भारतवर्ष को भिन्नताओं का देश माना जाता है। परन्तु यदि देखा जाये तो पूर्ण विश्व ही काफी भिन्न है, क्योंकि कोई हर मनुष्य की अपनी एक अलग पहचान और एक अलग व्यक्तित्व होता है जो उसे सबसे हटकर बनाता है। परन्तु सोचिये एक ऐसी दुनिया जहाँ सभी एक जैसे हों। नहीं सोच सकते ना। आज हम आपके सामने एक ऐसा ही वीडियो प्रस्तुत करे जा रहे हैं जो ऐसी एक दुनिया की कल्पना करता है।
वीडियो की शुरुआत होती है एक व्यक्ति से जो एक बस्ते के अन्दर कुछ स्कूली किताबें भर रहा होता है। थोड़ी देर बाद इस व्यक्ति का चहकता हुआ बच्चा उछल कूद मचाते हुए दृश्य में आता है तथा उसके कन्धों पर इस भारी बस्ते को टांग दिया जाता है। इस समय तक ये दोनों ही रंगीन दिखाए गए हैं। इस वीडियो में रंगों का एक ख़ास महत्त्व है। जैसे ही पिता और शिशु अलग होते हैं, पिता अपने कार्यालय पहुँचते ही अपना रंग खो बैठता है। और नादान शिशु अभी भी अपना रंग बरक़रार रखता है क्योंकि शायद अभी तक उसने इस दुनिया की चिंता करना और इसके तौर तरीकों का पालन करना नहीं सीखा है।
वहीँ कुछ दूसरे स्कूली बच्चे अपना रंग खो बैठे हैं, क्योंकि वे एक ही दिनचर्या का पालन कर-करके अपनी रुचियों को समय देना भूल चुके हैं। जैसे ही पिता कार्यालय से निकलकर अपने बच्चे से मिलता है, वह फिर अपने रंग में खिलखिलाने लगता है। परन्तु धीरे धीरे ये बालक भी अपना रंग खो बैठता है। फिर जो होता है वह शायद आपकी आँखें नम भी कर सकता है।
यह एक वीडियो हमें अनेक पाठ पढ़ाता है। जीवन जीने का सही तरीका, अपने सपनों को पूरा करना, अपनी रुचियों में गहराई तक जाना, और साथ ही साथ एक पिता और उसके शिशु के बीच के पावन रिश्ते को भी यह वीडियो बड़ी ही खूबसूरती से दर्शाता है। तो तुरंत क्लिक कीजिये ऊपर दिए गए वीडियो पर और बनायें अपने रविवार को और भी मनोरंजक।
संदर्भ:
1. https://www.youtube.com/watch?v=kQjtK32mGJQ
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