Post Viewership from Post Date to 02-Sep-2024 (31st) day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1810 72 1882

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

केट्टुवल्लम: केरल के पर्यटन उद्योग को चमकाने वाले लकड़ी के हाउसबोट

लखनऊ

 02-08-2024 09:17 AM
य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

केट्टुवल्लम, या 'गांठों वाली नाव', का नाम नारियल की रस्सी से लिया गया है, जो पूरी संरचना को एक साथ रखने के लिए जटिल रूप से बंधी होती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इन नावों के निर्माण में एक भी कील का उपयोग नहीं किया जाता है। आज, हम इन पारंपरिक नावों की अनूठी वास्तुकला के बारे में जानेंगे। साथ ही हम आधुनिक केरल हाउसबोट (Houseboat) में दी जाने वाली सुविधाओं का भी पता लगाएंगे और केरल के नाव पर्यटन की बढ़ती लोकप्रियता पर चर्चा करेंगे।
केरल हाउसबोट, “केट्टुवल्लम” नामक पारंपरिक नाव का आधुनिक रूप है, जो कि अतीत में एक बड़ी नाव हुआ करती थी। मलयालम में, "केट्टु" का अर्थ बाँधना होता है और "वल्लोम" का अर्थ नाव होता है। ऐतिहासिक रूप से, केट्टुवल्लम का उपयोग कुमारकोम और कुट्टनाड से चावल और मसालों जैसे सामानों को पास के शहरों तक पहुँचाने के लिए किया जाता था। हालाँकि, आधुनिक सड़क और रेल परिवहन के आगमन के साथ ही इन सुंदर नावों का उपयोग अब पहले की भांति नहीं किया जाता। पारंपरिक रूप से, हाउसबोट की लंबाई लगभग 60 से 70 फ़ीट और चौड़ाई 13 से 15 फ़ीट होती है, हालाँकि इसके कुछ शानदार संस्करण अब 80 फ़ीट से अधिक हो गए हैं। कटहल या ताड़ की लकड़ी, नारियल के रेशे, बांस के डंडे और रस्सियों जैसी पर्यावरण के अनुकूल सामग्रियों से निर्मित ये नावें लकड़ी के तख्तों पर कीलों का उपयोग करने के बजाय, नारियल के रेशे को बांधकर बनाई जाती हैं। लकड़ी के तख्तों पर काजू के छिलकों से प्राप्त काले राल की एक सुरक्षात्मक परत लगाई जाती है। इस तरह की आधुनिक नावें, केरोसीन या पेट्रोल से चलने वाली मोटरों द्वारा संचालित होती हैं, और उनकी छतें बांस के डंडों और ताड़ के पत्तों से बनी होती हैं। आधुनिक नाव बनाने के प्रारंभिक चरण में कमरों की संख्या निर्धारित करना और हाउसबोट के आयामों का अनुमान लगाना शामिल है। पहला चरण एराव का निर्माण होता है, जिसे बढ़ई ‘नाव की रीढ़’ कहते हैं। इसके बाद, लकड़ी का एक घुमावदार टुकड़ा थड़ा, एराव से चिपकाया जाता है। नाव के केंद्र में, एम्ब्रम (Embrem) को मट्टम (Mattam) से जोड़ा जाता है। चौथे चरण में, लकड़ी के तख्तों को मट्टम से जोड़ा जाता है, और पसलियों को चिपकाया जाता है। फिर तख्तों को थारा (Thara) का उपयोग करके सुरक्षित किया जाता है, और बीच में नींव और कवर बोर्ड (Cover Board) रखा जाता है। इसके अगले चरण में नाव के बाहरी हिस्से को सही किया जाता है। किसी भी लीक की जाँच करने के लिए, नाव में 200 लीटर डीज़ल डाला जाता है। बाहरी सतह को टार से लेपित किया जाता है, उसके बाद टार शीट (Tar Sheet) लगाई जाती है। फिर एक एल्युमिनियम शीट (Aluminium Sheet) को पानी की रेखा तक चिपकाया जाता है, और फ़िनिशिंग टच (Finishing Touch) के रूप में घुंघराले लकड़ी के सिरे जोड़े जाते हैं।
