अक्सर आपने सड़कों, भूमिगत स्टेशनों आदि के आस-पास स्थित दीवारों पर कुछ शब्दों, वाक्यों या चित्रों को बने देखा होगा, जो किसी न किसी चीज का संदेश देते हैं। इस कला को सामान्यतः अभिरेखन या ग्रेफिटी (Graffiti) के रूप में जाना जाता है। ग्रेफिटी शब्द इतालवी भाषा से उत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ है 'खरोंचना'। सबसे प्राचीन अभिरेखन लिखित भाषा से पहले बनाये गये थे और दीवारों पर चित्र हजारों साल पहले गुफाओं में दिखायी दिये थे। सांताक्रूज, अर्जेंटीना (Santa Cruz, Argentina) में स्थित ‘द केव ऑफ हैंड्स (The Cave of Hands)’ शुरूआती समय के आकर्षक प्राचीन अभिरेखनों में से एक है, जो कि 13,000 से 9,000 ईसा पूर्व की पेंटिंग (Painting) है। प्राचीन ग्रीक शहर इफिसस (आधुनिक तुर्की में स्थित) में ‘आधुनिक शैली’ अभिरेखनों का पहला ज्ञात उदाहरण पाया जा सकता है। प्राचीन रोम के लोगों ने दीवारों और स्मारकों पर अभिरेखन उकेरे। इटली के रोम के पास स्थित एक कमरे की दीवार पर अलेक्सामेनोस (Alexamenos) अभिरेखन, दूसरी ईस्वीं के आसपास बनाया गया था और यह ईसा मसीह की शुरुआती ज्ञात छवि में से एक था। यीशु का प्रतिनिधित्व यहाँ एक आदमी के शरीर और एक गधे के सिर के साथ किया गया था। इस समय इन अभिरेखनों का उद्देश्य ईसाइयों का अपमान करना और उनका मजाक उड़ाना था। अभिरेखनों का एक और प्रारंभिक रूप हेजिया सोफिया में देखने को मिलता है।
शहरी अभिरेखनों की शैली जिसमें स्प्रे कैन (Spray Cans) का इस्तेमाल करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इसकी शुरुआत 1960 के दशक के प्रारम्भ में फिलाडेल्फिया (Philadelphia) में हुई, जो कि 1960 के दशक के अंत तक न्यूयॉर्क पहुंची तथा सबवे (Subway) रेलगाड़ियों में उत्पन्न हुई। 70 के दशक के शुरुआती दिनों में लेखक टाकि (TAKI) ने न्यूयॉर्क शहर के अधिकांश हिस्से को अपने टैग (Tag) के साथ अभिरेखनों से आवरित किया तथा इसे एक अलग स्तर दिया। वे वाशिंगटन हाईट्स (Washington Heights) में 183वीं सड़क पर रहते थे और उन्होंने एक संदेशवाहक के रूप में काम किया, जो पूरे शहर में घूमते थे। वह जहां भी जाते एक मार्कर (Marker) का उपयोग करके भूमिगत स्टेशनों पर अपना नाम लिखते और अंततः उनके नाम को पूरे शहर में जाना जाता। बाद में, पेंट के स्प्रे कैन का उपयोग करना तुरंत ही लोकप्रिय हो गया, जिसका इस्तेमाल ज्यादातर रेलगाड़ियों के बाहर टैगिंग के लिए किया गया। लेखक अपने टैग को किसी और की तुलना में अधिक अद्वितीय और आकर्षक बनाने के लिए अधिक रंगों का उपयोग करता और इस तरह से अभिरेखनों की कला और विज्ञान शुरू हुआ। 1970 के दशक के मध्य में, रेलगाडियों को पूरी तरह से स्प्रे पेंटिंग्स में आवरित किया गया, जिन्हें ‘मास्टरपीस (Masterpiece)’ कहा जाता था।
