City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
1634 | 136 | 1770 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में प्रसिद्ध राम मंदिर के अलावा, हमारे रामपुर में भी भगवान राम को समर्पित एक भव्य मंदिर है। इस मंदिर के कारण एक स्थानीय कॉलोनी का नाम राम विहार रखा गया। इस मंदिर की अनूठी विशेषता एक पत्थर है, कि यहां मंदिर के गर्भगृह में करीब 250 फुट नीचे पत्थर पर भगवान श्रीराम का नाम लिखा हुआ है। ग्रेनाइट पत्थर पर मंदिर निर्माण की तारीख से लेकर सहयोगियों तक का उल्लेख किया गया है।
हालाँकि, भगवान राम के मंदिर केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे एशियाई महाद्वीप में देखे जा सकते हैं।
इंडोनेशिया, मलेशिया और कंबोडिया जैसे देशों का तो रामायण के साथ भी ऐतिहासिक संबंध रहा है। आज, के इस लेख में हम भगवान राम के देश सीमाओं से परे फैले प्रभाव के बारे में जानने की कोशिश करेंगे।
सदियों पहले, एक कुलीन राजकुमार, उनकी आज्ञाकारी पत्नी और उनके वफादार अनुज (भाई) ने धार्मिकता के सिद्धांतों और अपने पिता के फैसले का सम्मान करने के लिए राजपाठ का त्याग कर दिया और तीनों घने जंगलों में भटकने लगे। उस कालखंड में गंभीर मानसिक हालातों से निपटने के साथ-साथ उन्हें भयंकर राक्षसों, कठोर इलाकों, भूख, प्यास और थकान सहित कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा। उनकी इस यात्रा में उन्हें बुद्धिमान साधुओं, विशाल पक्षियों, और वानरों की एक जनजाति का भी साथ मिला।
अभी तक आप समझ ही गए होंगे कि यह प्रसंग सीधे-सीधे रामायण में वर्णित माता सीता, प्रभु श्री राम और उनके अनुज लक्षमण की अयोध्या से लंका तक की यात्रा की गाथा को दोहरा रहा है। आप उचित सोच रहे हैं! इस पूरे महाकाव्य का शुरुआती बिंदु हमारे उत्तर प्रदेश में स्थित पवित्र अयोध्या नगरी को माना जाता है। अयोध्या प्रभु श्री राम का जन्मस्थान है, और यहां पर आज भी कई ऐसे मंदिर और धार्मिक स्थल हैं, जो रामायण से जुड़े हुए हैं। अयोध्या के प्रमुख आकर्षणों में कनक भवन मंदिर, हनुमान गढ़ी मंदिर और सरयू नदी के घाट शामिल हैं।
प्रभु श्री राम की लंका यात्रा कई पड़ावों से होकर गुजरी जिनमें से कुछ प्रमुख पड़ावों का संक्षिप्त सारांश निम्नवत दिया गया है:
1. प्रयाग, उत्तर प्रदेश: प्रयागराज में प्रभु श्री राम को 14 साल के वनवास की कठनाइयों को सहने के लिए ऋषि भारद्वाज से आशीर्वाद और ज्ञान प्राप्त हुआ था। लंका से लौटने पर, प्रभु श्री राम ने अयोध्या जाने से पहले ऋषि के आश्रम का पुन: दौरा किया।
2. चित्रकूट, मध्य प्रदेश: माना जाता है कि श्री राम, सीता और लक्ष्मण अपने वनवास के दौरान 11 वर्षों से अधिक समय तक यही पर रुके थे। यहां उनकी भेंट ऋषि अत्रि और उनकी पत्नी अनुसूया देवी से हुई।
3. पंचवटी, नासिक: रामायण काल में इस स्थान पर घना जंगल हुआ करता था! राक्षसी सूर्पणखा ने लक्ष्मण का रूप यहीं पर धारण किया था! इसके बाद घटी घटनाओं को लंका में महायुद्ध होने का प्रमुख कारण बताया जाता है।
4. लेपाक्षी, आंध्र प्रदेश: ऐसा माना जाता है कि लेपाक्षी वही जगह है, जहां गिद्धराज जटायु, माता सीता को रावण से बचाने के अपने साहसी किंतु असफल प्रयास के बाद जमीन पर गिरे थे।
5. किष्किंधा, कर्नाटक: आज इस स्थान को हम्पी के नाम से जाना जाता है, और यहीं पर राम की मुलाकात वानर राज सुग्रीव से हुई थी, जिन्होंने बाद में रावण के विरुद्ध लड़ाई में उनकी सहायता की थी।
6. रामेश्वरम, तमिलनाडु: भगवान श्री राम की सेना ने इसी स्थान से श्रीलंका के लिए पौराणिक पुल का निर्माण किया था। माता सीता को बचाने के लक्ष्य पर निकलने से पहले भगवान राम ने यहां एक शिवलिंग स्थापित किया और उसकी पूजा की।
7. अशोक वाटिका, श्रीलंका: श्रीलंका में मौजूद यह वही स्थान है, जहां रावण ने माता सीता को बंदी बनाकर रखा था! यहां पर आज के समय में पवित्र सीता अम्मन मंदिर निर्मित किया गया है। मंदिर के पास हनुमान के विशाल पैरों के निशान भी देखे जा सकते हैं।
8. तलाईमन्नार, श्रीलंका: यह वही युद्धक्षेत्र है, जहां भगवान् राम ने रावण को हराया और माता सीता को बचाया था
संस्कृत महाकाव्य, रामायण न केवल भारत में पढ़ी जाती है, बल्कि इसने विश्व स्तर पर भी विभिन्न संस्कृतियों को भी प्रभावित किया है।
नीचे कुछ प्रमुख कारक दिए गए हैं, जिनके कारण रामायण ने पूरी दुनियां में अपना गहरा प्रभाव छोड़ा है:
व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान: दूसरी शताब्दी ईसवी की शुरुआत में, दक्षिण पूर्व एशिया के साथ समुद्री व्यापार और सांस्कृतिक संपर्क ने रामायण के प्रसार में अहम् भूमिका निभाई। यह महाकाव्य थाईलैंड, कंबोडिया और जावा जैसे देशों में पहुंची, जहां इसे स्थानीय लोककथाओं और कला में रूपांतरित किया गया।
