रामपुर में ज़रदोज़ी की चमक

लखनऊ

 06-04-2018 05:17 PM
मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

प्राचीन काल से ही कला के कई प्रकार लोगों के जीवन का हिस्सा रहे हैं, जैसे की चित्रकारी, मूर्तिकला, मृदभांड बनाना इत्यादि। इन सबके बीच कपड़ों की अहमियत को मानव जीवन काल में अनदेखा नहीं किया जा सकता। जैसे सोने चाँदी की चमक इंसानों को मोहने में कभी पीछे नहीं रहती, वैसे ही ज़रदोज़ी की चमक प्राचीन काल से ले कर अब तक लोगों के बीच प्रचलित है। सोने का इस्तेमाल कपड़ों में काफी विभिन्न तरीकों से हुआ है। अगर हम ज़रदोज़ी की कारीगरी की बात करें तो हमे इसके काफी ऐतिहासिक प्रमाण मिलते हैं जैसे -

1. ऋग्वेद में कपड़ों में सोने के काम की तुलना सूर्य के किरणों से की गयी है।
2. महाभारत के आदिपर्व और सभापर्व में भी सोने की कढ़ाई की हुई कपड़ों का वर्णन है।
3. 13 वी सदी से भी इसके प्रमाण मिले है जहाँ कपड़ों के साथ-साथ ऊन और चमड़े पर भी कढ़ाई की जाती थी।
4. इसकी चर्चा ग्रीक (यूनानी) यात्रियों ने भी की है (4 थी शताब्दी ई.पूर्व)।
5. मुग़लों के शासन काल में ज़रदोज़ी को खास प्राथमिकता मिली जिसका सीधा प्रमाण मुग़ल काल के कारखानों से मिलता है।
6. अकबर के शासन काल में फ़ारसी कारीगरों को बुलाया जाता था ताकि वो अपनी तकनीक यहाँ के कारीगरों को सिखा सकें।
7. आइन-ए-अकबरी; कढ़ाई, कारीगरों और तकनीक के बारे में विस्तृत जानकारी देती है। अकबर के राज के अंतर्गत कारखानों की स्थापना हुई थी जहाँ कारीगरों को काफी प्रोत्साहन मिला।
8. शाहजहाँ के कार्यकाल में भी इस कला को बड़ी प्राथमिकता मिली।

15 वीं शताब्दी के अंत में हुए व्यापारिक रास्ते की खोजों ने यूरो-एशियन व्यापार को बढ़ाया और पुर्तगाली ज़रदोज़ी के एक महत्वपूर्ण निर्यातक बन गए। ब्रिटिशों के राज के अंतर्गत 16 वी शताब्दी में भी ज़रदोज़ी के काम को काफी प्रोत्साहन मिला लेकिन इसके साथ ही कई बाधाएँ आई जैसे – यह कार्य शाही संरक्षण के अंतर्गत नहीं रहा और कारीगरों को मजबूर किया जाता था की वे अपने काम के लिए नए बाज़ारों की खोज करें और वहां उन्हें बेचे।

ज़रदोज़ी की कढ़ाई से बनी चीजों को 3 हिस्सों में बाट कर समझा जा सकता है -
1. घर (सजाने) का सामन और उससे सम्बंधित चीजें – तम्बू, तख्तपोश(कालीन), दरी, चादर (ओढ़ने और बिस्तर के लिए), छाता (अफ्ताब्गिर), खानपोश (खाना ढकने के लिए) इत्यादि
2. कपड़े, पोशाक और उससे सम्बंधित चीजें – महैरीबी, पटका, शॉल, चुनर, दुपट्टा, साडी, कमरबंध, जुती, मुकुट, बटुआ, कडा इत्यादि
3. अलग-अलग प्रकार की दूसरी चीजें – वर्दी, बैनर, झंडे इत्यादि
इनको बनाने की तकनीक और औजार, इनकी रचनाओं के प्रकार इत्यादि के बारे में अगली चिठ्ठी में पढ़े।

1. ज़रदोज़ी- ग्लिटरिंग गोल्ड एम्ब्रायडरी – चारू स्मिता गुप्ता
2. तानाबाना- टेक्सटाइल्स ऑफ़ इंडिया, मिनिस्ट्री ऑफ़ टेक्सटाइल्स, भारत सरकार
3. हेंडीक्राफ्ट ऑफ़ इंडिया – कमलादेवी चट्टोपाध्याय
4. टेक्सटाइल ट्रेल इन उत्तर प्रदेश (ट्रेवल गाइड) – उत्तर प्रदेश टूरिज्म



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