्‍व भ्रमण करके वहां की संस्‍कृतियों को समझा तथा वे विश्‍व की वास्‍तुकला से काफी प्रभावित हुए खासकर जापान की। ये ऑक्सफोर्ड (Oxford) में बोडलियन लाइब्रेरी (bodleian library), में साहित्‍य संग्रह से काफी प्रभावित हुए। इनके द्वारा रामपुर में कराए गये निर्माण के कारण इन्‍हें रामपुर का शाहजहां कहा जाने लगा। इंडो-सारसेनिक शैली में तैयार की गयी हामिद मंजिल को 1957 से रजा पुस्‍तकालय के रूप में प्रयोग किया गया। जो आज अत्‍यंत प्रसिद्ध है।

लॉर्ड कर्जन (1905) की रामपुर यात्रा के दौरान, यहाँ के नवाब ने इन्‍हें रामपुर की स्‍मारकों की 55 तस्‍वीरों वाली "रामपुरी एल्‍बम" उपहार स्‍वरूप दी। इस क्षेत्र में बनाए गये पारंपरिक महल, रेलवे स्‍टेशन, हॉस्पिटल, कोर्ट, कलोनी तथा अन्‍य शहरी व्‍यवस्‍था देख 14 अक्टूबर 1912 में यहां आये लेफ्टिनेंट गवर्नर मेस्टन ने इसको एक "आदर्श शहर" कहा। रामपुर शहर ने औपनिवेशिक आधुनिकीकरण (Colonial modernization) के साथ इस्‍लामिक परंपरा को भी संजोए रखा था।

औपनिवेशिक काल के दौरान रामपुर द्वारा प्राप्‍त की गयी वह भव्‍यता आज विलुप्‍त होती जा रही है। रामपुर का पुलिस स्‍टेशन सिविल लाईन इंडो-सारसेनिक वास्‍तुकला का एक खूबसूरत उदाहरण है। जिसे आज मात्र एक सामान्‍य भवन के रूप में देखा जाता है।

संदर्भ :

1.https://en.wikipedia.org/wiki/Indo-Saracenic_Revival_architecture
2.https://www.quora.com/What-is-indo-saracenic-architecture
3.https://globalurbanhistory.com/2017/08/03/princely-architectural-cosmopolitanism-and-urbanity-in-rampur/
4.http://www.bl.uk/onlinegallery/onlineex/apac/photocoll/w/019pho000430s42u00007000.html



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