1980 के दशक की शुरुआत में, एक नई स्टैंसिल (Stencil) अभिरेखन शैली का उदय हुआ तथा ब्लेक ले रैट (Blek le Rat) ने 1981 में पेरिस में इसके कुछ पहले उदाहरण बनाए। कई समकालीन विश्लेषकों और यहां तक कि कला समीक्षकों ने कुछ अभिरेखनों में कलात्मक मूल्य को देखना और इसे सार्वजनिक कला के रूप में पहचानना शुरू किया। एक दशक से भी कम समय में, देश में अभिरेखन कलाकारों की संख्या में विस्फोट हुआ है। अभिरेखन और सड़क कला को उसके व्यक्तिवादी स्वरूप के माध्यम से सांस्कृतिक महत्व दिया जाता है, हालांकि सार्वजनिक स्थानों को सुशोभित करने और बढ़ाने की क्षमता ने अक्सर सांसारिक सड़कों को दर्शनीय स्थलों में बदला है। कई कला शोधकर्ता मानते हैं कि, इस प्रकार की सार्वजनिक कला वास्तव में, सामाजिक मुक्ति या राजनीतिक लक्ष्य की प्राप्ति का एक प्रभावी उपकरण है, क्योंकि संघर्ष के समय में, इस तरह के अभिरेखनों ने सामाजिक, जातीय या नस्लीय रूप से विभाजित समुदायों के सदस्यों के लिए संचार और आत्म-अभिव्यक्ति का एक साधन पेश किया है। अभिरेखन अभी भी चार हिप हॉप (Hip Hop) तत्वों में से एक है, जिसे ‘प्रदर्शन कला’ नहीं माना जाता है। भारत में अभिरेखन स्थापना-विरोधी (Anti-establishment) नहीं है। वास्तव में, अभिरेखन हमेशा भारतीय सामाजिक जीवन का एक हिस्सा रहे हैं। प्राचीन काल से मानव सभ्यता में अभिरेखन पत्थर के चित्रों और दीवार के शिलालेखों के रूप में मौजूद था। यह 1960 के दशक में एक कला के रूप में उभरा जब पूंजीपति प्रणाली के साथ असंतोष व्यक्त करने के लिए श्रमिक वर्ग इसे उपनगरीय न्यूयॉर्क की सड़कों पर ले आया। भारत में दो प्रकार के अभिरेखन हैं - रचनात्मक और अवक्षेपण। वह अभिरेखन कला जो अपने जीवंत रंगों और हर्षपूर्ण अवधारणाओं के साथ शहर की दीवारों को जीवन में लाने के लिए उपयोग की जाती है, रचनात्मक प्रकार की हैं। भारत में सड़क कला धीरे-धीरे महत्व प्राप्त कर रही है क्योंकि अधिकाधिक युवा कलाकार शहर की दीवारों को अपने चित्रों से बदल रहे हैं। भारत में अभिरेखनों के बारे में कानून के कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं हैं। हालाँकि, भारत का संविधान इस संबंध में कुछ प्रावधानों की पैरवी करता है।
संविधान का भाग IV राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों को सुनिश्चित करता है और अनुच्छेद 49, राज्यों को बताता है, कि ‘संसद द्वारा बनाए गए कानून के तहत कलात्मक या ऐतिहासिक हितों के प्रत्येक स्मारक या स्थान या वस्तु की रक्षा या राष्ट्रीय महत्व के प्रत्येक स्मारक या स्थान के विचलन, विघटन, विनाश, निष्कासन, निर्यात आदि के लिए राज्य उत्तरदायी होगा।‘ अनुच्छेद 51A (f) में कहा गया है कि यह प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह हमारी समग्र सभ्यता और संस्कृति की समृद्ध विरासत को महत्व दे और संरक्षित करे’। इसी प्रकार अनुच्छेद 51A (i) के अनुसार प्रत्येक भारतीय नागरिक का कर्तव्य है कि, वह सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करे और हिंसा को रोके’। अवांछित और अप्रिय अभिरेखनों से संरचनाओं के संरक्षण की दिशा में काम करने