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हम आपके अच्छे भविष्य की कामना करते हैं। लेकिन बुरा वक्त कभी भी और किसी के साथ भी घटित हो सकता है। किंतु यदि आपने, अपना या अपने व्यवसाय का बीमा कराया है, तो आप अपने स्वास्थ्य और संपत्ति के भविष्य को लेकर काफी हद तक निश्चित हो सकते हैं। हालांकि आपको यह भी पता होना चाहिए कि आज बीमा कंपनियों ने हमारे डर को अपना व्यवसाय बना लिया है।
बीमा, लोगों को विभिन्न प्रकार के जोखिमों से बचाने या जोखिमो से बाहर निकालने का एक बेहतरीन तरीका माना जाता है। इसका इतिहास प्राचीन माना जाता है। बीमा के कुछ शुरुआती उदाहरण बेबीलोन (babylon) की संस्कृति में देखने को मिलते हैं, जहां व्यापारियों ने अपने घाटे को साझा करने के लिए समझौते किए थे। भारत में, जीवन बीमा की उत्पत्ति का इतिहास तो और भी पुराना माना जाता है। भारत में इसकी शुरुआत वैदिक काल में, लगभग 600 ईसा पूर्व, "योगक्षेम" के विचार से हुई। योगक्षेम का अर्थ "लोगों का कल्याण" होता है। मनुस्मृति, धर्मशास्त्र और अर्थशास्त्र जैसे कुछ प्राचीन भारतीय ग्रंथों में उन लोगों के लिए धन इकट्ठा करने और वितरित करने की आवश्यकता के बारे में भी बात की गई है , जो प्राकृतिक या अन्य कारणों से कठिनाइयों का सामना कर रहे थे।
चलिए संक्षेप में समझते हैं कि भारत में समय के साथ जीवन बीमा किस प्रकार बदला:
1. 1818: कोलकाता में पहली जीवन बीमा कंपनी, ओरिएंटल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी (Oriental Life Insurance Company), शुरू हुई, लेकिन 1834 में यह बंद हो गई।
2. 1829: मद्रास इक्विटेबल (Madras Equitable) ने मद्रास प्रेसीडेंसी (Madras Presidency) में जीवन बीमा की पेशकश शुरू की।
3. 1870: ब्रिटिश बीमा अधिनियम (British Insurance Act) लागू हुआ और पहली भारतीय स्वामित्व वाली जीवन बीमा कंपनी, बॉम्बे म्यूचुअल लाइफ इंश्योरेंस सोसाइटी (Bombay Mutual Life Assurance Society) की स्थापना हुई।
4. 1870-1900: तीन और भारतीय जीवन बीमा कंपनियां, बॉम्बे म्यूचुअल (Bombay Mutual (1871), ओरिएंटल (Oriental (1874), और एम्पायर ऑफ इंडिया (Empire of India (1897) ने बॉम्बे में परिचालन शुरू किया।
हालांकि इन्हें अल्बर्ट लाइफ इंश्योरेंस (Albert Life Assurance), लंदन ग्लोब बीमा (London Globe Insurance), और रॉयल बीमा (Royal Insurance) जैसी विदेशी कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा।
5. 1912-1938: भारत में जीवन बीमा व्यवसाय को विनियमित करने के लिए भारतीय जीवन बीमा कंपनी अधिनियम, 1912 (Indian Life Insurance Company Act, 1912) पारित किया गया।
6.1938-1956: कई नई बीमा कंपनियां बाज़ार में आईं लेकिन उनमें से कुछ अनुचित व्यवहार में संलग्न रहीं, जिसके कारण 1956 में भारतीय जीवन बीमा निगम (Life Insurance Corporation of India (LIC) बनाकर भारत सरकार ने बीमा क्षेत्र पर एकाधिकार स्थापित कर लिया। 19 जनवरी, 1956 के दिन जीवन बीमा क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण करते हुए एक अध्यादेश जारी किया गया और उसी वर्ष जीवन बीमा निगम अस्तित्व में आया। एलआईसी ने 154 भारतीय, 16 गैर-भारतीय बीमाकर्ताओं के साथ-साथ 75 प्रोविडेंट सोसायटियों (75 provident societies) सहित 245 भारतीय और विदेशी बीमाकर्ताओं को समाहित कर लिया। इस क्षेत्र में 90 के दशक के अंत तक एलआईसी का ही एकाधिकार था।
7. 1990 का दशक: निजी कंपनियों को भारत में फिर से जीवन बीमा की पेशकश करने की अनुमति दी गई।
