सदियों से लोगों को मोहित कर रहा है, मानव व्यवहार और चंद्र-चक्र के बीच संबंध

मेरठ

 05-06-2020 11:00 AM
जलवायु व ऋतु

इस वर्ष 5 जून को होने वाला चंद्र ग्रहण, पेनुंब्रल (Penumbral) या उपच्छाया चंद्र ग्रहण का साक्षी बनने जा रहा है। चंद्र ग्रहण वह स्थिति या घटना है, जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है। या यूं कहें कि जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक रेखा में संरेखित हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप सूरज की किरणें चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती हैं तब चंद्र ग्रहण होता है। 5 जून को उपच्छाया चंद्र ग्रहण है अर्थात ये वह स्थिति है, जब पृथ्वी चंद्रमा के सभी या किसी एक हिस्से को अपनी छाया के बाहरी भाग के साथ आवरित करती है। इस स्थिति में चंद्रमा पर पृथ्वी की पूर्ण छाया नहीं बल्कि उपच्छाया मात्र पडती है। इस प्रकार चंद्रमा पर एक धुंधली छाया दिखायी देने लगती है तथा पृथ्वी की उपच्छाया में प्रवेश करने से चंद्रमा धूमिल सा नजर आता है। पृथ्वी के वायुमंडल से अपवर्तित कुछ सूर्य का प्रकाश अभी भी चंद्रमा तक पहुंचता है, हालाँकि, यह इसे एक भस्म वर्ण से लेकर गहरे चमकीले लाल रंग के साथ रोशन करता है, जो वायुमंडलीय स्थितियों पर निर्भर करता है। 5 जून को हो रहे इस चंद्र ग्रहण के 3 घंटे से अधिक समय तक रहने का अनुमान लगाया गया है। इसके अलावा जून माह दुर्लभ आंशिक सूर्य ग्रहण का भी साक्षी बनने जा रहा है, जो 21 जून को होगा और माना जा रहा है कि 86 प्रतिशत से अधिक सूर्य, चंद्रमा द्वारा आवरित किया जाएगा। 5 जून को होने वाला चंद्रग्रहण उपच्छायांकित है जिसका मतलब है कि चंद्रमा, पृथ्वी की छाया के एक मंद प्रायद्वीपीय हिस्से के माध्यम से होकर गुजरेगा।

एक पूर्ण चंद्रमा चरण के दौरान जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच गुजरती है तब चंद्र ग्रहण होता है। चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है, जिसके दो भाग होते हैं: पहला पूरी तरह से छायांकित आंतरिक क्षेत्र और दूसरा आंशिक रूप से छायांकित बाहरी क्षेत्र। सूर्य का कुछ प्रकाश इसे पृथ्वी के चारों ओर बनाता है, और हमारा वायुमंडल प्रकाश को अपवर्तित करता है। प्रकाश का यह अपवर्तन चंद्रमा की सतह को एक लाल या ताम्र रंग प्रदान करता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी के छायांकित आंतरिक क्षेत्र में आ जाता है जबकि आंशिक चंद्र ग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा आंशिक रूप से पृथ्वी के छायांकित आंतरिक क्षेत्र या प्रतिछाया में आ जाता है। एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा केवल पृथ्वी की उपच्छाया में प्रवेश करता है। हजारों वर्षों से, सौर और चंद्र ग्रहणों ने मनुष्यों को मोहित किया है। दुनिया भर में विभिन्न संस्कृतियों ने कहानियों और अनुष्ठानों के माध्यम से आकाश में होने वाली खगोलीय घटनाओं को समझने की कोशिश की है। आज, वैज्ञानिकों के पास खगोलीय कारकों पर एक मजबूत पकड़ है जो ग्रहण के कारण को बताती है तथा कहती है कि एक दूसरे के संबंध में पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा की बदलती स्थिति के कारण सौर और चंद्र ग्रहण होते हैं, किंतु प्राचीन विश्वासों की बात करें तो सौर और चंद्र ग्रहणों के कारणों के बारे में प्राचीन संस्कृतियों ने अलग-अलग मान्यताएं रखीं हैं। कई लोगों के लिए, ग्रहण भयावह खगोलीय घटनाएँ थीं, जो अशुभ घटना की चेतावनी देते थे। प्राचीन चीनी लोगों का मानना था कि एक ड्रेगन (Dragons) ने सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य को खा लिया था। सूरज को निगलने वाले राक्षसों की ऐसी ही मान्यताएं अफ्रीकी, एशिया, यूरोपीय और मूल अमेरिकी लोगों के बीच मौजूद थीं। ड्रेगन या राक्षस को डराने की कोशिश में, इस दौरान लोग एक साथ एकत्रित होते तथा शोर मचाते या शोर मचाने वाले यंत्रों का उपयोग करते। प्राचीन यूनानियों, चीनी, और अरबी लोगों में, किंवदंतियों ने चंद्र ग्रहण को भूकंप, विपत्तियों और अन्य आपदाओं के साथ जोड़ा।

