पीली सरसों के गुण प्राचीन समय से विश्व में प्रसिद्द

मेरठ

 28-07-2018 01:58 PM
व्यवहारिक

सरसों का नाम सुनते ही हमारे मन में पीले फूलों से लहलहाते खेतों की एक मनमोहक छवि उतर आती है। सरसों रबी की प्रमुख तिलहनी फसल है जिसका भारत की अर्थव्यवस्था में एक विशेष स्थान है।

सरसों भारत का अत्यन्त प्राचीन पौधा है तथा इसकी प्राचीन आयुर्वेद के विज्ञान में एक प्रमुख विशेषता है। खाद्य इतिहासकारों का मानना हैं कि लगभग 3000 ईसा पूर्व, प्राचीन भारतीय किसानों ने सरसों की खेती शुरू कर दी थी, तथा पुरातात्त्विक तथ्‍य बताते हैं कि सिंधु घाटी सभ्यता के मोहनजोदड़ो तथा हड़प्पा जैसे शहरों में सरसों और सरसों का तेल उपयोग किया जाता था। प्राचीन काल से ही भारत में सरसों को एक औषिधि के रुप में उपयोग किया जाता है, भारतीय प्राचीन आयुर्वेद में बड़े पैमाने पर सरसों, सरसों के पत्तों और सरसों के तेल के उपयोग से बने कई नुस्‍खे हैं। यहां तक की 16वीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध ग्रन्थ आइन-ए-अकबरी में रोहिलखंड साम्राज्य, जिस क्षेत्र में आज रामपुर स्तिथ है, के वर्णन में सरसों का भी उल्लेख मिलता है।

पूर्व सहस्राब्दी में, सरसों और सरसों का तेल पाक कला में उपयोग होने के साथ साथ अपने औषधीय और परिरक्षक गुणों के कारण मासालों के मार्ग (Spice Route) से तथा अन्य व्यापार मार्गों से मिस्र (Egypt), और फिर रोम, गॉल, तथा यूनान (Greece) तक पहुंच कर पूरी दुनिया भर में फैल गया। आपको विश्वास नहीं होगा, परंतु प्राचीन यूनानी चिकित्सा वैज्ञानिक जैसे हिप्पोक्रेटस (Hippocrates) तथा पाइथागोरस (Pythagoras) ने भी सरसों के उपचारात्मक गुणों के बारे में दुनिया को बताया है।

सरसों के तेल में एंटी इंफ्लेमेटरी (Anti Inflammatory), रोगाणुरोधी (Anti Microbial), कवकरोधी (Anti Fungal) और जीवाणुरोधी गुण होते हैं। सरसों का तेल दर्दनाशक होता है, और प्राचीन यूनान में इनका दांतों के दर्द के लिए औषध-निर्देशन बताया जाता था। प्राचीन मिस्र के पेपाइरस कागजों में इसका उल्लेख है, और उनके मकबरों में सरसों के बीज विदाई कि भेंट के तौर पर रखे जाते थे।

संदर्भ:
1.https://themustardspecialist.wordpress.com/2017/09/13/indian-mustard-a-part-of-world-history/
2.https://www.alimentarium.org/en/knowledge/mustard-condiment
3.http://aromatherapybible.com/mustard/
4.http://epgp.inflibnet.ac.in/epgpdata/uploads/epgp_content/food_technology/technology_of_spices_and_condiments/02.history_of_spices_and_condiments/et/2871_et_m2.pdf
5.http://shodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/52638/10/10_chapter%201.pdf


RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id