के लिए इन प्रावधानों में नागरिकों के साथ-साथ राज्य प्राधिकरण दोनों के कर्तव्य शामिल हैं। इनमें सड़क कला भी शामिल होगी। राष्ट्रीय और ऐतिहासिक इमारतों, संरचनाओं और स्मारकों पर कलात्मक कार्य अभिरेखनों के साथ निषिद्ध हैं। इससे पता चलता है कि कला और अभिरेखन के बीच अंतर की रेखा सूक्ष्म है, लगभग अस्तित्वहीन है लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि, दोनों के बीच अंतर है। यह समझने के लिए कि कला क्या है और क्या नहीं है, प्रमुख रूप से लोगों की व्यक्तिगत अखंडता पर निर्भर है। अमेरिका जैसे देशों (जहां ग्रेफिटी उत्पन्न हुआ) में अभिरेखनों का एक लंबा और राजनीतिक रूप से अधिक विवादास्पद इतिहास रहा है। अभिरेखनों ने मुख्य रूप से जातिवाद के खिलाफ विरोध और गुस्से की अभिव्यक्ति का रूप लिया। इसलिए अभिरेखन को मुख्य रूप से स्थापना-विरोधी माना जाता है। अमेरिका जैसे देशों में अभिरेखन एक स्थापना-विरोधी अभिव्यक्ति है, क्योंकि सार्वजनिक दीवारों को प्राचीन माना जाता है, और पोस्टर जैसी कलाओं के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। यही कारण है कि अभिरेखनों को कला का विरोधी माना जाता है। इसलिए - संग्रहालयों और कला दीर्घाओं की उच्च कला के विपरीत अभिरेखनों को ‘विरोधी-कला’ के रूप में देखा गया। मूल रूप से, हालांकि, अभिरेखन और सड़क कला के कुछ रूप आमतौर पर सरकार या सार्वजनिक संपत्ति पर बिना अनुमति के बर्बरता का कार्य करते हैं लेकिन वे बहुत महत्वपूर्ण बात या मुद्दों पर ध्यान भी आकर्षित करते हैं। इस प्रकार अभिरेखन एक ऐसा परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करते हैं जहाँ विक्षोभ, कला बन जाता है और हमसे एक महत्वपूर्ण प्रश्न पूछता है कि एक समाज के रूप में हमारे अपने सांस्कृतिक मूल्य क्या हैं? अभिरेखन लेखकों और सड़क कलाकारों को एक रचनात्मक आउटलेट (Outlet) प्रदान करना लेखकों और आसपास के समाज के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। यह न केवल व्यक्तिवादी इच्छा को पूरा करता है, बल्कि दर्शकों के रूप में, हमारी खुद की व्याख्याओं को बनाने में भी हमारी रुचि को प्रभावित करता है, चूंकि वर्तमान समय में कलाकारों की बीच अभिरेखन के लिए लोकप्रियता बढ़ रही है इसलिए कानूनी रूप से अपने अभिरेखन कौशल का उपयोग करके पैसे कमाए जा सकते हैं। हालांकि सार्वजनिक रूप से या निजी संपत्ति पर स्प्रे-पेंटिंग नहीं की जा सकती है, लेकिन जो लोग रुचि रखते हैं उनके लिए अभिरेखनों के जुनून को एक फ्रीलांस (Freelance) या अंशकालिक रोजगार अवसर में बदला जा सकता है। अभिरेखन कलाकार होने की समस्या यह है कि लोग आपको बर्बर समझते हैं, क्योंकि अभिरेखन समुदाय अवैध होने के बावजूद सार्वजनिक स्थानों पर संदेश छोड़ने में गर्व महसूस करता है। इसलिए यदि आप सार्वजनिक दीवारों या संपत्ति के अन्य रूपों पर पेंट करना चाहते हैं, तो पहले नगरपालिका या संबंधित अधिकारियों से अनुमति अवश्य प्राप्त कर लें। जब आपको निजी संपत्ति को चित्रित करने के लिए काम पर रखा जाता है, तो वैधता के साथ कोई समस्या नहीं होनी चाहिए क्योंकि संपत्ति के मालिक से आपको अनुमति मिल चुकी होती है। भारत में अभिरेखन कला में प्रशिक्षित करने के लिए कोई औपचारिक शैक्षिक कार्यक्रम नहीं है।
