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जापान के कांगिटेन देवता से लेकर, थाईलैंड व इंग्लैंड में भी हैं , हाथियों के प्रतीकवाद

रामपुर

 07-09-2024 09:14 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक:।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।
भारत में, विशेषकर महाराष्ट्र राज्य में, गणेश चतुर्थी, सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। हालांकि, हमारे रामपुर के कुछ हिस्सों में भी, इस त्योहार की दीवानगी देखी जा सकती है। यह उत्सव, न केवल भारत, बल्कि, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, कनाडा, सिंगापुर, थाईलैंड एवं मलेशिया, आदि देशों में भी मनाया जाता है । थाईलैंड की विश्वास प्रणालियों में, हाथियों को, हिंदू देवता इंद्र से जोड़ा जाता है, जो उनके दिव्य वाहन के रूप में प्रसिद्ध हैं। धार्मिक कला में भी, हाथियों की उपस्थिति व्यापक है। इनमें, मंदिरों और घरों की शोभा बढ़ाने वाली जटिल मूर्तियां, ताबीज़, वॉलपेपर आदि शामिल हैं। तो आइए, आज दुनिया भर में, हाथियों के प्रतीकवाद और सांस्कृतिक चित्रण के बारे में जानें। हम, थाई संस्कृति में, हाथियों के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व के बारे में भी बात करेंगे। फिर, हम इस बारे में चर्चा करेंगे कि, जापान में ‘कांगिटेन ( Kangiten)’ के रूप में, भगवान गणेश की पूजा कैसे की जाती है। उसके बाद, हम हाथियों से जुड़ी, कुछ प्रसिद्ध कहावतों के माध्यम से, इंग्लैंड में, हाथियों के सांस्कृतिक चित्रण के बारे में पता लगाएंगे। आगे, हम जानेंगे कि, सिकंदर के शासनकाल के दौरान, हाथियों को कैसे चित्रित किया गया था। अंत में, हम मध्यकाल के दौरान, ईसाई धर्म में हाथियों के सांस्कृतिक चित्रण पर कुछ प्रकाश डालेंगे।
थाईलैंड, एक ऐसा देश है, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। इसे लंबे समय से, “सफ़ेद हाथी की भूमि” के रूप में जाना जाता है। हाथी, अपने विशाल आकार और सौम्य आचरण के साथ, थाई लोगों के दिलों में, एक विशेष स्थान रखते हैं । थाई संस्कृति में, हाथी, शक्ति, बुद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है । इस प्रकार, यह उन गुणों का प्रतीक है, जिन्हें स्थानीय लोग गहराई से संजोते हैं।
थाई संस्कृति में, हाथियों के आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व को कम नहीं आंका जा सकता है। हाथियों को, संरक्षक, रक्षक और शक्ति के प्रतीक के रूप में, देखा जाता है। उनका विशाल आकार और अटूट निष्ठा, उन्हें उन गुणों का उपयुक्त प्रतिनिधित्व बनाती है, जिन्हें थाई लोग प्रिय मानते हैं। माना जाता है कि, हाथी, उन लोगों के लिए, सौभाग्य और समृद्धि लाते हैं, जो उनका सम्मान करते हैं। साथ ही, विभिन्न समारोहों और अनुष्ठानों में, हाथियों की उपस्थिति शुभ मानी जाती है।
हाथियों की उपस्थिति से, थाई साहित्य और कला भी बहुत समृद्ध हुई है। रामकियेन (Ramakien) जैसे प्राचीन ग्रंथ, तथा जातक कथाएं, अक्सर ही, हाथियों को, बुद्धिमान सलाहकार, बहादुर योद्धा और वीर रक्षक के रूप में प्रस्तुत करती हैं। ये कहानियां, मनुष्यों और हाथियों के बीच गहरे संबंध को भी दर्शाती हैं, एवं उनकी बुद्धिमत्ता और करुणा को उजागर करती हैं।
दूसरी ओर, जापान(Japan) में भी, हाथियों का सांस्कृतिक महत्व है। वहां, भगवान गणेश के रूप – ‘ कांगिटेन’ की पूजा की जाती हैं। दरअसल, भगवान गणेश को, जापान में ‘कांगिटन’ के नाम से जाना जाता है, जो जापानी बौद्ध धर्म से संबंधित है। कांगिटेन की पूजा, कई रूपों में की जाती है, लेकिन, दो शरीर वाला उनका एक रूप, सबसे लोकप्रिय है। इसमें, उनका मुख हाथी का है। साथ ही, चार भुजाओं वाले गणपति का वर्णन, जापान में भी मिलता है।
