“इकिगाय” और हमारा दैनिक जीवन

लखनऊ

 07-08-2018 02:14 PM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

प्रतिस्‍पर्धा के इस दौर में हर व्‍यक्ति आगे बढ़ना चाहता है तथा हर व्‍यक्ति क्रियाशील है, किंतु इस भागदौड़ में शायद हम अपने अस्तित्‍व को भुलते जा रहे हैं। जिस कार्य को हम कर रहे हैं, हमें स्‍वयं ही पता नहीं चलता कि वह हमें पसंद है भी या नहीं और इसी असमंजस में हमारा जीवन गुज़र रहा है। आपने कभी सोचा है कि "वास्‍तव में आप क्‍या चाहते हैं, आपको क्‍या करना पसंद है"।

चलो इस तथ्‍य को हम जापान के जीवंतता से भरपूर एक रहस्‍य "इकिगाय" के माध्‍यम से जानने का प्रयास करते हैं। अब आप सोच रहे होंगे "इकिगाय" क्‍या है।

यह आपके जीवन के चार महत्‍वपूर्ण प्रश्‍नों की एक संरचना है, जो इस प्रकार है। क्‍या आप जीवन में वही कर रहे हो जो -- आपको पसंद है; जिसकी दुनिया को आवश्‍यकता है; क्‍या आप उसे करने में पारंगत हैं; और, उसके लिए क्या आपको आय पेश की जा सकता है?

"इकिगाय" का अर्थ है की यह आपको कारण देता है "प्रातः जल्‍दी उठने तथा जीवन को आनंदपूर्ण तथा प्रभावशाली तरीके से जीने का"। इसकी उत्‍पत्‍ति‍ जापान के ओकिनावा से मानी जाती है क्‍योंकि यहां की जनसंख्‍या के अधिकंश लोग सौ वर्ष की आयु से अधिक जीते हैं। इसका प्रमुख कारण है कि वे अपने जीवन को उपरोक्‍त प्रश्‍न या अपने इकिगाय के अनुसार जी रहे हैं। यह उन्‍हें निरंतर क्रियाशील बनाए रखता है तथा उनकी उम्र उनके कार्य में बाधा नहीं बनती। यही सबसे बड़ा कारण है उनके लंबे और खुशहाल जीवन जीने का।

यदि आपके रोजमर्रा के जीवन के साथ उपरोक्‍त प्रश्‍न पूर्ण उत्तरित होते हैं, तो आप अवश्‍य ही अपने "इकिगाय" के अनुसार जीवन व्‍यतीत कर रहे हैं, यदि नहीं होते तो अवश्‍य ही आपके जीवन में कुछ कमी है, जिसे आपको जानने और पूरा करने की आवश्‍यकता है। यह आवश्‍यक नहीं की आपका इकिगाय बहुत बड़ा या अलग हो। वह कुछ भी हो सकता है जैसे कि गाना, लिखना, बोलना, फोटोग्राफी या कोई साहसिक कार्य करना आदि – बस आवश्‍यकता है उसे पहचानने की।

संदर्भ:
1. http://theviewinside.me/what-is-your-ikigai/
2. http://www.bbc.com/capital/story/20170807-ikigai-a-japanese-concept-to-improve-work-and-life
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Ikigai



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