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भारत के सप्तऋषियों के समान ही ग्रीक सभ्यता में भी हैं 7 ऋषि

लखनऊ

 12-08-2024 09:33 AM
धर्म का उदयः 600 ईसापूर्व से 300 ईस्वी तक
प्राचीन भारतीय संस्कृति में ऋषियों एवं मुनियों को आदर एवं सम्मान के साथ अत्यंत उच्च स्थान प्रदान किया जाता था। हिंदू धर्म में 'सात ऐसे महान ऋषि' हैं, जिन्हें सप्तऋषि की उपाधि प्राप्त है। ये सप्तऋषि वास्तव में प्रबुद्ध प्राणी हैं और हिंदू धर्म में अत्यधिक पूजनीय हैं। सप्तऋषियों को भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र कहा जाता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि प्राचीन ग्रीस सभ्यता में भी 7 ऋषि रहे हैं? यह वो विशेष उपाधि थी जो ग्रीक परंपरा द्वारा प्राचीन ग्रीस के सात बुद्धिमान लोगों को दी गई थी, जो राजनेता, कानून-निर्माता और दार्शनिक थे। तो आइए, आज इस लेख में हम प्राचीन ग्रीस के 7 ऋषियों के बारे में विस्तार से बात करेंगे। हम दर्शन, कला, संस्कृति, धर्म आदि में उनके योगदान पर चर्चा करेंगे। इसके बाद, हम भारत के सप्तऋषियों के बारे में भी जानेंगे और सप्तऋषियों और खगोल विज्ञान के बीच क्या संबंध है इसे भी समझने का प्रयास करेंगे।
प्राचीन ग्रीस के सात ऋषि, वे प्रभावशाली दार्शनिक और कानून निर्माता थे, जो ग्रीक पुरातन काल (6ठी-5वीं ईसा पूर्व) में सक्रिय थे। यह संभव है कि इन सात ऋषियों की अवधारणा, सबसे पहले प्राचीन मेसोपोटामिया में विकसित हुई, जहां उन्हें अपकल्लु कहा जाता था | इन्हें , एक ऐसे समूह से संबंधित माना जाता था, जो महान जलप्रलय से पहले अस्तित्व में था।
1. थेल्स ऑफ़ मिलेटस (Thales of Miletus): थेल्स, सात ऋषियों में से पहले थे | वे ग्रीक खगोल विज्ञान और संभवतः गणित के अग्रदूत थे। हेरोडोटस (Herodotus) के अनुसार, थेल्स के माता-पिता का नाम 'एक्ज़ामियास' (Examyas) और 'क्लियोबुलिना' (Cleobulina) था, जिन्हें पौराणिक राजा कैडमस का वंशज माना जाता था। थेल्स को सात ऋषियों में से सबसे बुद्धिमान माना जाता था, उन्हें यह उपाधि एथेंस के आर्कन 'दमासियस' से प्राप्त हुई थी।
राजनीति में समय बिताने के बाद, थेल्स ने खुद को प्राकृतिक दुनिया को समझने के लिए समर्पित कर दिया। कई लोग कहते हैं कि थेल्स ने कभी कुछ भी नहीं लिखा, जबकि अन्य लोगों का मानना है कि उन्होंने तीन रचनाएँ 'नॉटिकल एस्ट्रोनॉमी' (Nautical Astronomy), 'ऑन द सॉल्स्टिस ' (On the Solstice) और ' इक्विनॉक्सेज़ ' (Equinoxes) लिखीं, जो अब लुप्त हो चुकी हैं। यूडेमस का दावा है कि थेल्स खगोल विज्ञान का अध्ययन करने वाले पहले यूनानी थे और थेल्स को उर्सा माइनर, संक्रांति के बीच के अंतराल की खोज करने और सूर्य के आकार और चंद्र कक्षा के अनुपात का पता लगाने का श्रेय दिया जाता है। कई लोगों का मानना है कि थेल्स ने सबसे पहले ऋतुओं को और वर्ष को 365 दिनों में विभाजित किया। इसके साथ ही उन्होंने मिस्र में ज्यामिति का अध्ययन किया।
