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घड़ी के कई आविष्कार हुए हैं, जिनमें से एक रोलिंग बॉल क्लॉक(Rolling ball clock) भी है। रोलिंग बॉल क्लॉक का आविष्कार 17वीं शताब्दी के फ्रांसीसी इंजीनियर निकोलस ग्रोलियर (Nicolas Grollier) ने किया था। इसमें ज़िगज़ैग ट्रैक (Zigzag track) पर गति करती हुई रोलिंग गेंदों के द्वारा समय प्रदर्शित किया गया। रोलिंग बॉल क्लॉक में एक पीतल की प्लेट का उपयोग करते हुए एक ज़िगज़ैग पथ बनाया गया था। छोटी पीतल की गेंद ट्रैक पर लुढ़कती हुई गति करती है, और जब यह ट्रैक के अंत तक पहुँचती है, तब गेंद लीवर से टकराती है और एक स्प्रिंग प्लेट के सिरे को ऊपर उठाती है। इससे प्लेट का झुकाव दूसरी तरफ हो जाता है, और गेंद दूसरी ओर गति करना शुरू कर देती है। इस प्रक्रिया में 15 सेकंड से लेकर 1 मिनट तक का समय लगता है। जितने समय में गेंद गति करती हुई एक छोर पर पहुंचती है, ठीक उतने ही समय में वो वापस अपने मूल स्थान तक पहुंचती है।अधिकांश डिज़ाइनों में इसकी समय सीमा 15 सेकंड की होती है, लेकिन कुछ बड़ी घड़ियों में इसमें एक मिनट तक का समय लगता है। हालांकि, घड़ी की एक मुख्य खामी इसके ट्रैक का गंदा होना था। जब ट्रैक पर धूल जमने लगती थी, तब गेंद की गति धीमी हो जाती थी, जिसकी वजह से वह सही समय नहीं दिखा पाती थी।
संदर्भ:
https://bit.ly/3gaA1qv
https://bit.ly/3T47xNL
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