नवाबों की कोठी खास बाग में हुयी थी एक रहस्यमयी चोरी

रामपुर

 24-10-2018 03:08 PM
आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था, जिसे कई बार बाहर के पंछी आये और लूट कर ले गये। ये जानकारी हमें पुराने रिकॉर्डों से मिलती है। किंतु भारतीय इतिहास में अनेक ऐसी चोरियाँ हुईं जिसमें कई बहुमूल्य चीजें यहां से लूटकर बाहर ले जायी गईं और उसका कोई रिकॉर्ड भी नहीं रखा गया या लोगों द्वारा इन्हें भुला दिया गया। 174 वर्ष तक नवाबों के शासन के अधीन रहा रामपुर शहर संस्कृति और वास्तुकला की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। किंतु समय के साथ इसका ऐतिहासिक गौरव धुंधला पड़ता जा रहा है जिसके पीछे अनेक कारण उत्तरदायी हैं।

भारत की सबसे बड़ी चोरियों में से एक 1960-80 के मध्य के दशकों में रामपुर के कोठी खास बाग में हुयी, जहां से बहुमुल्य सामग्री विदेश भेजी गयी। इस चोरी का खुलासा होता है एक बालिका से, जो एक शाम खास बाग की कोठी में भ्रमण कर रही थी। जिस दौरान उसे सोने की एक प्लेट मिलती है जो शिया वक्फ के कीमती सामानों का हिस्सा थी। जब यह प्लेट तत्काालीन नवाब मुर्तजा अली तक पहुंचती है तो उनके होश उड़ जाते हैं। लेकिन जब वे वहां निजी तौर पर जांच करवाते हैं तो उन्हें किसी प्रकार का कोई साक्ष्य नहीं मिलता। बाद में मुर्तजा अली और अन्य के द्वारा रामपुर पुलिस के पास महल के भण्डार से शिया वक्फ की संपत्ति की कथित चोरी की ऍफ़.आई.आर. (FIR) दर्ज करा दी जाती है।

नवाब के शयन कक्ष से 200 गज लंबे गलियारे से जुड़े, मजबूत दरवाजों और 3-4 फीट चौड़ी दीवारों से बने इस खजाने में हुयी चोरी का अनुमान लगाना कठिन था, क्योंकि इसकी चाबी नवाब के दिल्ली स्थित भवन में मौजूद थी। बाद में यह मामला सी.आई.डी. (Central Bureau of Investigation) को सौंपा गया तथा नवाब की पत्नी बेगम सकीना ने दिल्ली से चाबी लाकर भण्डार का दरवाजा खोला। कमरे में प्रवेश करने के पश्चात CID द्वारा अनुमान लगाया गया कि यह चोरी मुख्य द्वार से नहीं वरन् छत से की गयी थी क्योंकि कमरे से मजबूत सतह तोड़ने वाले उपकरण तथा रस्सी मिली जिसका उपयोग चोरों द्वारा छत तोड़ने और कमरे में प्रवेश करने तथा बाहर निकलने के लिए किया गया होगा। किंतु यहां से एक पद चिन्ह के अतिरिक्त किसी प्रकार के शारीरिक चिन्ह नहीं प्राप्त हुए। यह पद चिन्ह प्रबल जांच के लिए पर्याप्त नहीं थे।

लेकिन जब CID द्वारा गहनता से इस मामले की जांच की गयी तो पाया गया कि छत में किये गये छेद से एक बच्चा भी प्रवेश नहीं कर सकता तो अन्य का जाना असंभव था। यहां तक कि जांच के दौरान छत से पाये गये चांदी के घड़े को जब उस छेद से अंदर डालने का प्रयास किया तो उसका आकार भी दोगुना निकला। अंततः वहां से प्राप्त रस्सी को फॉरेंसिक (Forensic) जांच के लिए भेजा गया तो एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया, वह था कि इस रस्सी का उपयोग किसी भी प्रकार की चढ़ायी या उतरायी के लिए नहीं किया गया था। यह देखकर CID को अनुमान लग गया कि ये सभी सामग्री मात्र उन्हें भ्रमित करने के लिए रखी गयी थी और वास्तविकता कुछ और ही थी।

जब नवाब परिवार की जांच प्रारंभ हुयी तो उनकी भी किसी से किसी प्रकार की दुश्मनी का खुलासा नहीं हुआ। बस दोनों भाईयों (मुर्तजा अली और जुल्फीकर अली) के मध्य संपत्ति वितरण को लेकर कोर्ट में केस चल रहा था, जिसमें कोठी खास बाग सहित अधिकांश संपत्ति मुर्तजा अली के पास थी। जुल्फीकर अली के अनुसार इस खजाने की देख-रेख भी मुर्तजा अली को सौंपी गयी थी तथा इसके दरवाजे कई वर्षों से नहीं खोले गये थे। ये बताते हैं कि वास्तविक चोरी कभी और हुयी और चोरी का दृश्य बाद में तैयार किया गया। कहानी जो भी हो लेकिन यह चोरी आज भी एक रहस्य ही बनी हुयी है तथा इसे भारत में आज तक की गयी सबसे बड़ी चोरियों में स्थान प्राप्त है।

वहीं 2016 में लंदन में रामपुरी नवाबों के जेवर तथा नवाबों द्वारा विशेष अवसर पर पहने जाने वाले ताज की नीलामी की बात सामने आयी। इस निलामी की पुष्टि काज़िम अली द्वारा की गयी। इनके विषय में यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि ये सामग्री कोठी खास बाग से चोरी की गयी थी लेकिन यह लंदन कैसे पहुंची यह बात आज भी रहस्य बनी हुयी है। तथा रामपुर के नवाब काज़िम अली खान के कहने पर इस नीलामी को रोक दिया गया था। कुछ लोगों द्वारा इसे हमारे देश की विरासत बताकर भारत वापस लाने के लिए मांग रखी जाती रही है। लेकिन इसके लिए किसी के द्वारा कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

संदर्भ:
1.https://www.indiatoday.in/magazine/crime/story/19801231-burglary-at-khas-bagh-palace-in-rampur-police-clueless-773656-2013-11-29
2.http://twocircles.net/2016dec01/1480589130.html
3.http://twocircles.net/2016nov30/1480506481.html
4.https://royalwatcherblog.com/2016/11/26/upcoming-auctions-christies-important-jewels/



RECENT POST

  • मेहरगढ़: दक्षिण एशियाई सभ्यता और कृषि नवाचार का उद्गम स्थल
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:26 AM


  • बरोट घाटी: प्रकृति का एक ऐसा उपहार, जो आज भी अनछुआ है
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, रोडिन द्वारा बनाई गई संगमरमर की मूर्ति में छिपी ऑर्फ़ियस की दुखभरी प्रेम कहानी
    म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

     19-11-2024 09:20 AM


  • ऐतिहासिक तौर पर, व्यापार का केंद्र रहा है, बलिया ज़िला
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:28 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर चलें, ऑक्सफ़र्ड और स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालयों के दौरे पर
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, विभिन्न पालतू और जंगली जानवर, कैसे शोक मनाते हैं
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:15 AM


  • जन्मसाखियाँ: गुरुनानक की जीवनी, शिक्षाओं और मूल्यवान संदेशों का निचोड़
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:22 AM


  • जानें क्यों, सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में संतुलन है महत्वपूर्ण
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, जूट के कचरे के उपयोग और फ़ायदों के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:20 AM


  • कोर अभिवृद्धि सिद्धांत के अनुसार, मंगल ग्रह का निर्माण रहा है, काफ़ी विशिष्ट
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:27 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id