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1960 के दशक में, कुछ कलाकार ऐसे चित्र और मूर्तियां बनाना चाहते थे जो वास्तविक तस्वीरों की तरह दिखती हों। उन्होंने बहुत सावधानी बरतते हुए और कैमरे द्वारा देखी जा सकने वाली हर छोटी-छोटी बारीकियों की नकल करके ऐसा कर दिया। इस कला आंदोलन को फोटोरियलिज्म (photorealism) , यथार्थवाद, या अतियथार्थवाद कहा जाता था। ये कलाकार ‘पॉप कला’ से प्रेरित थे, लेकिन लोकप्रिय चीजों की नक़ल करने के बजाय, वे यह दिखाना चाहते थे कि सामान्य जीवन कितना महत्वपूर्ण और दिलचस्प हो सकता है। कुछ प्रसिद्ध फ़ोटोरियलिस्ट कलाकार रिचर्ड एस्टेस (Richard Estes), ऑड्रे फ्लैक (Audrey Flack), रॉबर्ट बेच्टल (Robert Bechtle) और डुआन हैन्सन (Duane Hanson) हैं। उनकी कला इतनी वास्तविक दिखती है कि आपको लगता है कि आप वीडियो, पेंटिंग या मूर्तिकला के बजाय एक वास्तविक तस्वीर देख रहे हैं! आज आप भी बिलकुल असली प्रतीत होने वाले इन अतियथार्थवाद चलचित्रों का लुफ्त उठाइये!
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