क्या आपने भी अपने शहर रामपुर में इस शाही भारतीय गाड़ी को देखा है? ज़रूर देखा होगा। आखिर किस हिन्दुस्तानी ने कभी एक एम्बेसेडर का मालिक होने का सपना नहीं देखा। हिंदुस्तान मोटर (Hindustan Motor) भारत की पहली कंपनी थी जिसने भारत भर में 1942 में गाड़ियों का उत्पादन किया। एम्बेसेडर का उत्पादन 1948 में शुरू हुआ था, इसमें मोरिस ऑक्सफ़ोर्ड (Series 2 Morris Oxford) के मृत पुर्जों से टूलींग की गयी, यह नफ्फ्ल्ड ग्रुप (Nuffled Group) द्वारा निर्मित की गयी थी और अब यह ग्रुप ब्रिटिश मोटर कार्पोरेशन (British Motor Corporation) का एक हिस्सा है। एम्बेसेडर को 'एम्बी' नाम से जाना जाता है, इस गाड़ी की चाह लोगों में बहुत ज़्यादा हुआ करती थी, इस गाड़ी की हेडलाइट, बोनट और रंग लोगों को काफ़ी भाये। पिछले 50 वर्षों में एम्बी में काफ़ी सुधार आया है, इसमें नया इंजन लगाया गया है और बड़े पहिये भी लगवाए गए हैं। यह गाड़ी भारत की कड़क सड़कों पर चलने के लिए काफ़ी अच्छी है। इसकी विश्वसनीयता के कारण ही ज़्यादातर लोग इस गाड़ी का टैक्सी और आपातकालीन सेवाओं में इस्तेमाल करते हैं।
आज की तारीख तक हिंदुस्तान मोटर 40 लाख से ज़्यादा एम्बेसेडर बना चुकी है और इसका मुख्य उत्पादन-गृह या मुख्यालय पश्चिम बंगाल के उत्तरपुर में है। यह गाड़ी पूरे भारत भर की सड़कों पर देखी जा सकती है। यह गाड़ी अपनी विश्वसनीयता के कारण भारत के औद्योगिक विकास का एक प्रतीक बन गई है और सरकारी गाड़ी के तौर पर भी एम्बेसेडर का विस्तृत इस्तेमाल होता है तथा लगभग पांच में से एक एम्बेसेडर सर्कार द्वारा खरीदी जाती है। 1970 के दशक तक एम्बी के जोड़ की कोई दूसरी गाड़ी नहीं हुआ करती थी, लेकिन उसके बाद बाज़ार में नई तरीके की गाड़ियाँ आनी शुरू हो गईं और धीरे-धीरे एम्बी की मांग घटने लगी । लेकिन आज भी सरकारी गाड़ी के तौर पर इसका इस्तेमाल होता है। हिंदुस्तान मोटर ने इसकी बिक्री को बढ़ाने के लिए इस गाड़ी को जापान और UK में भी बेचना शुरू कर दिया है, जिन लोगों को पुरानी लुक की गाड़ियाँ पसंद हैं वे आज एम्बी को चुनते हैं। एम्बेसेडर ने वास्तव में भारत की महिमा और गरिमा को दर्शाया है।
1. पायनियर- फ़ायडॉन प्रेस
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