माना जाता है कि शिराज़-ए-हिन्द, हमारा जौनपुर सन 1359 में फ़िरोज़ शाह तुग़लक द्वारा खोजा गया था। परन्तु एक विश्वास ये भी है कि असल में जौनपुर 11वीं शताब्दी में ही खोज लिया गया था लेकिन एक भारी बाढ़ के चलते, इसका नामो-निशान मिट गया था और फिर 1359 में इसे दोबारा खोजा गया।
जी हाँ, बाढ़ का हमारे जौनपुर के साथ काफी पुराना सम्बन्ध है। इसका मुख्य कारण है जौनपुर का गोमती के तट पर स्थित होना। आज हम आपके सामने ऐसे ही कुछ चित्र और वीडियो प्रस्तुत करने जा रहे हैं जो जौनपुर को बाढ़ की स्थिति में दर्शाते हैं। नीचे दिए गए चित्र में आप वह देख सकते हैं, जिसकी कल्पना करना भी मुश्किल सा लगता है। बाढ़ की स्थिति में शाही पुल:
साथ ही साथ जौनपुर के कई ऐतिहासिक निर्माणों ने भी इस बाढ़ की मार को सहा है। उदाहरण के तौर पर 1430 ई. में बनी झंझरी मस्जिद को ही ले लीजिये। एक समय पर जौनपुर में इतनी भयंकर बाढ़ आई कि इस मस्जिद का सिर्फ अगवाड़ा ही बच गया और बाकि पूरी मस्जिद बाढ़ में तहस-नहस हो गयी।
नीचे दिया गया चित्र थॉमस डेनियल द्वारा सन 1789 में बनाया गया था। यह चित्र गोमती नदी का दृश्य प्रस्तुत करता है तथा जौनपुर के काफी करीब का लगता है। चित्र के पीछे पेंसिल से लिखा गया है ‘जौनपुर के नज़दीक, गोमती’।
जौनपुर की अधिकतर जनसँख्या की आमदनी खेती पर निर्भर करती है और उसमें से भी एक बड़ी संख्या आलू की खेती पर निर्भर है। बाढ़ की आशंका से जौनपुर का किसान सदैव एक डर में जीता है। अतः बाढ़ आने के पीछे की वजह भी हम मानव ही पैदा करते हैं। प्रकृति की दी भेंटों का इस्तेमाल यदि हम सही रूप से नहीं करेंगे तो प्रकृति भी पलटवार करेगी, यही संसार का नियम है। नीचे दिए गए वीडियो में से एक सन 2013 में जौनपुर में आई बाढ़ को दर्शाता है और दूसरा हाल ही में कुछ महीनों पहले बनी बाढ़ की आशंका को।
संदर्भ:
1.https://www.jaunpurcity.in/2014/02/jaunpur-was-washed-away-by-gomati-floods.html
2.https://en.wikipedia.org/wiki/Jaunpur,_Uttar_Pradesh
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