थेल्स उन पहले यूनानी विचारकों में से एक थे जिन्होंने माना कि आत्मा अमर है, और उन्होंने चुम्बक के साथ अपने प्रयोगों के आधार पर यह भी दावा किया कि निर्जीव वस्तुओं में आत्मा होती है। उनका मानना था कि पानी हर चीज़ के पीछे का सिद्धांत है और दुनिया छोटी-बड़ी हज़ारों दिव्यताओं से भरी पड़ी है।
2. पिटाकस ऑफ़ माइटिलीन (Pittacus of Mitylene): पिटाकस, लेस्बोस द्वीप पर एक राजनेता, कानूनविद् और कवि थे। उन्होंने लेस्बोस के तानाशाह मेलान्क्रस को उखाड़ फेंकने के लिए अल्केयस भाइयों के साथ काम किया। पिटाकस ने सुझाव दिया कि वह और एथेनियन कमांडर फ़्रीनोन, विजेता का निर्धारण करने के लिए एकल युद्ध में लड़ें। हालाँकि, फ़्रीनोन एक ओलंपिक कुश्ती चैंपियन थे, लेकिन पिटाकस ने चतुराई से लड़ाई की और अपनी ढाल के पीछे एक जाल छुपाया, जिसका उपयोग उन्होनें फ़्रीनोन को फँसाने और हराने के लिए किया। परिणामस्वरूप, पिटाकस एक नायक के रूप में माइटिलीन लौट आए, और नागरिकों ने उन्हें अपना नेता बना लिया।पिटाकस ने पद छोड़ने से पहले दस वर्षों तक शहर पर शासन किया। अपने कार्यकाल के दौरान, पिटाकस, शहर में व्यवस्था और नए कानून लाए, जैसे नशे में होने पर किए गए किसी भी अपराध के लिए जुर्माना दुगना करना।
पिटाकस ने अपना बाद का जीवन लेखन में बिताया; उन्होंने काव्य पद्य की 600 से अधिक पंक्तियों की रचना की और 'ऑन लॉज़' (On Laws) नामक एक कानून पुस्तक लिखी। उन्हें एक ऐसे नायक के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने सभी प्रयासों में विनम्रता और शांति को प्रोत्साहित किया।
3. बायस ऑफ़ प्रीन (Bias of Priene): बायस ऑफ़ प्रीन, एक प्रसिद्ध कानूनविद्, कवि और राजनीतिज्ञ थे। फैनोडिकस के अनुसार, बायस ने मेसेनिया की कुछ बंदी लड़कियों की फ़िरौती का भुगतान किया। उन्होंने लड़कियों को अपनी बेटियों के रूप में पाला और जब वे वयस्क हो गईं तो उन्हें मेसेनिया में उनके परिवारों के पास वापस भेज दिया।
बायस ने 'ऑन इओनिया' (On Ionia) नामक 2000 पंक्तियों की एक कविता भी लिखी। वह एक प्रतिभाशाली वक्ता थे और उन्होंने अपना अधिकांश समय एक वकील के रूप में काम करते हुए बिताया। डायोजनीज का कहना है कि उन्होंने अपने इस कौशल का प्रयोग अच्छे लोगों की ओर से बोलने के लिए किया। हालाँकि एक किंवदंती के अनुसार, वास्तव में बायस की मृत्यु इसी तरह हुई थी।
अदालत में किसी के बचाव में बोलने के बाद, बुज़ुर्ग बायस बैठ गए और अपना सिर अपने पोते के कंधे पर रख दिया। जैसे ही अदालत स्थगित हुई, उनके पोते को पता चला कि बायस उसकी गोद में आराम करते हुए सदैव के लिए सो गए। बायस एक सक्षम सैन्य और सामरिक सलाहकार भी थे। अपनी चतुराई से उन्होंने एलायटेस और प्रीन के बीच शांति की स्थापित करवाई। बायस की चतुर सोच की बदौलत उस घेराबंदी को टाला गया, जिसमें सैकड़ों लोग भूखे मर सकते थे और मारे जा सकते थे।
