रामपुर रज़ा पुस्तकालय अपनी अभूतपूर्व साहित्यिक संग्रह के लिये जाना जाता है, शाहनामा से लेकर गीता तक यहाँ पर रखी गयी है। यहाँ पर रखे गये अभूतपूर्व साहित्यिक संग्रह इस पुस्तकालय को सम्पूर्ण विश्व के बेहतरीन पुस्तकालयों की सूंची में खड़ा करते हैं। रज़ा पुस्तकालय अपनी लघुचित्र से सराबोर किताबों व ग्रंन्थों के अलावा विभिन्न चित्रों के संग्रह के लिये भी जाना जाता है। फिरदौशी द्वारा लिखित शाहनामा रज़ा पुस्तकालय के ही संग्रह में है। शाहनामा फ़ारसी भाषा का महाग्रन्थ है इसे फिरदोशी ने लिखा था। यह दोहों के आधार पर विभाजित किया गया है तथा इसकी रचना करीब 30 वर्ष में हुई थी। शाहनामा को ले कर एक कहानी प्रचलित है जिसमें कहा गया है की महमूद गजनवी ने फिरदोशी को शाहनामा के प्रत्येक शब्द के लिये एक दिनार देने का वचन देता है परन्तु जब फिरदौशी शाहनामा लिख कर गजनवी के पास जाता है तो गजनवी दिनार के बदले कुछ और देने की कोशिश करता है पर फिरदौशी उसे लेने से मना कर देता है। बाद में गजनवी फिरदौशी के पास दिनार भेजता है परन्तु तबतक फिरदौशी का जनाज़ा उठ चुका था। शाहनामा मुख्यरूप से इरानी इतिहास पर आधारित है परन्तु शाहनामा भारतीय इतिहास की भी झलकियों को प्रस्तुत करता है। यह ग्रन्थ भारत में ईरानियों द्वारा लाया गया था तथा यह ईरानी अस्मिता की पहचान भी है। रामपुर रज़ा पुस्तकालय में इस पुस्तक की सचित्र मूल प्रती रखी गयी है। ईरानी साहित्य में शाहनामा सबसे ज्यादा छापा जाने वाला ग्रन्थ है। चित्र में शाहनामा के कुछ लघु चित्रों को प्रस्तुत किया गया है। 1. फ़िरदौसी, नासिरा शर्मा, हिन्द पॉकेट बुक्स 2. रज़ा लाइब्रेरी रामपुर, रवी कपूर, राजभवन लखनऊ
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