 
                                            समय - सीमा 266
मानव और उनकी इंद्रियाँ 1049
मानव और उनके आविष्कार 813
भूगोल 260
जीव-जंतु 315
 
                                             प्रारंग शहर की स्थानीय भाषा में विभिन्न शहरों/स्थानों की संस्कृति और प्रकृति पर हर रोज उपयोगी अंतर्दृष्टि प्रदान करके, संस्कृति - प्रकृति संतुलित करने का उद्देश्य रखता है। हम शहर विशेष की संस्कृति और प्रकृति के संदर्भ में दुनिया के अन्य हिस्सों के साथ शहर के संसर्गों पर शोध करते हैं और उन्हें प्रस्तुत करते हैं। प्रारंग के लेखों की रूपरेखा में, हमने प्रकृति और संस्कृति दोनों का ही निम्नलिखित 6 (प्रत्येक में 3) भागों के माध्यम से प्रतिनिधित्व किया है:
 प्रारंग शहर की स्थानीय भाषा में विभिन्न शहरों/स्थानों की संस्कृति और प्रकृति पर हर रोज उपयोगी अंतर्दृष्टि प्रदान करके, संस्कृति - प्रकृति संतुलित करने का उद्देश्य रखता है। हम शहर विशेष की संस्कृति और प्रकृति के संदर्भ में दुनिया के अन्य हिस्सों के साथ शहर के संसर्गों पर शोध करते हैं और उन्हें प्रस्तुत करते हैं। प्रारंग के लेखों की रूपरेखा में, हमने प्रकृति और संस्कृति दोनों का ही निम्नलिखित 6 (प्रत्येक में 3) भागों के माध्यम से प्रतिनिधित्व किया है:
1.  समयसीमा : इस बिंदु में पृथ्वी की शुरुआत से लेकर अब तक के समयकाल के बारे में बहुत से नये तथ्यों का पता चलेगा। हम दुनिया भर में सभ्यताओं के विकास के संश्रय में हमारे विशिष्ट शहर के विकास का पता लगाते हैं।
समयसीमा : इस बिंदु में पृथ्वी की शुरुआत से लेकर अब तक के समयकाल के बारे में बहुत से नये तथ्यों का पता चलेगा। हम दुनिया भर में सभ्यताओं के विकास के संश्रय में हमारे विशिष्ट शहर के विकास का पता लगाते हैं।
2.  मानव व उनकी इन्द्रियाँ : शहर के संदर्भ को ध्यान में रखते हुए, हम मनोरंजन और संवर्धन की वस्तुओं और मानव आवश्यकता की गतिविधियों के विकास का पता लगाते हैं, जो ध्वनि, गंध, स्पर्श, स्वाद, दृष्टि और विचार के रूप में मानव अपनी इंद्रियों के माध्यम से अनुभव करते हैं।
मानव व उनकी इन्द्रियाँ : शहर के संदर्भ को ध्यान में रखते हुए, हम मनोरंजन और संवर्धन की वस्तुओं और मानव आवश्यकता की गतिविधियों के विकास का पता लगाते हैं, जो ध्वनि, गंध, स्पर्श, स्वाद, दृष्टि और विचार के रूप में मानव अपनी इंद्रियों के माध्यम से अनुभव करते हैं।
3.  मानव व उसके अविष्कार : हम दस्तकारी और औद्योगिक उत्पादों और सेवाओं में हुए आविष्कारों और नवाचारों का पता लगाते हैं, क्यूंकि इनके द्वारा ही दुनिया ने विभिन्न सभ्यताओं की वृद्धि देखी है।
मानव व उसके अविष्कार : हम दस्तकारी और औद्योगिक उत्पादों और सेवाओं में हुए आविष्कारों और नवाचारों का पता लगाते हैं, क्यूंकि इनके द्वारा ही दुनिया ने विभिन्न सभ्यताओं की वृद्धि देखी है।
1.  भूगोल : प्रकृति के इस बिंदु में हम अपने शहर और विश्व के भूगोल के बारे में प्राप्त जानकारियों को संदर्भित करते हैं। यह भाग पृथ्वी पर मौजूद स्थानों की प्राकृतिक विषेशताओं पर रौशनी ड़ालता है जैसे नदियाँ, समुद्र, जंगल इत्यादि।
भूगोल : प्रकृति के इस बिंदु में हम अपने शहर और विश्व के भूगोल के बारे में प्राप्त जानकारियों को संदर्भित करते हैं। यह भाग पृथ्वी पर मौजूद स्थानों की प्राकृतिक विषेशताओं पर रौशनी ड़ालता है जैसे नदियाँ, समुद्र, जंगल इत्यादि।
2.  जीव–जन्तु : जीव-जन्तु प्रकृति का एक अहम हिस्सा होते हैं। प्रारंग के प्रकृति खण्ड के इस भाग में जानिए अपने शहर और विश्व भर में पाये जाने वाले जीव-जन्तुओं से जुडी रोचक जानकारी का वर्णन।
जीव–जन्तु : जीव-जन्तु प्रकृति का एक अहम हिस्सा होते हैं। प्रारंग के प्रकृति खण्ड के इस भाग में जानिए अपने शहर और विश्व भर में पाये जाने वाले जीव-जन्तुओं से जुडी रोचक जानकारी का वर्णन।
3.  वनस्पति : पेड़-पौधों अथवा वनस्पति लोक का अर्थ, किसी क्षेत्र का वनस्पति जीवन या भूमि पर मौजूद पेड़-पौधे और इसका संबंध किसी विशिष्ट जाति, जीवन के रूप, रचना, स्थानिक प्रसार या अन्य वानस्पतिक या भौगोलिक गुणों से है।
वनस्पति : पेड़-पौधों अथवा वनस्पति लोक का अर्थ, किसी क्षेत्र का वनस्पति जीवन या भूमि पर मौजूद पेड़-पौधे और इसका संबंध किसी विशिष्ट जाति, जीवन के रूप, रचना, स्थानिक प्रसार या अन्य वानस्पतिक या भौगोलिक गुणों से है।
क्या रहा समयसीमा के अनुसार, अब तक प्रारंग और रामपुर का सफर
1.  शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक
शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