आमतौर पर पुरानी नावों को नवीनीकृत करके हाउसबोट में बदल दिया जाता है। तीन कमरों वाली एक नई हाउसबोट बनाने की लागत, लगभग 18 लाख रुपये आती है, जिसमें छत और लक्ज़री सुविधाओं के लिए अतिरिक्त 20 लाख रुपये की आवश्यकता होती है। केरल के हाउसबोट, पारंपरिक केट्टुवल्लम और आधुनिक तकनीक का एक बेहतरीन मिश्रण हैं। इनके भीतर आपको साधारण सेटअप से लेकर आलीशान बोट हाउस तक सब कुछ मिलेगा, सभी में LED TV जैसी आरामदायक सुविधाएँ मौजूद हैं। ये हाउसबोट बांस, लकड़ी और अन्य सामग्रियों से बने हैं, जिनमें खूबसूरत ताड़ के पत्ते लगे हैं जो बैकवाटर के शानदार दृश्य बनाते हैं। ये हाउसबोट विशाल और आरामदायक होती हैं। दिलचस्प रूप से यदि आप एक बड़े समूह के साथ यात्रा कर रहे हैं, तो आप कई हाउसबोट को जोड़कर एक बोट ट्रेन (Boat Train) भी बना सकते हैं। केरल अपने शानदार समुद्र तटों, पहाड़ियों और शांत बैकवाटर के लिए प्रसिद्ध है। हाउसबोट टूर पर जाना इसकी सुंदरता में डूबने का सबसे अच्छा तरीका है। ऐसे कई वजहें हैं, जिनके कारण आपको एक न एक बार इन हाउसबोट टूर पर ज़रूर जाना चाहिए।
लुभावनी प्राकृतिक सुंदरता: केरल के बैकवाटर (Backwater) नहरों, लगून और झीलों का एक मंत्रमुग्ध करने वाला नेटवर्क है, जो हरे-भरे उष्णकटिबंधीय जंगलों और लहराते नारियल के पेड़ों से घिरा हुआ है। ऐसे में हाउसबोट टूर इन सुरम्य जलमार्गों के आश्चर्यजनक दृश्यों और शांतिपूर्ण माहौल में डूबने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है।
एक अनूठा अनुभव: शांत बैकवाटर (Backwater) के साथ पानी में ग्लाइडिंग (Gliding) करना एक बेहतरीन अनुभव होता है। हाउसबोट को छूने वाली कोमल लहरें, प्रकृति की मधुर ध्वनियों के साथ मिलकर एक शांत वातावरण बनाती हैं जो आपको आराम करने और अपने आस-पास की सुंदरता से जुड़ने की अनुमति देती हैं।
वन्यजीव दर्शन: केरल का बैकवाटर, विविध वन्यजीवों से भरा हुआ है। यहाँ पर जीवंत किंगफिशर (Kingfisher), सुंदर एग्रेट्स (Egrets) और राजसी बगुलों को देखना आम बात है। इस समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र से गुज़रते समय आपको चंचल ऊदबिलाव और जल भैंस भी दिखाई दे सकते हैं।
पाक कला: केरल अपने स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध है, और हाउसबोट यात्रा स्थानीय स्वादों का आनंद लेने का एक आदर्श अवसर हो सकता है। स्थानीय रूप से प्राप्त सामग्री का उपयोग करके आपके जहाज पर मौजूद शेफ द्वारा तैयार किए गए पारंपरिक और ताज़े केरल के व्यंजनों का आनंद लें।
आराम और सुविधा: यहाँ आप स्टाइल के साथ आराम से बैकवाटर का अनुभव कर सकते हैं। हाउसबोट में आपकी ज़रूरत की सभी सुविधाएँ मौजूद होती हैं, जिसमें आरामदायक स्लीपिंग क्वार्टर (Sleeping Quarter), पूरी तरह से चालू किचन (Kitchen) और यहाँ तक कि सन डेक (Sun Deck) भी शामिल है। आरामदेह छुट्टी के लिए आपको जो कुछ भी चाहिए, वह सब यहाँ पर उपलब्ध होता है।
सांस्कृतिक अनुभव: हाउसबोट टूर वहां की स्थानीय संस्कृति और परंपराओं की एक अनूठी झलक प्रदान करता है। यहाँ आप जलमार्गों के किनारे आकर्षक गाँवों में रुक सकते हैं और वहाँ के चहल-पहल भरे बाज़ारों में टहल सकते हैं | आप स्थानीय मंदिरों में भी जा सकते हैं और मिलनसार निवासियों से मिल सकते हैं। यह सांस्कृतिक विसर्जन केरल के समृद्ध इतिहास और विरासत के बारे में जानकारी प्रदान करता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/27xecdrr
https://tinyurl.com/25l6sltm
https://tinyurl.com/2y2y9djn
https://tinyurl.com/283kxveo

चित्र संदर्भ
1. अलप्पुझा में एक हाउसबोट को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. बिय्यम झील, पोन्नानी में हाउसबोट के साथ बैकवाटर के दृश्य को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. हाउसबोटों के समूह को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. हाउसबोट के भीतरी हिस्से को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. एक कतार से लगे हाउसबोटों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id