मनुष्य इस संसार का सर्वश्रेष्ठ प्राणी माना जाता है। उसके पास सोचने, समझने और करने की जो क्षमताएं हैं वह अन्य किसी जीव में नहीं होती हैं। परंतु कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो शारीरिक व मानसिक रूप से विकलांग होते हैं या कहिये ‘दिव्यांग’होते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की खास पहल के कारण अब हमारे देश में शारीरिक रूप से कुछ कमी वाले व्यक्तियों को दिव्यांग कहा जाता है। अक्सर देखा गया है कि शारीरिक रूप से कमी वाले व्यक्तियों में बहुत से ऐसे अद्भुत गुण या प्रतिभाएं होती हैं, जो इनकी कमियों को ढक देती हैं, इसी कारण इन्हें हमारे देश में दिव्यांग कहा जाता है।
भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार, 121 करोड़ की आबादी में से लगभग 2.68 करोड़ लोग दिव्यांग हैं, जो कुल आबादी का 2.21% हिस्सा है। नीचे दिये गये आंकड़ो में आप देख सकते हैं कि 2.68 करोड़ की इस आबादी में दिव्यांग लोग किन भिन्न शारीरिक और मानसिक विकलांगता से ग्रस्त हैं।
परन्तु कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने विकलांगता को अपने साहस और दृढ़ निश्चय से हराया है। वे दिव्यांग आज अपनी अद्भुत क्षमता के साथ लाखों लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। ऐसी ही एक महिला चित्रकार हैं, जिन्होंने कभी भी विकलांगता के कारण जिंदगी से हार न मानी।
चित्रकला के क्षेत्र में महिलाओं के नाम बहुत कम आते हैं। यदि आप जगतप्रसिद्ध महिला चित्रकारों के नाम खोजें तो ‘फ्रीडा काहलो’ के अतिरिक्त कोई भी नाम नहीं मिलता। फ्रीडा का जन्म करीब 110 साल पहले मेक्सिको में हुआ था। छोटी सी फ्रीडा (2 वर्षीय) को पोलियो हुआ और दाँयीं टाँग पर उसका असर पड़ा। 18 साल की फ्रीडा को एक बस दुर्घटना में बहुत चोट लगी और कई हड्डियाँ भी टूट गयीं। इतना सब होने के बाद भी फ्रीडा ने हार नहीं मानी और अपने दुख को उन्होंने बहुत से चित्रों में उतार दिया। ऊपर दर्शाया गया चित्र भी उन्हीं की बनाई एक पेंटिंग का हिस्सा है। हर किसी के पास न ऐसा जज़्बा होता है न ही हुनर। फ्रीडा ने अधिकतर चित्र नारीवाद पर आधारित बनाये और उनकी बहुत सी तस्वीरों में वे स्वयं ही चित्र का प्रमुख पात्र होती थीं। आज इनकी पेंटिंग हजारों दिव्यांग लोगों को जीने की प्रेरणा देती हैं। फ्रीडा काहलो के नाम से एक अन्य महिला चित्रकार अमृता शेरगिल की याद आ जाती है। अमृता शेरगिल ने कैनवस (Canvas) पर भारत की एक नई तस्वीर उकेरी। इनके अधिकतर चित्र भी नारीवाद पर आधारित हैं।
आज कुछ चित्रकार अपने मुंह या पैरों के साथ कला बनाने की अद्भुत क्षमता के साथ दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। ये कलाकार जीवित सबूत हैं कि किसी भी चुनौती या विकलांगता को दूर किया जा सकता है और खराब से खराब परिस्थितियों से भी उभर कर जीया जा सकता है। वे ही जिंदगी के सच्चे नायक और नायिका हैं जो हर रोज़ साबित करते हैं कि असंभव कुछ भी नहीं है! एम.एफ.पी.ए. (माउथ एंड फुट पेंटिंग आर्टिस्ट्स (Mouth and Foot Painting Artists Association)) के 800 से अधिक कलाकार जो जन्मजात या दुर्घटना या बीमारी के कारण हाथों को खो बैठे थे, वे आज लाखों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनकी अद्भुत पेंटिंग बस देखते ही बनती हैं।
भारत में ऐसे कई माउथ एंड फुट पेंटिंग आर्टिस्ट्स के उदाहरण हैं, जो दिव्यांग लोगों के लिए एक मिसाल हैं। जैसे: स्वप्ना औगस्तीन, एक कलाकार जो अपने पैरों से तस्वीरें बनाती है। स्वप्ना 42 वर्ष की महिला हैं जो कि अपने पैरों और मुँह से तस्वीरें बना सकती हैं। स्वप्ना बिना हाथों के पैदा हुई थीं परन्तु कुछ करने का जज़्बा हो तो आप अपनी मंजिल तक पहुँच ही जाते हैं। ऐसी ही एक प्रेरणात्मक कहानी है स्वप्ना की। स्वप्ना ने मुश्किलों से आगे बढ़कर, वो कर दिखाया जो कर पाना आसान बात नहीं थी। शीला शर्मा, श्रीकांत दुबे, सी.वी. सुरेन्द्रन, विपुल मित्तल आदि ऐसे कलाकार हैं, जिन्होंने कभी भी अपने रास्ते में विकलांगता को नहीं आने दिया है।
इस सूची में और नाम हैं अमिता दत्ता, जिन्हें कक्षा 9 के बाद स्कूल से निकाल दिया गया, क्योंकि स्कूल में बधिर बच्चों को पढ़ाने की सुविधा नहीं थी। लेकिन अमिता ने नेशनल ओपन स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और इंटीरियर डिज़ाइन (Interior Design) में डिप्लोमा किया।
हम लोग बहुत सारे बहाने दे कर खुद को सीमित कर देते हैं, वहीं कुछ दिव्यांग हिम्मत और इच्छाशक्ति से कार्य करते हैं। इनका कार्यक्षेत्र सिर्फ कलाकारी तक ही सीमित नहीं है परन्तु ये वो इंसान हैं जो कि भिन्न-भिन्न चीजों में शामिल हो कर समाज के लिए भी कार्य करते हैं। वे अन्य लोगों के लिए प्रेरणा के बहुत बड़े स्रोत हैं।
संदर्भ:
1.https://www.thebetterindia.com/45443/india-artists-specially-challenged-deaf-dumb-art-exhibition/
2.http://mospi.nic.in/sites/default/files/publication_reports/Disabled_persons_in_India_2016.pdf
3.http://www.barcroft.tv/disabled-artist-no-arms-paints-with-feet-kerala-india
4.https://www.imfpa.org/
5.चित्र स्रोत: www.fridakahlo.org
6.https://www.firstpost.com/living/frida-kahlo-femininity-and-feminism-why-the-painter-is-an-icon-for-so-many-women-3782365.html
7.https://www.telegraph.co.uk/culture/10087130/The-Indian-Frida-Kahlo.html
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