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रथ यात्रा या रथ उत्सव हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह शब्द विशेष रूप से उड़ीसा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और अन्य पूर्व भारतीय राज्यों में वार्षिक रथयात्रा को संदर्भित करता है। रथ यात्रा विशेष रूप से उड़ीसा का प्रमुख उत्सव है, जिसमें भगवान जगन्नाथ (विष्णु अवतार), उनके भाई बलभद्र, उनकी बहन सुभद्रा और भगवन विष्णु के हथियार सुदर्शन चक्र को लकड़ी के बने हुए रथ पर सवार करके सार्वजनिक जुलुस निकला जाता है। हर साल लाखों हिंदू तीर्थयात्री इस जुलूस में शामिल होते हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा अपनी मौसी के घर जाते हैं। रथ यात्रा पुरी के जगन्नाथ मंदिर से तीन दिव्य रथों पर निकाली जाती है। सबसे आगे भगवान कृष्ण के भाई बलभद्र का रथ, उनके पीछे बहन सुभद्रा और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ होता है। मान्यताओं के अनुसार, एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने पूरा नगर देखने की इच्छा जताई। तब जगन्नाथ और बलभद्र अपनी बहन सुभद्रा को रथ पर बैठाकर पूरा नगर दिखाने निकल पड़े। रथ यात्रा के दौरान विभिन्न प्रकार के खुशियों भरे पारंपरिक गीत भी बजाए और गाए जाते हैं, जो माहौल को और भी खुशनुमा बना देते हैं। इन गीतों का गहरा सांस्कृतिक महत्व है और ये रथ यात्रा के उत्सव का एक अभिन्न अंग हैं। तो आइए आज हम उन पारंपरिक गीतों का आनंद लें, जिन्हें रथ यात्रा के समय बजाया और गाया जाता है।
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