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7 सहेलियों ने रसोई के हुनर से ऐसे खड़ा किया लिज्जत पापड़ का कारोबार, महिलाओं के लिए मिसाल

लखनऊ

 07-03-2024 09:50 AM
सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान

हमारा शहर रामपुर चीनी रिफाइनरियों और कपड़ा बुनाई जैसे विभिन्न उद्योगों के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन उद्योग जगत में हमारे शहर से महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है। तो आइए आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर अन्य राज्यों की कुछ ऐसी महिला उद्यमियों के विषय में जानते हैं जो सफलता के शिखर पर पहुंचकर भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान दे रही हैं। लिज्जत पापड़ की सफलता की कहानी हमें व्यवसाय में महिला मॉडल को समझने और यह जानने में मदद करती हैं कि वे भविष्य को कैसे आकार दे सकती हैं। इसके साथ ही अमूल जैसे ब्रांड की सफलता में महिलाओं की हिस्सेदारी को भी समझने का प्रयास करते हैं। भारत की अर्थव्यवस्था में महिला उद्यमियों की संख्या तेजी से बढ़ रही हैं। ये महिला उद्यमी भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं और रोजगार के अवसर पैदा करके, विकास में तेजी प्रदान कर रही है। साथ ही समृद्धि को बढ़ावा देकर इस पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल रही हैं। हालिया आंकड़ों के मुताबिक, भारत में कुल उद्यमियों में 14 फीसदी महिलाएं हैं, जिनकी संख्या लगभग 80 लाख है। इसके अलावा, सभी औपचारिक उद्यमों में से 10 प्रतिशत का स्वामित्व महिलाओं के पास है। भारत में महिलाएं लगभग 20.37 प्रतिशत MSME व्यवसायों का नेतृत्व कर रही हैं, जिनसे लगभग 23.3 प्रतिशत श्रमिक आबादी को रोजगार भी प्राप्त होता है। इसके अलावा महिलाएं लगभग 13.5 से 15.7 मिलियन व्यवसाययों का नेतृत्व कर रही हैं, जिनमें 22 से 27 मिलियन कर्मचारी कार्य करते हैं। इन व्यवसायों को भारत की अर्थव्यवस्था की नींव माना जाता है। अपनी बेहतर नेतृत्व क्षमताओं के कारण, नए युग के क्षेत्रों में महिलाओं का दबदबा है, जहां वे कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा हैं। कार्यबल में महिलाओं के शामिल होने से रोजगार के अवसर उत्पन्न हुए हैं और लाखों परिवारों को गरीबी से बचने में मदद मिली है। भारत की उद्यमशीलता यात्रा के केंद्र में दृढ़ संकल्प, एकता और महिला सशक्तिकरण की एक ऐसी ही कहानी लिज्जत पापड़ की है जो पीढ़ियों से परे है। लिज्जत पापड़ को 7 महिलाओं ने शुरू किया जिनके नाम जसवंतीबेन पोपट, पार्वतीबेन थोडानी, उजम्बेन कुंडलिया, बानुबेन तन्ना, लागुबेन गोकानी, जयाबेन विठलानी और दिवालीबेन लुक्का हैं। इन महिलाओं ने जीवन की चुनौतियों का सामना करते हुए अपने भाग्य को बदलने का फैसला किया। सामाजिक कार्यकर्ता, छगनलाल पारेख से 80 रुपये का मामूली ऋण लेकर, इन्होंने कठिनाइयों में फंसे पापड़ बनाने के व्यवसाय को पुनर्जीवित करने के की ठान ली।