बायस ने शक्ति और बल से अधिक शब्दों की शक्ति का समर्थन किया। वे एक संशयवादी व्यक्ति थे जिन्होंने यह कहावत गढ़ी थी कि " ज़्यादातर आदमी बुरे होते हैं" और उन लोगों की ओर से बोलते हुए शांतिपूर्ण जीवन जीते थे जिन्हें मदद की ज़रूरत थी।
4. सोलोन ऑफ़ एथेंस (Solon of Athens): एथेंस के सोलोन, यकीनन एथेंस के इतिहास में सबसे प्रभावशाली शख्सियतों में से एक थे। सोलन एक ऐतिहासिक कवि, राजनीतिज्ञ और कानूनविद् थे, जिन्होंने एथेंस में "ग्रेट अनबर्डनिंग" नामक एक नया कानून पेश करने में मदद की, जिसने सभी नागरिकों के ऋण माफ़ कर दिए। सलामिस द्वीप पर जन्मे और पले-बढ़े, सोलोन ने शुरू में एक सफल व्यापारी के रूप में एथेंस में प्रवेश कियाऔर एक सार्वजनिक वक्ता और कवि के रूप में अपनी पहचान बनाई।
595 ईसा पूर्व में जब एथेंस और मेगारा के बीच विवाद के चलते एथेनियाई लोगों को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा था और है और एथेंस के लोग हार करने के लिए तैयार हो गए थे, तो सोलन ने पागलपन का नाटक करते हुए एथेनियाई लोगों के आत्मविश्वास को बढ़ाने वाली अपनी कविता पढ़ी। सोलोन की मदद से, एथेनियाई लोग फिर से युद्ध के लिए प्रतिबद्ध हुए और मेगारा को हरा दिया। एक साल बाद, सोलन को एटिका का आर्कन या मुख्य मजिस्ट्रेट बनाया गया। सोलन ने सबसे पहले अध्यादेशों का एक सेट पेश किया जिसे 'सीसाचथिया' (seisachtheia) कहा जाता है। इन नए कानूनों ने ऋण राहत के माध्यम से व्यापक दास प्रथा और गुलामी को कम करने में मदद की। सोलन ने एक ही कदम में सैकड़ों एथेनियाई लोगों का कर्ज़ चुका दिया और उन्हें गिरमिटिया दासता से मुक्त कर दिया।
5. चिलॉन ऑफ़ स्पार्टा (Chilon of Sparta): स्पार्टा के दंडाधीश के रूप में, चिलॉन का जीवन उनकी अपनी शिक्षाओं के अनुरूप था। उन्हें तीनों 'डेल्फ़िक' (Delphic) कहावतों का भी श्रेय दिया जाता है। चिलॉन की तुलना उनके समय के कई दार्शनिकों से की जाती है। चिलॉन को एक ईमानदार व्यक्ति माना जाता था जो अपने काम, विचार और भाषण को बरकरार रखते थे। कहा जाता है कि ओलिंपिक मुक्केबाजी स्पर्धा में विजयी हुए अपने बेटे को बधाई देने के बाद, पीसा में, अत्यधिक खुशी के कारण चिलॉन की मृत्यु हो गई।
6. क्लियोबुलस ऑफ़ रोड्स (Cleobulus of Rhodes): क्लियोबुलस अपनी सुंदरता और ताकत के कारण अत्यधिक प्रतिष्ठित थे। यह भी माना जाता था कि क्लियोबुलस, मिस्र में अध्ययन करने के बाद, वहां के दर्शनशास्त्र से परिचित भली भांति परिचित थे। उनकी एक बेटी भी थी जिसका नाम क्लियोबुलिना था, जो हेक्सामीटर छंद का उपयोग करके पहेलियां लिखने वाली एक लोकप्रिय कवयित्री थीं। यह भी माना जाता है कि क्लियोबुलस ने मिडास की कब्र पर शिलालेख लिखा था। क्लियोबुलस की मृत्यु 70 वर्ष की आयु में हुई थी।
7. पेरिऐंडर ऑफ़ कोरिंथ (Periander of Corinth): पेरिएंडर, कोरिंथ के पहले तानाशाह साइप्सेलस के पुत्र थे । इस प्रकार, पेरिएंडर को कोरिंथ के निर्विवाद नेता के रूप में अपने पिता की भूमिका विरासत में मिली, और उन्होंने शहर को प्राचीन ग्रीस में व्यापार के प्रमुख केंद्रों में से एक बना दिया।