अधिकांश अभिरेखन कलाकारों का मानना है कि यह कला सिखायी नहीं जा सकती, इसे अभ्यास के माध्यम से विकसित किया जाता है। किंतु यदि पारंपरिक शैक्षिक योग्यता वांछित है, तो भारत में उपलब्ध प्रशिक्षण कार्यक्रम जैसे ललित कला में विशेषज्ञता के साथ कला या विजुअल आर्ट्स (Visual Arts) में स्नातक किया जा सकता है। अभिरेखन कलाकार अपनी कला के लिए एक माध्यम का चयन करते हैं। सबसे आम माध्यम स्प्रे कैन और कैनवास, एक दीवार है। सबसे पहले आपको अपनी कलाकृति को एक स्केचबुक (Sketchbook) में डिज़ाइन (Design) करना होगा। जब तक आप परिपूर्ण न हों जाएं, तब तक अपने डिजाइनों का बड़े कैनवास पर अभ्यास करें। भारत में ऐसा कोई संगठन नहीं है, जो अभिरेखन कलाकारों को पूर्णकालिक रूप से अभिरेखन परियोजनाओं पर काम करने के लिए रखता है। भारत में अधिकांश अभिरेखन कलाकार फ्रीलांसरों के रूप में काम करते है तथा प्रत्येक परियोजना की कीमत काम की जटिलता के आधार पर अलग-अलग होती है। एक फ्रीलांसर के रूप में, इस उद्योग में अप-टू-डेट (Up to date) रहना जरूरी है। यदि कलाकृति उच्च स्तर के विस्तार और बहुत जटिल डिजाइनों के साथ अधिक जटिल है, तो पारिश्रमिक अधिक होना तय है किंतु यदि कलाकृति सरल विषय-आधारित है, तो अपेक्षित वेतन पैकेज (Package) कम होगा। कार्यालयों, छोटे व्यवसायों, रेस्तरां और आवासों ने हाल ही में अपने दीवारों को सजाने के लिए फ्रीलांस अभिरेखन कलाकारों को नियुक्त करना शुरू कर दिया है। आधुनिक कला का यह रूप आने वाले वर्षों में उन लोगों के लिए तेजी से बढ़ने की उम्मीद है जो इसका उपयोग कानूनी रूप से करना चाहते हैं।
संदर्भ:
https://youthincmag.com/how-to-make-a-legal-career-as-a-graffiti-artist
https://www.thehindu.com/entertainment/art/art-for-arts-sake-why-indian-street-art-is-not-necessarily-anti-establishment/article27671963.ece
https://www.thevintagenews.com/2016/11/17/the-history-of-graffiti-from-ancient-times-to-modern-days/
https://www.differenttruths.com/governance/law-order/what-is-art-and-what-is-not-the-laws-relating-to-graffiti-in-india/
चित्र सन्दर्भ :
मुख्य चित्र में एक ग्रैफिटी (Graffiti) चित्रकार को दिखाया गया है। (Pexels)
दूसरे चित्र में द केव ऑफ़ हैंड्स (The Cave of Hands) को दिखाया गया है। (wallpaperflare)
तीसरे चित्र में एक ट्रैन के ऊपर ग्रैफिटी को दिखाया गया है। (Flickr)
चौथे चित्र में ग्रैफिटी के एक उदाहरण को दिखाया गया है। (Youtube)
पांचवें चित्र में भारतीय ग्रैफिटी कला को दिखाया है। (freedomainpictures)
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