सदियों से, मानव व्यवहार और चंद्र चक्र के बीच संबंध ने लोगों को मोहित किया है। कई लोककथाएं और दंतकथाएं चंद्रमा के साथ हमारी अंतःक्रियाओं से जुड़ी हुई थीं, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण शायद पौराणिक जीवों जैसे कि वेयरवोल्स (Werewolves-एक ऐसा व्यक्ति जो पूर्णिमा के दौरान भेडिये का रूप ले लेता था) का होना था। यह बहुत आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि पहले "चंद्र" शब्द (लैटिन से "चंद्रिका", जिसका अर्थ "चंद्रमा का") का उपयोग 1930 के दशक तक मानसिक रूप से बीमार, पागल या अप्रत्याशित समझे जाने वाले लोगों का वर्णन करने के लिए किया गया था। एक बार यह माना जाता था कि चंद्र चक्र ने किसी व्यक्ति के शरीर विज्ञान और व्यापक समाज के व्यवहार में कई अजीबोगरीब बदलावों को प्रभावित किया, जिसमें जन्म दर, प्रजनन क्षमता, मिर्गी समग्र तर्कशीलता आदि का प्रभावित होना शामिल था। कई लोग अभी भी यह मानते हैं कि पूर्णिमा के समय हिंसक अपराध और सामान्य विकार की घटनाओं में वृद्धि होती है। प्राचीन मेसोपोटामिया में, चंद्र ग्रहण को राजा पर सीधा हमला माना जाता था और इसलिए इस दौरान राजा को छिपा दिया जाता था तथा एक नकली राजा बनाया जाता था।

कुछ हिंदू लोककथाओं के अनुसार राक्षस राहु के अमृत पी लेने के कारण चंद्र ग्रहण हुआ। अमृत पी लेने के बाद देवता सूर्य और चंद्रमा ने तुरंत राहु का विनाश किया किंतु अमृत का सेवन कर लेने से राहु का सिर अमर रहा। बदला लेने के लिए, राहु का सिर सूर्य और चंद्रमा को भस्म करने के लिए उनका पीछा करता है। जब वह उन्हें पकड़ लेता है तो ग्रहण की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। भारत में कई लोगों के लिए, चंद्र ग्रहण दुर्भाग्य को दर्शाता है। इस समय भोजन और पानी को आवरित कर लिया जाता है और सफाई की रस्म भी निभाई जाती है। गर्भवती महिलाओं को खासतौर पर अपने अजन्मे बच्चे की सुरक्षा के लिए घर का काम नहीं करने दिया जाता है। इस्लामी संस्कृतियों में, अंधविश्वास के बिना ग्रहण की व्याख्या की जाती है। इस्लाम में, सूर्य और चंद्रमा अल्लाह के लिए गहरे सम्मान का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए एक ग्रहण के दौरान विशेष रूप से सलात-अल-खुसूफ सहित चंद्रग्रहण पर प्रार्थनाएं की जाती है, जिसमें अल्लाह से माफी मांगी जाती है, और उनकी महानता का गुणगान किया जाता है। ईसाई धर्म ने भगवान के क्रोध के साथ चंद्र ग्रहण की समानता की है, और अक्सर उन्हें यीशु के सूली पर चढ़ाये जाने के साथ जोडा है। चंद्र सिनोडिक चक्र (Lunar synodic cycle) पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन, पृथ्वी पर चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव और रात में प्रकाश के स्तर का कारण बनता है।

जहां ग्रहणों के प्रभाव को मानव जीवन से जोडा गया वहीं जानवरों पर भी इसके प्रभाव को दर्शाया गया। अधिकांश जानवरों के लिए, उनके दिन की संरचना - और वास्तव में उनका वर्ष - प्रकाश-अंधेरे के चक्र पर निर्भर करता है। प्रकाश और अंधेरे का चक्र उन्हें बताता है कि कब उन्हें सो जाना चाहिए, कब प्रवास करना चाहिए, कब प्रजनन करना चाहिए आदि। कई प्रजातियां इसका उपयोग अपने प्रजनन को सिंक्रनाइज़ (Synchronized) करने के लिए कर सकती हैं। ग्रहण को लेकर जानवरों की विभिन्न प्रतिक्रियाओं को भी देखा गया है-जैसे गाय खलिहान में लौट जाती हैं, झींगुर चह-चहाने लगते हैं, पक्षी या तो घूमने लगते हैं या अधिक सक्रिय हो जाते हैं आदि।

चित्र सन्दर्भ:
सभी चित्रों में चंद्रग्रहण के विभिन्न चरणों को दिखाया गया है। (Wallpaperflare, pikist, publicdomainpictures)

संदर्भ:
1. https://bit.ly/3dCWJkE
2. https://sciencing.com/causes-lunar-solar-eclipses-8451999.html
3. https://bit.ly/2zalTII
4. https://earthsky.org/earth/lunar-solar-eclipse-animals
5. https://on.natgeo.com/30d7h6i

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id