धार्मिक संबंध: हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म के प्रचार ने भी रामायण के प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। बौद्ध मिशनरियों ने रामायण के तत्वों को चीन और जापान जैसे दूर-दराज के देशों में भी पेश किया, जबकि दक्षिण पूर्व एशिया में हिंदू समुदायों ने महाकाव्य की सक्रिय रूप से संरक्षण और पुनर्व्याख्या की।
गिरमिटिया आंदोलन: 19वीं सदी में, भारतीय गिरमिटिया मज़दूर , जिन्हें "गिरमिटिया" कहा जाता था, रामायण को मॉरीशस, फिजी, त्रिनिदाद और टोबैगो, गुयाना और सूरीनाम जैसी जगहों पर ले गए। यहां, पर इस महाकाव्य ने एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में कार्य किया।
वैश्विक भारतीय समुदाय: समय के साथ, दुनिया भर में फैले हुए भारतीय समुदाय, रामायण सहित अपनी सांस्कृतिक परंपराओं को अपने साथ वहां भी ले गए हैं। इससे उत्तरी अमेरिका से लेकर यूरोप और अफ्रीका तक के क्षेत्रों में महाकाव्य की स्थानीय प्रस्तुतियों और व्याख्याओं का उदय हुआ है।
अनुवाद और अनुकूलन: अंग्रेजी, फ्रेंच और डच सहित विभिन्न भाषाओं में रामायण के अनुवाद ने इसे वैश्विक दर्शकों के लिए सुलभ बना दिया है। इसके अलावा, प्रसिद्ध लेखकों द्वारा किए गए साहित्यिक रूपांतरण ने इसकी पहुंच का विस्तार किया है।
फिल्म और टेलीविजन: 20वीं सदी में रामायण से प्रेरित फिल्मों और टीवी शो (TV Show) में भारी वृद्धि देखी गई। उदाहरण के लिए, 1987 की भारतीय टीवी श्रृंखला "रामायण" ने 80 मिलियन से अधिक दर्शकों को आकर्षित किया।
कुल मिलाकर रामायण की वैश्विक लोकप्रियता के पीछे ऐतिहासिक अंतः क्रियाओं, प्रवासन, सार्वभौमिक विषयों, अनुकूलन क्षमता, धार्मिक प्रभाव, कलात्मक अभिव्यक्ति और आधुनिक वैश्वीकरण जैसे कई कारक ज़िम्मेदार हैं।
विदेशों में प्रभु श्री राम के प्रभाव का अंदाज़ा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि भगवान राम के जन्म की स्मृति में मनाए जाने वाले त्योहार राम नवमी को भारत के साथ-साथ उन अधिकांश देशों में भी मनाया जाता है, जहां बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय के लोग रहते हैं।
इन देशों में शामिल है:
1. नेपाल: हिंदू राष्ट्र नेपाल में राम नवमी के दिन सार्वजनिक अवकाश रहता है। यहाँ के लोग इस उत्सव को उपवास और मंदिर में भगवान के दर्शन करके मनाते हैं। यह त्यौहार खासतौर पर नेपाल के जनकपुर क्षेत्र में भी विशेष महत्व रखता है, जिसे भगवान राम और सीता के विवाह का स्थल माना जाता है।
2. मॉरीशस: पर्याप्त संख्या में हिंदू आबादी के होने के कारण, मॉरीशस में भी रामनवमी को धूमधाम से मनाया जाता है। इस खास अवसर पर वहां भी, प्रार्थना की जाती है और उपवास रखे जाते है।
3. इंडोनेशिया: इंडोनेशिया में बाली के हिंदू समुदाय द्वारा राम नवमी को दस दिवसीय त्योहार "गलुंगन" के रूप में मनाया जाता है। इस अवधि के दौरान, घरों को बांस के खंभों से सजाया जाता है, और देवताओं के जुलूस निकाले जाते हैं तथा उन्हें प्रसाद चढ़ाया जाता है।
4. त्रिनिदाद और टोबैगो (Trinidad and Tobago): त्रिनिदाद और टोबैगो में इंडो-ट्रिनिडाडियन समुदाय (Indo-Trinidadian community), प्रार्थना सभाओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मेज़बानी करते हुए राम नवमी का पर्व मनाता है। कुल मिलाकर भले ही राम नवमी भारत का प्राथमिक उत्सव है, लेकिन इसे दुनिया भर के हिंदू बहुल समुदायों वाले देशों में भी बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/bdh4su5x
https://tinyurl.com/yc6ehp5d
https://tinyurl.com/4cp2rves
चित्र संदर्भ
1. बाली, इंडोनेशिया के उबुद शहर में, लेगॉन्ग नृत्य शैली में रामायण के प्रदर्शन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. रामायण के एक दृश्य को दर्शाते बाली के नृत्य को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. अयोध्या के राम मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. चित्रकूट को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. पंचवटी को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
6. लेपाक्षी में जटायु को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
7. रामेश्वरम मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
8. अशोक वाटिका, श्रीलंका को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
9. तनाह लोट, बाली इंडोनेशिया के फायर डांस में बजरंग बलि को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.