पेरिएंडर को, कोरिंथ को एक आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित करने के लिए याद किया जाता है | हालाँकि, उनका जीवन विवादों से भरा रहा। उनके दो पुत्र थे; साइप्सेलस, और लाइकोफ्रॉन। पेरिएंडर ने एपिडॉरस पर विजय प्राप्त करके, कोरसीरा पर कब्ज़ा करके, और चाल्सीडिस में पोटिडिया और इलियारिया में अपोलोनिया में नई उपनिवेश स्थापित करके और शहर के प्रभाव का विस्तार करके कोरिंथ की सीमाओं का विस्तार किया। उन्हें कोरिंथ के इस्थमस पर डिओल्कोस नामक एक नई परिवहन प्रणाली का आविष्कार करने का श्रेय दिया जाता है। इस नई प्रणाली ने एक पक्का ट्रैक तैयार किया जो जहाज़ों को सेन्च्रिया के पूर्वी बंदरगाह से लेचेओन के पश्चिमी बंदरगाह तक पहिए वाली गाड़ियों पर ज़मीन पर से ले जाता था।
भारत में हिंदू धर्म में 'सात महान ऋषियों' को सप्तऋषि के नाम से जाना जाता है। ये सप्तऋषि वास्तव में प्रबुद्ध प्राणी हैं और हिंदू धर्म में अत्यधिक पूजनीय हैं। सप्तऋषियों को भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र और भगवान शिव या आदियोगी के शिष्य माना जाता है। कहा जाता है कि आदियोगी ने उन्हें योग सिखाया था ताकि वे ज्ञान और परंपरा को मानव जाति तक फैला सकें। वेदों के अनुसार सप्तर्षियों ने अपनी घोर तपस्या और योगशक्ति से अर्ध-अमर स्थिति प्राप्त की है। वे चार महान युगों - सत्य युग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलियुग के माध्यम से मानव जाति का मार्गदर्शन करते हैं। माना जाता है कि सप्तऋषि अत्यंत शक्तिशाली हैं और पृथ्वी पर किसी भी अस्त्र को पराजित कर सकते हैं। वे जीवन और मृत्यु के चक्र से शासित नहीं होते हैं। 'सप्तऋषियों' को सम्मानित करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए हिंदू चंद्र कैलेंडर के भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पंचमी को 'ऋषि पंचमी' मनाई जाती है।
आइए प्रत्येक सप्तर्षि के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करें:
1. कश्यप: सप्तर्षि कश्यप को असुरों, देवताओं और मानव जाति का पिता माना जाता है। उन्होंने कश्यप संहिता लिखी। इस पुस्तक का उपयोग आयुर्वेद, बाल रोग, स्त्री रोग और प्रसूति विज्ञान में किया जाता है। उन्होंने ऋग्वेद के कई भजन और छंद भी लिखे। कश्मीर का नाम ऋषि कश्यप के नाम पर पड़ा है। इसका प्राचीन नाम 'कश्यप मीरा' अर्थात कश्यप की झील था।
2. अत्रि: अत्रि हिंदू धर्म में सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक, भगवान दत्तात्रेय के पिता हैं। अत्रि ने कई पवित्र वैदिक मंत्रों की रचना की। उनके सम्मान में ऋग्वेद के पांचवें मंडल का नाम 'अत्रि मंडल' रखा गया है। उन्होंने 'अत्रि संहिता' की भी रचना की। उनका विवाह देवी अनुसूया से हुआ था। उनके तीन पुत्र थे - दत्तात्रेय (जो त्रिमूर्ति - ब्रह्मा, विष्णु और शिव के अवतार थे), दुर्वासा और सोम (चंद्र)।