हालांकि प्रारंभ में इन महिलाओं को अनेकों कठईयों का सामना करना पड़ा और पापड़ के केवल चार पैकेट से शुरुआत करके, इन्होंने अपने पहले वर्ष में 6,000 रुपये से अधिक मूल्य के उत्पाद बेचने में सफलता प्राप्त की। मेहनत का फल मीठा होता है और इन महिलाओं के अटूट संकल्प और अथक प्रयास के परिणाम भी मिलने लगे। 1962 तक, नकद पुरस्कार प्रतियोगिता के माध्यम से उन्होंने ब्रांड का नाम "लिज्जत" रजिस्टर कराया। उसे समय बिक्री लगभग 2 लाख रुपये तक पहुंच गई। और यही से लिज्जत पापड़ के हर घर में पहुंचने की यात्रा शुरू हो गई। लिज्जत पापड़ एक महिला कार्यकर्ता सहकारी समिति 'महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़' के रूप में कार्यरत है। यह अनूठा सहकारी मॉडल महिलाओं को रोजगार और स्वामित्व के अवसर प्रदान करके सशक्त बनाता है, जो वित्तीय स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। महिला सशक्तिकरण और विनिर्माण क्षेत्र पर लिज्जत पापड़ के गहरे प्रभाव को रेखांकित करते हुए लिज्जत पापड़ की सह-संस्थापकों में से एक जसवंतीबेन पोपट को 2021 में प्रतिष्ठित ‘पद्मश्री’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक है।लिज्जत पापड़ की सफलता की कहानी दृढ़ संकल्प, एकता और महिला सशक्तिकरण का प्रत्यक्ष प्रमाण है। एक सपने के साथ सात महिलाओं ने अपनी साधारण शुरुआत को 1,600 करोड़ रुपये के साम्राज्य में बदल दिया, जिससे पूरे भारत में हजारों महिलाओं को रोजगार और वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
इसके अलावा दुनिया के सबसे बड़े सहकारी प्रयास माने जाने वाले ‘श्वेत क्रांति’ या ऑपरेशन फ्लड के नाम से विख्यात अमूल की सफलता के पीछे महिलाओं के समर्पण की कहानी छिपी है। अमूल की व्यावसायिक संरचना में लगभग प्रत्येक गाँव से, लगभग 200 दूध उत्पादक शामिल हैं, जिनमें अधिकांश महिलाएँ हैं, जो एक साथ मिलकर एक ग्राम डेयरी सहकारी समिति का निर्माण करती हैं। जिला दुग्ध संघ इसे समिति से खरीदते हैं, इसकी गुणवत्ता और मात्रा की जांच करते हैं और इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली के माध्यम से तदनुसार भुगतान करते हैं। फिर ये जिला संघ दूध को निकटतम डेयरी संयंत्र तक पहुंचाते हैं। इसके बाद राज्य का दुग्ध संघ कार्यभार संभालता है। अमूल ने भी अपने विज्ञापन ‘मंथन’ के माध्यम से अपनी सफलता के पीछे महिलाओं की कड़ी मेहनत एवं दृढ़ निश्चय को सामने लाया है।विज्ञापन में स्पष्ट रूप से दिखाया गया है कि कैसे गांवों में सशक्त महिलाएं अब एक साथ कई काम करती हैं। वे अपने परिवार को संभालने के साथ-साथ डेयरी शेड चलाने, अपना व्यवसाय संभालने, लैपटॉप का उपयोग करने, पढ़ाने और यहां तक ​​कि अपने गांव में नेतृत्व की भूमिका भी निभाती हैं।
वास्तव में यदि दृढ़ इच्छा शक्ति एवं गहन लग्न के साथ कार्य किया जाए तो कुछ भी असंभव नहीं है, विशेष रूप से महिलाओं के लिए।

संदर्भ
https://shorturl.at/CIO04
https://shorturl.at/jmpPQ
https://shorturl.at/ilDF2
https://shorturl.at/rzCLW

चित्र संदर्भ
1. सहकारी संगठन लिज्जत पापड़ की संस्थापक महिलाओं को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube, flickr)
2. श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़ के संस्थापकों में से एक जसवंतीबेन जमनादास को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
3. लिज्जत की संगठन संरचना को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. लिज्जत पापड़ की शाखा को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
5. गाय का दूध दुहती महिलाओं को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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