हम ईश्वर को भोजन का प्रसाद क्यूँ चढाते हैं?

लखनऊ

 05-04-2018 12:35 PM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

ज्यादातर भारतीय भगवान को भोजन चढ़ावे के रूप में चढ़ाते हैं और बाद में इसे खुद प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं जो कि भगवान द्वारा दिया गया एक उपहार स्वरुप होता है। भगवान को हमारे दैनिक अनुष्ठान की पूजा में भी नैवेद्यम (भोजन) प्रदान किया जाता है। भगवान सर्वव्यापी और सर्वज्ञ हैं। मनुष्य मात्र एक हिस्सा है, जबकि भगवान समग्र और पूर्ण है। हम अपनी जिंदगी में जो कुछ भी करते हैं वो उसी परमात्मा की शक्ति और ज्ञान के सहारे ही करते हैं, इसलिए हम हमारे कार्यों में मिली सफलता का शुक्रिया भगवान को भोजन देकर करते हैं। यह हिंदी कथन "तेरा तुझको अर्पण" इस बात को पूर्ण रूप से इंगित करता है कि हे ईश्वर जो भी तेरा है मैं तुझे लौटा रहा हूँ।

यह तथ्य जानने के बाद भोजन करने का रवैया और अंदाज़ पूर्ण रूप से बदल जाता है। जो भोजन चढ़ावे के रूप में चढ़ाया जाता है वह स्वाभाविक रूप से उत्तम कोटि का और शुद्ध होगा। हम भोजन को ख़त्म होने के पहले सभी के साथ बांटते है। हम जो भी भोजन पाते हैं उसका ना ही ज्यादा मांग करते हैं और ना ही भोजन का तिरस्कार करते हैं। हम प्रसाद को पूरे उत्साह के साथ ग्रहण करते हैं।

हम प्रत्येक दिन खाना खाने से पहले थाली पर पानी की बूंदे डालते हैं जो कि यह तय करता है कि थाली पूर्ण रूप से शुद्ध हो गयी है। पञ्च पत्तों को खाने की मुख्य थाली के सामने रखा जाता है जो कि देवता ऋण, पितृ ऋण, ऋषि ऋण, मनुष्य ऋण और भूत ऋण को समर्पित होता है।

भोजन भेंट इस मंत्र के साथ किया जाता है:
प्राणायाय स्वाहा,
अपानाय स्वाहा,
व्यानाय स्वाहा,
उदानाय स्वाहा,
समानाय स्वाहा,
ब्रह्मणे स्वाहा,

इस प्रकार भोजन ईश्वर को चढ़ाने के बाद, यह प्रासाद के रूप में खाया जाता है - धन्य भोजन।

1. इन इंडियन कल्चर व्हाई डू वी... – स्वामिनी विमलानान्दा, राधिका कृष्णकुमार



RECENT POST

  • जानें, प्रिंट ऑन डिमांड क्या है और क्यों हो सकता है यह आपके लिए एक बेहतरीन व्यवसाय
    संचार एवं संचार यन्त्र

     15-01-2025 09:32 AM


  • मकर संक्रांति के जैसे ही, दशहरा और शरद नवरात्रि का भी है एक गहरा संबंध, कृषि से
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     14-01-2025 09:28 AM


  • भारत में पशुपालन, असंख्य किसानों व लोगों को देता है, रोज़गार व विविध सुविधाएं
    स्तनधारी

     13-01-2025 09:29 AM


  • आइए, आज देखें, कैसे मनाया जाता है, कुंभ मेला
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-01-2025 09:32 AM


  • आइए समझते हैं, तलाक के बढ़ते दरों के पीछे छिपे कारणों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     11-01-2025 09:28 AM


  • आइए हम, इस विश्व हिंदी दिवस पर अवगत होते हैं, हिंदी के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसार से
    ध्वनि 2- भाषायें

     10-01-2025 09:34 AM


  • आइए जानें, कैसे निर्धारित होती है किसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:38 AM


  • आइए जानें, भारत में सबसे अधिक लंबित अदालती मामले, उत्तर प्रदेश के क्यों हैं
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:29 AM


  • ज़मीन के नीचे पाए जाने वाले ईंधन तेल का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कैसे होता है?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:46 AM


  • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में बिजली कैसे बनती है ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id