लिंक - https://prarang.in/rampur/posts/632/When-Rampur-was-on-the-seashore
2.  जन: 40000 ईसापूर्व से 10000 ईसापूर्व तक
जन: 40000 ईसापूर्व से 10000 ईसापूर्व तक

लिंक - https://prarang.in/rampur/posts/1363/postname
3.  सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व
सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

4.  ठहरावः 2000 ईसापूर्व से 600 ईसापूर्व तक
ठहरावः 2000 ईसापूर्व से 600 ईसापूर्व तक

लिंक - https://prarang.in/rampur/posts/1370/postname
5.  धर्म का उदयः 600 ईसापूर्व से 300 ईस्वी तक
धर्म का उदयः 600 ईसापूर्व से 300 ईस्वी तक

लिंक - https://prarang.in/rampur/posts/2077/role-of-indian-culture-in-thailand
6.  छोटे राज्य 300 ईस्वी से 1000 ईस्वी तक
छोटे राज्य 300 ईस्वी से 1000 ईस्वी तक

लिंक - https://prarang.in/rampur/posts/1351/postname
7.  मघ्यकाल के पहले : 1000 ईस्वी से 1450 ईस्वी तक
मघ्यकाल के पहले : 1000 ईस्वी से 1450 ईस्वी तक

लिंक - https://prarang.in/rampur/posts/1380/postname
8.  मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक
मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

9.  उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक
उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

लिंक - https://prarang.in/rampur/posts/3663/The-Nawab-of-Rampur-played-an-important-role-in-World-Wars
10.  आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक
आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

लिंक - https://prarang.in/rampur/posts/1989/Mysterious-theft-in-Kothi-Khas-Bagh-of-Rampur-Nawab
प्रारंग द्वारा आपके शहर में अब तक संस्कृति और प्रकृति से जुड़े 1000 से भी अधिक लेख प्रकाशित किये जा चुके हैं, तो आईये प्रारंग के संग, अपने शहर के विभिन्न रंगों का आनंद लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        