जापानी देवता – कांगिटेन को, हिंदू भगवान – श्री गणेश से, कई नाम और विशेषताएं, विरासत में मिली हैं। उन्हें, विनायक के समान, ‘बिनायक’ के नाम से जाना जाता है। भगवान ‘गनाबाची’ और ‘गनवा’ के जापानी नाम, गणेश के समान हैं। गणेश की तरह ही, बिनायक भी, बाधाओं को दूर करने वाले हैं। माना जाता है कि, जब उनसे प्रार्थना की जाती है, तो, वे सभी को सौभाग्य, समृद्धि, सफ़लता और अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करते हैं। वहां, बिनायक को, बुराई का नाश करने वाला एवं नैतिकता की किरण कहा जाता है। गणेश जी का एक अन्य उपनाम – ‘शो-टेन(Sho-ten)’ या ‘आर्यदेव’, है। उन्हें सौभाग्य का अग्रदूत भी माना जाता है | प्रारंभिक बौद्ध धर्म, हिंदू धर्म से गहराई से जुड़ा हुआ था। दिलचस्प बात यह है कि, भगवान गणेश के जापानी अवतार को, मोदक पसंद नहीं है। और, उनकी पसंदीदा पेशकश मूली है! इसी कारण, मत्सुचियामा मंदिर(Matsuchiyama temple) को जापानी मूली से सजाया गया है।
सिकंदर(Alexander) के शासनकाल के दौरान भी, हाथियों का सांस्कृतिक चित्रण मौजूद था। हाथी, सिकंदर के लिए, हाथी, उनको व पश्चिम को, पूर्व से और उसके पराजित नेताओं से, अलग करने का साधन बन गए। भारतीय राजा – पोरस पर, अपनी जीत के बाद, उन्होंने एक सिक्का जारी किया था। इसमें, उन्होंने खुद को, युद्ध में घोड़े पर सवार होकर, हाथी पर सवार विजित पोरस के साथ दर्शाया था।
मध्यकालीन युग में भी, ईसाइयों द्वारा, हाथियों का सांस्कृतिक चित्रण किया गया था। उस समय, , हाथियों की कथाएं, जानवरों की तरह, पापी और ईश्वर-भयभीत लोगों के बीच, एक रेखा खींचने का एक साधन बन गईं । तब, ईसाई मूल्यों को जोखिम भरा बताया गया था। उदाहरण के लिए, मध्ययुगीन बेस्टियरीज़(Medieval bestiaries) में लिखा है कि, एक मादा हाथी, केवल ईडन गार्डन(Garden of Eden) की यात्रा करने और मनुष्य के पतन को दोहराने के बाद, अपने जीवनकाल में, एक बार संभोग करती है।
इन देशों व कालखंडों के अलावा, इंग्लैंड(England) में भी, हमें हाथियों का सांस्कृतिक चित्रण दिखता है। इसलिए, हम अंग्रेज़ी में, हाथियों के बारे में, कुछ प्रसिद्ध कहावतें जानेंगे। अंग्रेज़ी शब्द – ‘जंबो(Jumbo)’, जिसका अर्थ – ‘बड़ा’ है, सीधे तौर पर ‘जंबो हाथी’ से आया है। जब हम हाथियों की कहावतों के बारे में बात करते हैं, तो अंग्रेज़ी में, इनका मतलब इस प्रकार होता है।
1.) संग्रहालय में हाथी (The elephant in the room) –
इवान क्रायलोव(Ivan Krylov) की 1814 की कहानी – ‘द इनक्विसिटिव मैन(The Inquisitive Man)’, एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बात करती है, जो एक संग्रहालय में जाता है। वहां, वह बहुत सी छोटी-छोटी चीजें देखता है, लेकिन, एक हाथी को नहीं देख पाता है।
2.) एक हाथी कभी नहीं भूलता (An elephant never forgets) – माना जाता है कि, हाथियों की यादें अच्छी होती हैं। जंगल में उनका झुंड, कई वर्षों तक, एक ही, रास्ते पर चल सकता है । ऐसा प्रतीत होता है कि, वे कई मनुष्यों के साथ-साथ, अन्य हाथियों को भी पहचानते हैं, फिर भले ही, वे दशकों तक उनसे अलग रहे हों।
3.) सफ़ेद हाथी (White elephant) – यह हाथी, एक ऐसी वस्तु या योजना का प्रतीक है, जिसे कम उपयोग या मूल्य का माना जाता है। यह, एक कहानी पर आधारित है, कि, सियाम(Siam) के राजा, अपने दरबारियों को, एक कीमती सफ़ेद हाथी उपहार में देते थे। ऐसे हाथी को रखने की लागत इतनी अधिक थी, कि, दरबारी आर्थिक रूप से, बर्बाद हो जाते थे।
4.) हाथी को देखना (Seeing the elephant) – यह एक अमेरिकी कहावत है, जिसका तात्पर्य, ‘महत्वपूर्ण कीमत पर, दुनिया का अनुभव प्राप्त करना’, है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/madjp3zw
https://tinyurl.com/4zpzwhmt
https://tinyurl.com/38rm4yuf
https://tinyurl.com/ymxzxxk4

चित्र संदर्भ
1. जापान के एक बौद्ध मंदिर में गणेश जी की प्रतिमा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. कांगिटेन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. जापान में मात्सुचियामा होनरीयू-इन मंदिर की सीढ़ियों पर उर्वरता और धन के प्रतीक देवता कांगितेन से जुड़े दो प्रतीकों (एक कांटेदार मूली और एक पैसे की थैली) की नक्काशी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. एक हाथी को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)


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