8. 2000: भारत में बीमा उद्योग की देखरेख और सुधार के लिए एक कानूनी निकाय के रूप में भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority of India (IRDAI) की स्थापना की गई।
20वीं सदी में जीवन बीमा के क्षेत्र में कई बड़े बदलाव देखे गए, जिनमें शामिल है:
1. राष्ट्रीयकरण: सरकार ने सभी बीमा कंपनियों को एक साथ लाने और अधिक लोगों को कवर करने के लिए 1956 में एलआईसी बनाई।
2. कवरेज विस्तार: एलआईसी भारत के कोने-कोने में गांवों और शहरों में आम लोगों तक पहुंची और उन्हें बीमा के बारे में जागरूक किया तथा विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग पॉलिसियां (policies) पेश कीं।
3. विविध उत्पाद श्रृंखला: आज हमारे बीच अलग-अलग वित्तीय लक्ष्यों के लिए यूलिप (ULIP), टर्म इंश्योरेंस (Term Insurance), एंडोमेंट प्लान (Endowment Plans), संपूर्ण जीवन योजनाएं (Whole Life Plans) और पेंशन योजना (Pension Plans) जैसी कई प्रकार की बीमा योजनाएं हैं।
4. नियामक परिवर्तन: बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण ने सुनिश्चित किया कि बीमा कंपनियां ग्राहकों की सुरक्षा के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी नियमों का पालन करें।
5. वैश्विक खिलाड़ी: सरकार ने विदेशी कंपनियों को बीमा क्षेत्र में निवेश करने की अनुमति दी, जिससे नए कौशल, विचार और बेहतर उत्पाद और सेवाएँ आईं।
6. प्रतिस्पर्धा: निजी और विदेशी कंपनियों ने एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा की, जिससे अधिक नवाचार, बेहतर सेवा और कीमतें कम हुईं।
7. ग्राहक-केंद्रितता: ग्राहकों को बेहतर सेवा, तेज़ समाधान और अधिक वैयक्तिकृत उत्पाद पेश किये गए।
आधुनिक प्रौद्योगिकी ने भी भारत में जीवन बीमा को कई मायनों में बेहतर बना दिया है:
1. प्रौद्योगिकी ने ग्राहकों और कंपनियों के लिए बीमा प्रक्रिया को तेज़, सस्ता और आसान बना दिया है।
2. इससे ग्राहकों के जोखिमों का अधिक तेज़ी से और सटीक आकलन करने में मदद मिली है।
3. इससे ग्राहकों और कंपनियों के बीच संचार और संपर्क में सुधार हुआ है।
4. इसने ग्राहकों की विभिन्न आवश्यकताओं के लिए नए और वैयक्तिकृत उत्पाद बनाए हैं।
5. डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म (digital platform) और साझेदारियों के माध्यम से, जीवन बीमा विशेषकर दूरदराज के क्षेत्रों में, अधिक ग्राहकों तक पहुंच गया है।
6. इसने जोखिमों को कम किया है, धोखाधड़ी को उजागर किया है और बीमा परिचालन के प्रदर्शन में सुधार किया है।
ये परिवर्तन जीवन बीमा उद्योग को अधिक खुला, विविध और बदलती जरूरतों के प्रति उत्तरदायी बना रहे हैं। हालांकि इन परिवर्तनों के कारण ही बीमा के क्षेत्र में धोखाधड़ी के मामले भी बढ़े हैं। डेलॉइट (Deloitte's) के बीमा धोखाधड़ी सर्वेक्षण 2023 के अनुसार, भारत में बीमा कंपनियों ने जीवन और स्वास्थ्य बीमा श्रेणियों के भीतर धोखाधड़ी के मामलों में वृद्धि का अनुभव किया है। रिपोर्ट में धोखाधड़ी में योगदान देने वाले कुछ प्रमुख कारकों की पहचान की गई है, जिसमें डिजिटलीकरण में वृद्धि (34%), महामारी के बाद घर से काम करना और कमजोर नियंत्रण (22%) शामिल हैं।
जीवन बीमा पॉलिसीधारक और बीमा कंपनी के बीच एक कानूनी समझौता है। इस अनुबंध में, बीमाकर्ता पॉलिसीधारक की मृत्यु पर या पूर्व निर्धारित अवधि के बाद पॉलिसीधारक द्वारा नामित लाभार्थियों को एक निर्दिष्ट राशि प्रदान करने के लिए सहमत होता है। पॉलिसीधारक पॉलिसी राशि सुरक्षित करने के लिए बीमा कंपनी को नियमित प्रीमियम का भुगतान करता है। हालाँकि, कुछ बेईमान लोगों ने बीमा धोखाधड़ी करने का एक तरीका ढूंढ लिया है, जिससे बीमाकर्ताओं, पॉलिसीधारकों और वास्तविक ग्राहकों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
