अक्सर हम में से अधिकांश ने अपनी दादी-नानी को दो सिलाई के कांटे लिए हुए ऊन से बुनाई करते हुए देखा होगा। लेकिन आज के युग में यह दृश्य कम देखने को मिलता है। यह हाथ की बुनाई एक संपूर्ण गतिविधि (शिल्प, रचनात्मकता, उत्पादकता और ध्यान लगाने) को लपेटे हुए है। इस कला को करने में काफी आनंद आता है, और साथ ही यह दिमाग को सुकून भी पहुंचाती है। बुनाई के लिए ऊन के एक ही गोले से फंदों को आपस में सुइयों का उपयोग करके हाथ से गूंथकर वस्त्र का रूप दिया जाता है। वहीं पिछले कुछ दशकों से मशीन बुनाई से निर्मित चीजों की वजह से यह कला विलुप्त होती जा रही है, साथ ही कई ऊन की दुकानों और आसपास के पैटर्न की उपलब्धता में तेजी से गिरावट हो रही है।
बुनाई आमतौर पर हाथ से की जाती है, और हाथ से की जाने वाली बुनाई के अनेकानेक प्रकार, शैलियाँ एवं विधियाँ हैं। बुनाई करने के प्रकार निम्न हैं :-
फ्लैट (Flat) बुनाई :- आम तौर पर इसमें द्वि-आयामी (फ्लैट) टुकड़े बनाने के लिए दो-सीधी सुइयों का उपयोग किया जाता है। फ्लैट बुनाई आमतौर पर स्कार्फ (scarves), कंबल, अफगान, और स्वेटर (sweaters) की पीठ, मोर्चों, बाहों जैसे फ्लैट टुकड़ों की बुनाई के लिए प्रयोग की जाती है।
सर्कुलर (circular) बुनाई :- यह एक सीवन रहित ट्यूब बनाता है, इसमें बुनाई आमतौर पर गोल (फ्लैट बुनाई की पंक्तियों के बराबर) की जाती है। मूल रूप से, सर्कुलर बुनाई चार या पांच डबल-पॉइंट बुनाई सुइयों के एक सेट का उपयोग करके की जाती है। सर्कुलर सुई के आविष्कार के बाद इसे करना और भी आसान हो गया। यह एक गोलाकार सुई होती है, जिसमें सुई को बीच से अलग-अलग लंबाई की मोटी तार से जोड़ा जाता है।
बुनाई करने वालो के द्वारा सौ से भी अधिक बुनाई टांको का इस्तेमाल किया जाता है। बुनाई की शुरुआत कास्टिंग की प्रक्रिया से की जाती है, जो सुई से टांके लगाने की प्रारंभिक रचना होती है। विभिन्न प्रभावों के लिए कास्टिंग के विभिन्न तरीकों का उपयोग किया जाता है : गोटे के लिए पर्याप्त खिंचाव की अवश्यकता होती है। अस्थायी कास्टिंग का उपयोग तब किया जाता है जब बुनाई की कास्टिंग दोनों दिशाओं में जारी रहते हैं।
वहीं क्रोशिया (फ्रेंच शब्द क्रोकेट से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘छोटा हुक’) बुनाई एक क्रोशिया हुक (crochet hook) के उपयोग से यार्न, धागे, या अन्य सामग्री के रेशों से अंतर्ग्रथित गांठों द्वारा कपड़े बनाने की एक प्रक्रिया है। हुक पर एक साधारण गाँठ लगाकर यह प्रक्रिया शुरू होती है, पहली छोर के माध्यम से एक और छोर खिंची जाती है और इस प्रक्रिया को उपयुक्त लंबाई की एक श्रृंखला प्राप्त होने तक दोहराया जाता है। एक गांठ में कई सिलाई करने से गोलाकार भी बनाया जा सकता है। वहीं इसमें गोलाकार बनाने के लिए बुनाई की तरह कोई विशेष सुई की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें टांका लगाने के लिए पांच मुख्य प्रकार होते हैं, जो इस प्रकार हैं :-
चेन स्टिच (chain stitch) :- सभी टांको में सबसे बुनियादी और अधिकांश परियोजनाओं को शुरू करने के लिए उपयोग किया जाता है।
स्लिप स्टिच (slip stitch) :- चेन स्टिच को एक गोलाकार में जोड़ने के लिए उपयोग की जाती है।
सिंगल क्रोशिया स्टिच (single crochet stitch) (जिसे ब्रिटेन में डबल क्रोशिया स्टिच कहा जाता है) - यह सबसे सरल टांके लगाने की प्रक्रिया है।
हाफ डबल क्रोशिया स्टिच (Half double crochet stitch) (जिसे यूके में हाफ ट्रेबल (treble) स्टिच कहा जाता है) :- यह बीच में की जाने वाला टांका है।
डबल क्रोशिया स्टिच (double crochet stitch) (यूके में ट्रेबल स्टिच कहा जाता है) :- इस असीमित उपयोगी टांके का कई बार उपयोग किया जाता है।
इन दोनों कलाओं की मदद से आज कई लोग अपना एक अनोखा व्यवसाय स्थापित कर सकते हैं। साथ ही यह कई लोगों के लिए भी एक अद्भुत रोजगार साबित हो सकता है। देश के कई शहर जैसे कि बिहार, उत्तरप्रदेश, राजस्थान की महिलाऐं जो इस कला में माहिर होती हैं वह अपने इस हुनर से अपनी आजीविका कमाती हैं और जब वह दूसरे शहरों में जाती है तो वहाँ भी उन्हें दूसरों पर आश्रित नहीं होना परता। सिर्फ व्यवसाय या रोजगार के लिए ही फायदेमंद नहीं है। बुनाई करते समय हमारे मन में एक शांति का माहौल उत्पन्न होता है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद है।
संदर्भ :-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Hand_knitting© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.