यह बात तो हम सभी जानते हैं कि रामपुर राज्य को अवध संधि के मुताबिक नवाब फैज़ुल्लाह खान ने सन 1774 में स्थापित किया और उसके पहले यह दिल्ली सल्तनत का भाग था और इस जगह को कठेर कहा जाता था। परन्तु उससे पहले यहाँ क्या था यह प्रश्न भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
रामपुर में किसी भी प्रकार का पुरातात्विक अन्वेषण अथवा उत्खनन नहीं हुआ है और अगर कोई पुरातन वास्तु अथवा वस्तु हो भी तो आज समय के गाल में वो समा चुकी है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि रामपुर का प्रागैतिहासिक इतिहास खो गया है। इतिहास किसी ना किसी तरह अपना अस्तित्व कायम रखता है बस उसे ढूंढने की जरुरत होती है। रामपुर में भी कुछ इसी प्रकार की स्थिति है।
रामपुर रोहिलखंड से पहले पंचाल का हिस्सा था। अहर, अहीर, चौहान, दलेर, गुजर, कंजर, पासी, बेड़िया आदि यहाँ के मूलनिवासियों में से हैं। यहाँ के कुछ गाँव के नाम खेरा/खेड़ा इस उपनाम से जुड़े हैं जैसे बेरखेड़ा, ईसाखेड़ा, करखेड़ा, महुआखेड़ा आदि। अतरंजीखेड़ा पंचाल के प्रमुख नगरों में से एक था और रामपुर का इलाका भी पंचालों के अधीन था। यह खेड़ा शब्द जिस किसी गाँव के नाम से जोड़ा जाता है उससे पता चलता है कि वह कितनी पुरानी जगह हैं। अजीतपुर, केमरा सैंथाखेड़ा आदि आस-पास के इलाकों में सती-शिला, पुराने मंदिर, गढ़ी आदि आज भी दिखते हैं जिनका काल 11-12वी शती का है। रामपुर अहिक्षेत्र (बरेली), कुरु राज्य की राजधानी और हस्तिनापुर (मेरठ), पंचाल राज्य की राजधानी के बीचोबीच है और यह पूरा क्षेत्र वैदिक काल के ब्रह्मर्षिदेश का हिस्सा था। मान्यता है कि क्रिवी जिनका जिक्र ऋग्वेद में हैं यहाँ पर आकर बसे थे तथा उन्ही का नाम आगे चलकर पंचाल बना था क्यूंकि वे 5 ऋग्वेदी जनजातियों के बने हुए थे। पुराणों के अनुसार भारत का महान पुरुवंशी राजा जिसकी राजधानी हस्तिनापुर थी पूरे उत्तर भारत का सम्राट था जिसमें रामपुर भी शामिल है। उसके वंश के नील और ब्रिहड़वसु ने उत्तर और पश्चिम पंचाल राज्यों का निर्माण किया था। नील की राजधानी अहिक्षेत्र थी जो वर्तमान रामपुर ज़िले के दक्षिण-पूर्वी सीमा के बिलकुल नजदीक है। लोकधारणा के अनुसार रामपुर से 22 कि.मी. दूर सहस्त्रफनी नामक एक बड़ा किला हुआ करता था और इसका मालिक भूरिश्रव महाभारत के युद्ध में मारा गया था। मान्यता है कि कोहिनूर हीरा भी भूरिश्रव का ही था।
उपरोक्त सभी बातों को ध्यान में लें तो इस बात में संदेह नहीं होना चाहिए कि रामपुर और महाभारत का रिश्ता है जो रामपुर की जमीन को प्राचीनता प्रदान करता है।
1. गज़ेटियर ऑफ़ इण्डिया, उत्तर प्रदेश-रामपुर डिस्ट्रिक्ट
2. रामपुर डिस्ट्रिक्ट गज़ेटियर 1911
3. रज़ा लाइब्ररी, रामपुर, राज भवन, लखनऊ, उत्तर प्रदेश और भगवन शंकर (आई.ए.एस.), डाइरेक्टर, नॉर्थ सेंट्रल ज़ोन कल्चरल सेंटर, इलाहाबाद।
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.