चलिए भारत में आमतौर पर देखी जाने वाली बीमा धोखाधड़ी के प्रकारों को समझने की कोशिश करते हैं।
1. आवेदन धोखाधड़ी: कम प्रीमियम या अधिक लाभ पाने के लिए आवेदन पत्र पर झूठ बोलना।
2. दावा धोखाधड़ी: फर्जी मौत या हत्या जैसा झूठा दावा दायर करना।
3. जालसाजी: किसी पॉलिसी में बदलाव करना या जालसाजी करना, जिसमें लाभार्थी या मृत्यु लाभ को बदलना शामिल है।
4. नकली पॉलिसी धोखाधड़ी: एक धोखेबाज से नकली पॉलिसी खरीदना जो प्रीमियम (premium) तो जेब में रख लेता है और लाभ का भुगतान नहीं करता है।
5. पहचान की चोरी: किसी की निजी जानकारी चुराना और उसका उपयोग लाभ इकट्ठा करने के लिए करना।
जीवन बीमा धोखाधड़ी के परिणाम निम्नवत हो सकते हैं:
पॉलिसी से इनकार: धोखाधड़ी का पता चलने पर बीमा कंपनी किसी भी लाभ का भुगतान करने से इनकार कर सकती है।
पॉलिसी रद्द करना: धोखाधड़ी का पता चलने पर बीमा कंपनी पॉलिसी रद्द कर सकती है और प्रीमियम वापस कर सकती है।
आपराधिक आरोप: कुछ मामलों में, जीवन बीमा धोखाधड़ी एक कानूनी अपराध हो सकता है। यदि अपराधी पकड़ा जाता है और उसे दोषी पाया जाता है, तो उसे जुर्माना, जेल या दोनों हो सकता है।
सिविल मुकदमे: यदि बीमा कंपनी को धोखाधड़ी के परिणामस्वरूप वित्तीय नुकसान हुआ है, तो वे नुकसान की भरपाई के लिए अपराधी पर मुकदमा भी कर सकते हैं।
चलिए अब एक ग्राहक के तौर पर नकली बीमा कंपनियों से धोखा खाने से बचने के तरीकों को भी समझ लेते हैं:
बीमा प्रदाता की जाँच करें: किसी ऐसे व्यक्ति पर भरोसा न करें जो आपको कॉल करके आपसे अपना बीमा बदलने के लिए कहता है। बीमा कंपनी से स्वयं संपर्क करें और सुनिश्चित करें कि वे वास्तविक हैं।
नकद भुगतान न करें: बीमा कंपनी को नकद के बजाय ऑनलाइन, चेक से या क्रेडिट कार्ड (Credit Card) से भुगतान करें। आपके द्वारा किए गए प्रत्येक भुगतान की रसीदें मांगें।
अपनी जानकारी साझा न करें: अपना आधार, पैन (Pan), पासपोर्ट (Passport), या बीमा नंबर किसी ऐसे व्यक्ति को न दें जिसे आप नहीं जानते हों। खाली चेक या फॉर्म पर हस्ताक्षर न करें। किसी को भी अपना ओटीपी (OTP), लॉगिन या पासवर्ड (login or password) न बताएं।
पॉलिसी विवरण ठीक से पढ़ें: पॉलिसी को ध्यान से देखें और पढ़ें कि इसमें क्या शामिल है और क्या नहीं। जो फॉर्म पूरा न हो उस पर हस्ताक्षर न करें। सीधे कंपनी से या किसी भरोसेमंद व्यक्ति से बीमा खरीदें।
अपने पॉलिसी दस्तावेज़ स्वयं भरें: यदि आप ऑफ़लाइन बीमा खरीदते हैं, तो दस्तावेज़ स्वयं भरें। यदि कोई और आपके लिए यह करता है, तो गलतियों या छूटी हुई जानकारी की जाँच करें। हस्ताक्षर करने से पहले सब कुछ पढ़ लें।
ऑनलाइन बीमा खरीदें: आप ऑनलाइन बीमा खरीद सकते हैं और किसी एजेंट से लेन-देन करने से बच सकते हैं। निर्देशों का पालन करें और अपने क्रेडिट कार्ड (Credit Card) की जानकारी गुप्त रखें।
संदर्भ
http://tinyurl.com/2wjhpw8h
http://tinyurl.com/mry3mym9
http://tinyurl.com/jszrmkkz
http://tinyurl.com/5dre4wb5
चित्र संदर्भ
1. जीवन बीमा को संदर्भित करता एक चित्रण (Needpix)
2. बीमा को संदर्भित करता एक चित्रण (Lawordo)
3. भारतीय जीवन बीमा निगम की ईमारत को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण के लोगों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. पैसे के लिखित लेनदेन को संदर्भित करता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
6. जेल में क़ैदी को संदर्भित करता एक चित्रण (latestLY)
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