3. गौतम: गौतम ने 'गौतम धर्मसूत्र' की रचना की, जो सामाजिक और धार्मिक कानूनों में पहला ग्रंथ माना जाता है। उन्होंने गौतम मेधसूत्र की भी रचना की। उन्हें गोदावरी नदी के निर्माण का श्रेय दिया जाता है। वे महर्षि रहूगण और माता प्रद्वेशी के पुत्र थे। उनका विवाह अहल्या से हुआ था। वे भगवान शिव के अनन्य भक्त थे और उन्होंने त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना की।
4. भारद्वाज: भारद्वाज एक अर्थशास्त्री, चिकित्सक, व्याकरणविद् और विद्वान थे। वे देव गुरु बृहस्पति के पुत्र थे। उन्होंने ऋग्वेद की छठी पुस्तक लिखी। भारद्वाज, महाभारत में कौरवों और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य के पिता थे। जब भगवान राम वनवास में थे तो उन्होंने प्रयाग में ऋषि भारद्वाज के आश्रम में विश्राम किया था।
5. जमदग्नि: ऋषि जमदग्नि हिंदू धर्मग्रंथों और वेदों के अच्छे ज्ञाता थे। वह भगवान विष्णु के छठे अवतार 'परशुराम' के पिता हैं। उनकी पत्नी का नाम रेणुका था।
6.वशिष्ठ: सप्तर्षि वशिष्ठ, भगवान राम और उनके भाइयों के गुरु थे। उनका 'गुरुकुल' अयोध्या में सरयू नदी के तट पर स्थित था। उन्होंने ऋग्वेद का मंडल 7 लिखा। साथ ही, उन्होंने 'वशिष्ठ संहिता' और 'योग वशिष्ठ' की भी रचना की। उन्हें ज्योतिष शास्त्र का अथाह ज्ञान था।
7. विश्वामित्र: विश्वामित्र एकमात्र ऋषि हैं जो कठोर तपस्या के माध्यम से 'ब्रह्मर्षि' की योग्यता तक पहुंचे। ब्रह्मा ने अंततः उन्हें 'सप्तऋषि' में से एक के रूप में नियुक्त किया। जन्म से वह एक क्षत्रिय राजा थे। उन्होंने 'गायत्री मंत्र' की रचना की।
प्राचीन भारतीय खगोल विज्ञान में, 'बिग डिपर' के तारामंडल को सप्तऋषि कहा जाता है, जिसमें सात सितारे सात ऋषियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, अर्थात् "वशिष्ठ", "मारीचि", "पुलस्त्य", "पुलहा", " अत्रि", "अंगिरस" और "क्रतु"। इनके भीतर, थोड़ा सा दिखाई देने वाला एक और तारा है, जिसे "अरुंधति" के नाम से जाना जाता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2b66s92r
https://tinyurl.com/mrxa2vwv
https://tinyurl.com/mr26at3a
https://tinyurl.com/39jttszm

चित्र संदर्भ
1. प्राचीन ग्रीस के 7 ऋषियों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. थेल्स ऑफ़ मिलेटस को दर्शाता चित्रण (getarchive)
3. पिटाकस ऑफ़ माइटिलीन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. बायस ऑफ़ प्रीन को संदर्भित करता एक चित्रण (worldhistory)
5. सोलोन ऑफ़ एथेंस को संदर्भित करता एक चित्रण (lookandlearn)
6. चिलॉन ऑफ़ स्पार्टा को संदर्भित करता एक चित्रण (lookandlearn)
7. क्लियोबुलस ऑफ़ रोड्स को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. पेरिऐंडर ऑफ़ कोरिंथ को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
9. सप्तऋषियों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)




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